शुक्रवार, 4 जनवरी 2019

भावना ,कुशी ,श्रद्धा , बॉबी, हिमांशी , देवयानी। क्या है यह ?क्यों ज़िक्र कर रहा हूँ। नाम हैं। छह इंसान का। इनके साथ जोड़ता हूँ तीन और नाम -साजिद ,सँचिता और प्रीतम। छह से नौ हो गए। क्या हो गया है मुझे ? बिना किसी कारन मैं क्यों कुछ नाम आपके सामने पेश कर रहा हूँ ? कारन एक है -कुछ समय पहले यह लोग एक दूसरे के अजनबी थे। आज एक सफल team बन गए हैं। कैसे बना यह टीम ? क्या सीखा हमने इस प्रयोग से ? यही है आज चर्चा का विषय आपके साथ।
नमस्कार। और अभिवादन आप सब को नए साल का। आज नए साल का सातवाँ दिन। ५२ में एक हफ्ता गुज़र गया है पलक झपकने के पहले ही। इसी तरह समय दौड़ता चला जाएगा। रुकेगा नहीं। किसी के लिए। अगर समय का सही सदुपयोग करना है तो टीम बनाए या सही टीम से जुड़े। क्योंकि अगर आप अंग्रेजी भाषा में टीम शब्द को लिखें -TEAM - Together Everyone Achieves More -हम अकेले जितना हासिल कर सकते हैं ; मिल कर,  टीम बना कर उससे कहीं ज़्यादा हासिल कर सकते हैं। टीम काम के स्थान पर या खेल के मैदान में ही केवल नहीं बनता है ,निजी जीवन में भी इसका अहम् भूमिका है -इसकी चर्चा कभी और। हमारे टीवी पर दिखाए गए पारिवारिक सीरियल में आपने तो परिवार के सदस्यों के बीच गठबंधन तो जरूर देखा होगा। वह लेकिन टीम नहीं है। इस सिलसिले में कभी और बात करेंगे। आज चर्चा करेंगे टीम कैसे बनता है , चलता कैसे है और कैसे जीत हासिल करता है।  आज का यह लेख मैं उन नौ टीम के सदस्यों को उत्सर्ग करता हूँ जिनके नाम मैंने इस लेख के शुरू में किया है। टीम और teamwork का एक मिसाल बनने के कारन। मैं इस टीम पर गर्वित हूँ।
किसी भी टीम की सफलता का पहला कदम और सफलता की नींव टीम बनाते वक़्त बनती है। क्यों। एक कदम पीछे हट कर हम यह समझे की टीम की परिभाषा क्या है ?जब दो या उससे अधिक इंसान एक किसी मंजिल या गोल को हासिल करने के लिए एक साथ जुड़ते हैं तो एक टीम बनती है। परिभाषा सहज है। इसका प्रयोग कठिन। जो व्यक्ति टीम बनाने के लिए सदस्योँ का चयन करता है और उन्हें टीम में शामिल होने के लिए मोटीवेट करता है , उनका भूमिका महत्वपूर्ण होता है। कृपया गौर कीजिएगा -मैंने मोटीवेट करने की बात कही है ,मजबूर करने की नहीं। जो टीम का सदस्य बन रहा है उसका ऐसा महसूस होना जरूरी है कि इस टीम में काम करके मुझे आनंद मिलेगा। मेरा निजी तरक्की होगा -किसी भी सन्दर्भ में -ज्ञान , अच्छे लोगों के साथ जुड़ना या कमाई- मोटिवेशन कुछ या कई हो सकते हैं। । कैसे मोटीवेट होते हैं लोग एक अनजान टीम में जुड़ने के लिए ? ट्रांसपेरेंसी या क्लियर कट समझ इसका नीव है। टीम में मेरा रोल क्या है ? मुझसे क्या उम्मीद की जा रही है ? मुझे कितना समय देना पड़ेगा ? मेरी कमाई कितनी और कैसी होगी ?और सदस्य किस तरह के हैं ? जो मुझे टीम के लिए चयन कर रहा है उससे बात करके , मिल कर मुझे कैसा महसूस हो रहा है ? क्या मैं इस व्यक्ति या संस्था पर भरोसा कर सकता हूँ ? यहीं पर साजिद और सँचिता ने अपने व्यवहार और कम्युनिकेशन के जड़िये नए सदस्यों का दिल जीत लिया। एक बार दिल ने तय कर लिया , तो दिमाग भी साथ देता है।  और यही हुआ।
टीम तो बन गया। परन्तु सफलता के लिए टीम का संचालन कैसे होगा इसकी समझ हर सदस्य के लिए जरूरी है। तरह- तरह के तरीके अपनाते हैं लोग इस विषय पर। यह एक अलग विषय है चर्चा का। मेरे तजुर्बे में संचालन का तरीका कैसा भी हो , दो विषय पर ध्यान रखना आवश्यक है -टीम लीडर पहले टीम का सदस्य है और फिर लीडर है। दूसरी बात यह टीम के संचालन के नियम -कानून यानि की डिसिप्लिन की समझ हर सदस्य के लिए आवश्यक है । यह हर सदस्य पर प्रयोग होता है। टीम लीडर के लिए भी।
टीम बन गया है , टीम के संचालन के विषय में चर्चा भी हो चुकी है परन्तु टीम को गंतव्य या मंजिल को हासिल करने के लिए क्या चाहिए ? एक शब्द -कमिटमेंट -अर्थात टीम और टीम के मकसद के प्रति विश्वास और जूनून सफल होने का। बेहतरीन कमिटमेंट का प्रदर्शन किया है इस टीम ने। कई बाधा का सामना करना पड़ा टीम को , परन्तु उन्होंने परिस्तिथितिओं और बधाओं पर विजय प्राप्त किया। कहीं अधिक समय देकर ; ध्यैर्य के साथ पेश आ कर ; काम करने के तरीके को बदल कर, लम्बा सफर कर काम के स्थान तक पहुँच कर। परन्तु टीम ने समय पर और समय के अंदर काम को ख़त्म किया। कमिटमेंट के लिए क्या जरूरी है -flexibility यानि की परिस्थिति के अनुसार अपने आप को बदलना और दृढ़ निश्चय के साथ डटे रहना। यहाँ मैं तारिफ करूँगा प्रीतम का। यह टीम उनकी कम्पनी के काम के लिए बनाया गया था। उसने कंधे से कंधा मिला कर काम किया। और प्रतिकूल समय पर उसने टीम का हौसला बढ़ाया और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने प्रतिकूल समय पर टीम की ओर ऊँगली नहीं उठाई या  इलज़ाम नहीं लगाया। टीम का वह अहम् हिस्सा बन गया। इसी लिए टीम ने उसके और उसके काम के सफलता के लिए जी जान लगा कर अपने कमिटमेंट का परिचय दिया। अक्सर कठिन समय पर इंसान दूसरों पर इलज़ाम का सहारा लेता है जो कि गलत होता है और टीम का मनोबल कमजोर कर देता है।
आप किसी टीम के सदस्य हैं या टीम बनाना चाहते हैं ? आप कुछ बताना चाहते हैं टीम के विषय में ? जरूर बता दीजिए मुझे फेसबुक के माध्यम से। मेरे लिए जो बात नई सीख होगी , मैं अपनी अगले लेख में शामिल करूँगा आपके नाम के साथ। यह वादा रहा। अगले महीने चर्चा करूँगा एक इंटरेस्टिंग विषय पर -अगर दोस्त एक साथ मिल जाते हैं तो क्या अपने आप टीम बन जाती है ? आपके विचार इस प्रश्न पर आमंत्रित करता हूँ। 2019 जो कि इस शतक का अंतिम वर्ष है एक teenager की हैसियत से, आपके और अपनों के लिए बेहतरीन हो , यही प्रार्थना करता हूँ परमात्मा से। खुश रहिए और जिंदगी का आनंद लीजिये। हैप्पी न्यू ईयर। आप सब को।