बुधवार, 30 सितंबर 2015

अगर आप सोचे तोह किसी भी इंसान के जन्म लेने के साथ ही केवल एक चीज़ सुनिश्चित होता है -मृत्यु !इस जनम से मृत्यु तक का रास्ता मेरे अनुसार 'जीवन ' कहलाता है। और जिस तरह से हम इस रास्ते का सफर निभाते हैं वह 'ज़िन्दगी 'है।
"यह जीना भी कोई जीना है लल्लू ?"-Mr Natwarlal फिल्म में बच्चों को हमारे बॉलीवुड के 'सहनशाह 'ने पूछा था। आपने कभी अपने ज़िन्दगी के बारे में ऐसा सोचा है ?कभी आपने सोचा है कि आप अपने ज़िन्दगी से और ज़्यादा कैसे पा सकते हो ? जानना चाहते हो?
मैं कोशिश करता हूँ अपने ज़िन्दगी से अधिक पाने का।  जिन चीज़ों से मुझे फायदा मिला है उन्हें मैं आपके साथ share करना चाहता हूँ।
शुरुआत करता हूँ मेरे ज़िंदगी जीने के philosophy से -Life is limited. Live life unlimited .
इस दर्शन को कामयाब करने के लिए मैं पाँच guidelines के अन्तर्गत जीता हूँ।

  1. Think simple . Live simple .Keep life simple . ज़िन्दगी मेँ कठिनाइयाँ एक अहम अंग है। ऐसा कोई इंसान नहीं है जो कि अपने जीवन में कभी भी कोई कठिनाई का सामना नहीं किया हो।  कमजोर दिल वाले अपने किसमत को कोसते हैं ; पॉजिटिव सोच वाले उसे एक opportunity की हैसियत से देखते हैं। देखने इस अंदाज़ पर हार या जीत निर्भर करता है। मेरा साधारण दर्शन यह फरमाता है कि ऐसा कुछ हम ना करें जिससे अपने जीवन में complexity पैदा हो। क्यों 'आ बैल मुझे मार ' का प्रयत्न करे। किसी भी इंसान के लिए ज़िन्दगी उतना ही सरल है जितना वो खुद उसे बना सकता है। आपकी ज़िन्दगी कैसी है -सरल या कठिन ?
  2. ज़िन्दगी को सरल बनाने के लिए पहली ज़रुरत है कि आप यह तय कर लो कि आपको क्या नहीं चाहिए ? दिल मांगे more -यह सत्य है। हम जो चाहते हैं उसका लिस्ट काफी लंबा और unending होता है। नहीं चाहते हैं हर समय एक छोटी तमन्ना होती है। लेकिन इसे समझना आवश्यक है क्योंकि आप उन चीज़ों को नहीं चाहते हैं जिससे आपको दुःख होता है या आपको बुरा लगता है। एक उदाहरण देता हूँ अपनी ज़िन्दगी से। जब मेरी शादी के लिए मेरे माता-पिता ने लड़की ढूढ़ना शुरू किये -जी हाँ मुझमें लड़की पटाने की औकात नहीं थी -तब मैंने उन्हें एक छोटा सा लिस्ट दिया था कि मैं अपने जीवन साथी में क्या नहीं चाहता हूँ। २३ सालों के बाद मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि मैंने सठीक निर्णय लिया  था। 
  3. तीसरा दर्शन पिछले वाले से जुड़ा हुआ है -अपने लोभ को काबू में रखना। सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी तो हम सबों ने पढ़ा है। क्या हमने  उसकी सीख को अपनाया है ?लोभ एक खतरनाक साथी है। शुरू की सफलता हमें और भी लोभी बना देती है। एक दिन वही जीवन को इतना काम्प्लेक्स बना देती है कि आगे का रास्ता और सफर दोनों अंधकारमय होता है। कृपया आप greed और ambition को मिक्स मत कीजियेगा। लोभ शार्ट-कट रास्ता है तो आपकी आगे बढ़ने कि अकांक्षा आपको जीने का सबसे महत्वपूर्ण वज़ह बन सकता है। अपनी आकांक्षाओ को हासिल करने के लिए मेहनत आवश्यक है। हासिल करने पर ख़ुशी और satisfaction आपसे कोई छीन नहीं सकता है। यही आपको जीने का नया प्रोत्साहन देता है। आपके जीवन में हासिल करने का वर्तमान अकांक्षा कौन सा है ?
  4. एक इंजीनियरिंग कॉलेज के कॉन्वोकेशन के दरम्यान छात्रों ,अभिभाको और शिक्षक के समारोह को संबोधन करते हुए , राहुल द्रविड़ ने कहा था कि हर इंसान को अपने ज़िन्दगी के शिखर का चयन करना होगा और उस पर मेहनत के ज़रिये विजय पाना होगा। इसे हम सफलता कहते हैं। हम अपने ज़िन्दगी में सबसे पहले खुद के पास जबाबदेही हैं। बाकी सब लोगों के पास उसके बाद। अपनी दिल कि बात सुनो। कभी अपने दिल की बात को नज़रअंदाज़ करते हुए अपने दिमाग की सुनते हैं और गलत कदम उठा लेते हैं। आज कल जिस मर्डर का हर मीडिया में सबसे अधिक चर्चा हो रहा उस माँ के दिल ने क्या अपनी बेटी के हत्या के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया ?मैं दावे के साथ कह सकता हूँ -नहीं ?दिमाग ने ज़रूर अलग सन्देश दिया होगा !
  5. अंतिम चेष्टा जो मैं करता हूँ वह है ज़िन्दगी में और अपनी  ज़िन्दगी के साथ खुश रहना। पहले यह समझना होगा ख़ुशी कैसे मिलती है ? मेरे लिए दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना ;लोगों को अपने ट्रेनिंग के माध्यम से उनकी ज़िन्दगी से पाने में सहयोग करना ;नयी चीज़ों को सीखना ;ब्रिज -जो कि ताश का एक दिमागी खेल है -खेलना और अच्छा खाना पीना मुझे ख़ुशी देती है। मैं अपने परिवार के सोम से शुक्रवार तक ज़्यादा समय बिता पाता हूँ। परंतु जब मैं शहर में रहता हूँ तो सुबह की चाय अपने अर्धांगिनी के साथ पीता हूँ और शनिवार शाम से मेरा समय रविवार रात तक परिवार के साथ बिताता हूँ।कोशिश करता हूँ उन सब चीज़ों को करने का जो कि परिवार के लोगों को आनंद देता है। और इन चीज़ों में मैं उतने ही उत्साह के साथ शामिल होता हूँ ,जितना कि काम के समय। यह महत्वपूर्ण है आनंद के लिए।  बच्चो की सफलता पर भी मुझे बेहद ख़ुशी होती है। मेरे छोटे बेटे ने इस साल ८९%नंबर के साथ दसवीं कक्षा का बोर्ड परीक्षा पास किया है। आज के ज़माने में अति साधारण रिजल्ट है। मेरा बेटा भी उदास था क्योंकि थोड़े से नंबर के कारण उसे ९०%नहीं मिला। मैंने उसकी सफलता पर दोस्तों को घर पर निमंत्रित करके सेलिब्रेट किया। दो कारण थे सेलिब्रेट करने के। प्रथम -pre-board परीक्षा में मेरे बेटे को केवल ६३%नंबर मिले थे। बेटेने कितनी तरक्की की आप सोचिये !२५ प्रतिशत कि तरक्की मैंने तो अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं किया है। आपने किया है तो ज़रूर मुझे बताइएगा। दूसरा कारण मेरे सेलिब्रेशन का था अपने बेटे को यह समझाना कि लाखों बच्चे ऐसे होंगे जिन्हे उससे कम नंबर मिले होंगे। किसी के पास इस दुनिया में सब कुछ नहीं है। जो है उससे खुश रहना और उसे  भविष्य में मेहनत के ज़रिये और बेहतर करना ही किसी भी व्यक्ति को सुखी बनाता है। केवल इतना ख्याल रखिये कि आपकी ख़ुशी का कारण और जरिया किसी और के दुःख का कारण ना बन जाए !
आप शायद सोच रहे होंगे कि आपने अपने जीवन को किसी दूसरे तरीके से जिया है। अब क्या करें ?अतीत को एक सीख की हैसियत से देखिये। अगर सफलता से वंचित हुए हैं तो निराश मत होईये और अपने किस्मत को कृपया ना कोसें। कोई फायदा नहीं है। आप अपने अतीत को कभी बदल नहीं सकते हैं। यह सोचिये कि आप इस वक़्त से क्या कर सकते जिससे आप अपना  एक नया भविष्य लिख सकते हैं!मैँ केवल इतना कह सकता हूँ कि अगर आपको ऐसी नई सफलता हासिल करने की चाहत हो जिसे कभी पहले ना पाया हो ;तो आपको वो प्रयास करने पड़ेंगे जो कभी भी आपने अपनी ज़िन्दगी में नहीं किया है !और इसके लिए आपको असफलता के डर से निकलना पड़ेगा। क्या कभी किसी ने डर के साथ जी कर ज़िन्दगी का भरपूर आनंद उठाया है ? फिर डर किस बात का ?

खुश रहिये। और दूसरों के खुशियों का ध्यान रखिये। इसी में आपकी ख़ुशी है।