गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

नमस्कार।  शॉपिंग किया आपने -आने वाले फेस्टिव समय के लिए ? क्या खरीदेंगे इस बार ?कितने ब्रैंड्स के चॉइस है हम सबके पास। इस ज़माने में हर इंसान सर से पैर तक अपने आप को ब्रैंड्स के ज़रिये सजाता है।

क्या ब्रैंड्स में आपकी दिलचस्पी है ?मेरे लिए ब्रैंड्स का अध्यन एक महत्वपूर्ण विषय है जो कि मुझे हर वक़्त चैलेंज करता है। मैंने सोचा कि आज आपके साथ ब्रैंड्स के विषय में थोड़ा चर्चा करूँ।

आप में कई लोगों ने ब्रैंड के बारे में पढ़ा होगा और आप उनके डेफिनिशन से वाकिफ होंगे। किसी भी ब्रैंड का एक नाम होता है ; परिचय होता है और किसी भी ब्रैंड से  उनके विषय में जानने वाले लोगों का एक एक्सपेक्टेशन या उम्मीद होता है। जब तक ब्रैंड इस उम्मीद पर खरा उतरता है तब तक उसकी चाहत बरक़रार रहती है अन्यथा लोग उस ब्रैंड का साथ छोड़ देते है।

अगर आप थोड़ा सा और सोचें तो ब्रैंड एक रिलेशनशिप या रिश्ता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह रिश्ता एक चॉइस का रिश्ता है। अच्छा लगना और पसंद करना या नापसंद करना दोनों चॉइस का रिश्ता है। इसी कारण केवल सबसे सस्ता ब्रैंड ही केवल नहीं बिकता है। उदाहरण स्वरुप आप मोबाइल हैण्डसेट के ब्रैंड्स को देखिये।  कुछ हज़ार रुपयों से लेकर लाख  रुपये से ऊपर का भी मोबाइल हैंडसेट्स मार्केट में उपलब्ध हैं।

आप अपने हिंदी सिनेमा के कलाकारों को देखिये। हर कलाकार की एक पहचान या आइडेंटिटी या पर्सनालिटी है। हमारी उम्मीदें उनसे उनके इस पर्सनालिटी पर निर्भर करता है। दीपिका से हमारी उम्मीद विद्या से अलग है जैसे कि सलमान का अनुपम  से। कुछ ब्रैंड पर्सनालिटीज सिमिलर हो सकते हैं ; सेम नहीं। इसी कारण जो कलाकार अलग -अलग किरदार निभा सकता है उतना ही उसे वर्सटाइल माना जाता है।

अगर आप देवी -देवताओं को देख़ो तो शिव जी गणेश जी से कहीं अलग है। उनके भक्त भी अलग हैं।  भक्तों का करैक्टर भी सिमिलर होता है।

कभी आपने ये महसूस किया है कि आप भी एक ब्रैंड हेँ ? आपका नाम है ;परिचय है ; लोगों के साथ रिश्ता है -वो सब कुछ है आप में जो कि किसी भी ब्रैंड में है ! आप अपने ब्रैंड को डेवेलप करने के लिए क्या कर रहें हैं ? आप में से कुछ ये सोच रहे होंगे कि जिन ब्रैंड्स का ज़िक्र मैंने किया है, सब फेमस या प्रसिद्ध ब्रैंड्स हैं। आप सक्सेस या सफलता को प्रसिद्धता से कंफ्यूज मत कीजिये।  प्रसिद्ध का तात्पर्य होता है कि अधिक लोगों ने उनके बारे में सुना है। गलत काम के लिए भी तो इंसान प्रसिद्ध बन जाता है। क्या ऐसे ब्रैंड से आप रिश्ता जोड़ना चाहोगे ?

आप में क्या है जो औरों में नहीं ?यही आपका 'ब्रैंड आइडेंटिटी ' या परिचय बन सकता है। "नेवर अंडर एस्टीमेट द पॉवर ऑफ़ द कॉमन मैन " !हम सब कॉमन होते हुए भी कैसे अन कॉमन बन सकते हैं? यही अपने खुद के ब्रैंड को आगे बढ़ाने का मंत्र है। जानना चाहते हैं ?अगले महीने के प्रथम दिन फिर आपसे मुलाकात होगी। तब इस संधर्व में हम आलोचना करेंगे.

तब तक खुश रहिए। नवरात्री, दुर्गा पूजा और दशेहरा की अग्रिम शुभकामनाएं आपको और आपके अपनों को। दिवाली से पहले फिर मिलेंगे।