शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

नमस्कार। २०२२ के लिए आपको बधाई। दुआ है कि यह साल हम सब के लिए बेहतर हो। २०२१ कुछ के लिए अच्छा था और अधिक के लिए उतना अच्छा नहीं रहा। परन्तु हमारे क्रिकेट टीम का टेस्ट मैच में प्रदर्शन बेहतरीन रहा २०२१ साल के दौरान। हमने ऑस्ट्रेलिया में जीत के साथ शुरू किया ,इंग्लैंड में विजय प्राप्त किया जून के महीने में और कुछ दिनों पहले हमने दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट मैच जीता। पूरी टीम को बधाई इस जीत के लिए। आज का लेख है मैन ऑफ़ दा मैच के इंटरव्यू से प्रेरित है। इन्होंने प्रथम पाड़ी में शतक बनाया था। उन्होंने तीन कारन बताएँ उनकी सफलता के लिए। मैं समझता हूँ कि यही तीन सीख को अपना कर हम इस वायरस के प्रकोप से अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं। 

पहली सीख है धैर्य। भारतीय टीम के कोच ने एक ही सलाह दी थी। गेंदबाज कितना ही प्रलोभित करे , आपको स्ट्रोक तभी मारना है जब कि आप एकदम निश्चित हो कि आपका गेंद पर पूर्ण नियंत्रण रहेगा। अन्यथा आपको डिफेन्स पर ध्यान देना पड़ेगा और अपने विकेट्स का रक्षा करना पड़ेगा। वायरस के प्रकोप से बचने के लिए हमें इसी तरह धैर्य का साथ लेना पड़ेगा। मैंने अधिक से अधिक लोगों को देखा है कि उन्होंने हाल छोड़ दिया है और जो नहीं करना चाहिए वो कर बैठते हैं जिनके कारण वायरस के प्रकोप में आ जाते हैं। कुछ शहरों में लोग नए साल के सेलिब्रेशन की वजह से घर से बाहर निकल कर ऐसी जगह जा रहें हैं जहाँ अत्यधिक भीड़ है लोगों का। क्या होता अगर हम इस साल यह नहीं करते ? 

दूसरी सीख है अनुशाषन। इस बल्लेबाज़ को कोच का निर्देश था कि अगर आप क्रीज़ पर समय बिता पाओगे तो रन अपने आप बन जायेंगे। गेंदबाज़ को अपना विकेट मत गिफ्ट करो। उनको आपको आउट करने के लिए मेहनत करने दो। अपना बल्ला अपने शरीर से दूर मत ले जाओ चाहे कितना भी प्रलोभन हो। हमारे लिए मास्क का प्रयोग यही अनुशाषन डिमांड करता है। किसी भी हालत में आप बिना मास्क दूसरों के सामने नहीं जा सकते हैं। हमने देखा है कि अधिकतर अपने मास्क को अपने नाक और मुँह के नीचे पहने रहते हैं। फिर मास्क पहेनने का फायदा क्या होगा। मैंने ऐसे कई लोगों से बातचीत की और पूछा कि आप ऐसा क्यों करते हो। उनका जवाब था कि मास्क पहन कर साँस लेने में असुविधा होती है। मेरा कहना है कि अगर आप वायरस के चपेट में आ गयें तो सास लेना काफी मुश्किल हो जायेगा। 

तीसरी सीख है अपने कर्तव्य का पालन करना जो कि टीम के हित में है। अगर टीम का हर सदस्य अपनी जिम्मेवारी से वाकिफ रहें और अपना कर्तव्य निभाएँ तो टीम के जीतने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप सोचो हर कोई एक ही टीम के सदस्य हैं जो कि वायरस जैसे प्रतिद्वंदी से लड़ाई कर रही है। उसे हराना ही पड़ेगा। क्योंकि इसी में हम सबका मंगल है। तो इस द्वन्द को जीतने के लिए हमारे व्यक्तिगत कर्त्वय क्या हैं ? हम सबको पता है। मास्क पहन कर घर के बाहर निकलना , सामाजिक दूरी बरक़रार रखना जब हम अन्य लोगों से मिलते हैं ,वैक्सीन के दोनों डोज़ को ले लेना ,अफवाओं को नजरअंदाज करना और अपने आप को सुरक्षित रखना। जरा सोचिये अगर हर इंसान अपने आप को सुरक्षित रखे तो वायरस करेगा क्या। तभी हमारी जीत होगी। 

२०२२ के शुरुआत में हमें और भी सावधानी बरतनी पड़ेगी क्योंकि वायरस नई वैरिएंट के साथ हमें अटैक किया है। हमें धैर्य ,अनुशाषन के साथ अपने कर्तव्य निभाना पड़ेगा। इसी में अपना मंगल है। दुआ करते हैं कि हम सभी का २०२२ बेहतर रहे और हम सब स्वस्थ और खुश रह सकें। 

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

जाते जाते नहीं गया। जाने का कोई इरादा भी नहीं दिख रहा है। मैं कोरोना वायरस का बात कर रहा हूँ। नमस्कार सब ठीक चल रहा था ,सही दिशा की ओर दुनिया चल रही थी ,हम सब वायरस के साथ कॉन्फिडेंस के साथ जीने लगे थे और एक नया स्ट्रेन का उदय हुआ दक्षिण अफ्रीका में। बस ,फिर हम और पूरी दुनिया का रूह बदल गया और हम फिर दुविधा में पर गए कि अब क्या करना। 

दुविधा इस लेख का मुख्य विषय है। हम दुविधा में क्यों उलझ जाते हैं ? क्यूँकि हम निर्णय नहीं ले सकते हैं। हम क्यों निर्णय ले सकते हैं ? कई कारण हो सकते हैं -हम निर्णय लेना नहीं चाहते हैं या हमारे पास जितने तथ्य हैं वह निर्णय लेने के लिए पर्याप्त नहीं है या हमारे पास निर्णय लेने लायक तजुर्बा नहीं है या हम ऐसे परिस्थिति का पहली बार सामना कर रहें हैं जैसा कि इस वायरस के प्रकोप के शुरुआत में हुआ था। हर कोई अपने अंदाज़ और अनुभव के अनुसार अपनी टिप्पणी दे रहा था। जैसा कि अभी हो रहा है ,इस नए स्ट्रेन के विषय में। उम्मीद करता हूँ कि आप सभी मेरे विचारोँ से सहमत होंगे। आपके विचार अगर भिन्न हो तो मूझे अवश्य फेसबुक के माध्यम से बताएँ। 

दुविधा से निकलने के लिए आपको करना क्या है ? तीन 'डी ' का प्रयोग। डिटर्मिनेशन , डिसिप्लिन और डेटा। दृढ़ता  ,अनुशाषन और तथ्य। मैंने अपने लिए इन तीन 'डी 'का सहारा लिया है दुविधा को सुलझाने के लिए। 

डिटर्मिनेशन या दृढ़ता पहला कदम है क्योंकि हम जब तक खुद के साथ संकल्प ना कर लेते हैं कि हम जिस दुविधा में उलझे हुए हैं ,उसका समाधान हमें ढूंढ कर निकालना पड़ेगा ,तब तक हम अगला कदम नहीं उठा सकते हैं। इस सन्दर्भ में मेरी एक ही सलाह है -अपना संकल्प बनाने के लिए इतना समय ना लीजिए कि पानी सर के ऊपर चढ़ जाए।ताकि आपका निर्णय मजबूरी की वजह से नहीं होना चाहिए। क्योंकि मजबूरी की वजह से लिए हुए निर्णय अकसर गलत होते हैं। एक उदाहरण देता हूँ। आपके ऑफिस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है , यह आप समझ रहे हो। आप दुविधा में हो कि आपको नयी नौकरी ढूंढनी चाहिए या नहीं। आप सोचते रह जाते हो और अचानक एक दिन खबर मिलती है कि आपके शहर में आपका ऑफिस बंद किया जा रहा है। फिर क्या होगा आप जरूर समझ रहे हो। जितनी जल्दी हो सके दुविधा का समाधान ढूंढ निकालिए। इसी में मंगल है। 

डिसिप्लिन या अनुशाषन। दुविधा को सुलझाने के लिए यह अति आवश्यक है। इस सन्दर्भ में अनुशाषन का तात्पर्य क्या है ? एक बार जब आपने ठान ली कि आप दुविधा का समाधान निकाल लोगे , तब आपका पहला कदम होगा खुद के लिए एक डेडलाइन तय करना कि कब तक में आप समाधान निकाल लोगे। यह आपके लिए एक गंतव्य या मंजिल का स्वरुप है। फिर आपको तय करना पड़ेगा कि मंजिल तक पहुँचने के लिए आपका सफर कैसा होगा और इस सफर के दौरान कौन से पड़ाव आयेंगे और किस समय पर आयेंगे। एक और अनुशाषन जो बहुत जरूरी होता है -आपके सलाहकार का चयन। हमें सलाह लेनी परती है। जितने सलाहकार होंगे उतना आपका कन्फ्यूज़न बढ़ेगा। एक या दो से अधिक सलाहकार जरूरी नहीं है। फिर पिछले उदाहरण को आगे बढ़ाते हुए हम इस कदम का प्रयोग सीखेंगे। कब तक हमें नयी नौकरी चाहिए हमारा मंजिल बन जाएगा। इसके लिए अपना बायोडाटा बनाना , कंपनी तक पहुँचना ,दोस्तों या परिचित लोगों से सहायता लेना ,इंटरव्यू की तैयारी करना -सब पड़ाव इस सफर के। हर पड़ाव के लिए डेडलाइन ठीक करना आवश्यक है। 

डेटा या तथ्य। दुविधा को सुलझाने के लिए उचित डेटा का विश्लेषण करना अति आवश्यक है। अगर इस सिलसिले में हम अपने उदाहरण पर वापस चले जाएँ तो पहला डेटा जो जुगाड़ करके समझना पड़ेगा कि क्यों हमारी कंपनी की परिस्थिति डावाँडोल है। क्या हम लोगों से सुन रहें हैं ? या आँकड़े बता रहें हैं कि सब ठीक नहीं है ? क्या आपकी कंपनी का प्रोब्लेम है या जिस इंडस्ट्री में आपकी कंपनी है उसका प्रोब्लेम है ? वायरस के कारन जैसे ट्रेवल और टूरिज्म का व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया था। आप जिस पेशे में हो , क्या आपको अपने शहर में नौकरी मिलेगी या आपको दूसरे शहर में शिफ्ट करना पड़ेगा ? इस तरह के डेटा के आधार पर आपका निर्णय लेना आसान होता है। 

आशा करता हूँ कि मेरे तजुर्बे पर आधारित इस लेख से आपको फायदा होगा। नए वर्ष मेरा लेख होगा अपने जीवन साथी के चयन में दुविधा को आप कैसे सुलझा सकते हैं? अभिभावकों के लिए भी यह लेख फायदेमंद होगा। तब तक अपना ख्याल रखिए ,वायरस के विषय में अफवाहों पर ध्यान ना दें। मास्क का प्रयोग कीजिये और दूरी बरक़रार रखिए। वायरस आपको कुछ नहीं कर पाएगा। यह प्रमाणित हो चुका है। मुलाकात होगी फिर नए साल २०२२ में। नए साल की अग्रिम शुभकामनायें स्वीकार कीजिए। 

 

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2021

नमस्कार। अग्रिम शुभेच्छा दीपावली के लिए।  सावधानी के साथ  त्यौहार का आनंद लीजियेगा। आपकी ख़ुशी दूसरों पर भारी ना पड़े इसका ख्याल रखियेगा। दिवाली खुशियों का त्यौहार है। एक नई शुरुआत का प्रतीक है। आप क्या नया करना चाहते हैं अपनी ज़िन्दगी में ? आपका निर्णय या चयन कि आप क्या नया शुरू करेंगे दो सोच पर निर्धारित कीजिए। क्या आपको खुश करेगा और जिसे आप लंबे समय तक सहायता करेगा। मैंने अपने लिए तीन परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। आपके लिए पेश कर रहा हूँ शायद आपके सोच को प्रभावित करे। 

हर इंसान अपनी ज़िन्दगी में इस वक़्त किसी ना किसी मुकाम पर खड़ा है। यह मुकाम उसके उम्र और पेशा निर्धारित करता है। मैं ऐसे मुकाम पर मौजूद हूँ जहाँ मुझे औरों के लिए अपना तजुर्बा और ज्ञान बाँटने का समय आ गया है। मेरा विश्वास है कि इसके जरिये मैं कुछ लोगों के जीवन और कैरियर को प्रभावित कर पाउँगा। और यह इस बदलते हुए समय के लिए अति आवश्यक है। मेरे इस प्रयास का कोई भी फायदा उठा सकता है। अगर कोई अपने पेशेवर जीवन में तरक्की करना चाहता है तो उसे अपने पेशेवर रिश्तों को और मज़बूत बनाना है। पेशेवर रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कौशल होता है अपने पेशे के उपयुक्त व्यवहार। व्यवहार के तीन स्तंभ होते हैं -आपकी भाषा , आपकी शारीरिक भाषा और आपकी वेषभूषा -इन तीन स्तंभ पर विराज करता है आपके पेशे का ज्ञान और कौशल। ख्याल रखिएगा कि आपके रिश्ते को बनाने और आगे बढ़ाने में आपका सबसे महत्वपूर्ण कौशल है आपका कम्युनिकेशन का कौशल। कम्युनिकेशन में आपके इस्तेमाल किये हुए शब्दों का असर दूसरों पर मात्र सात प्रतिशत है। जहाँ कि आपके शारीरिक भाषा का अवदान पचपन प्रतिशत है। हमने आपके लिए कम्युनिकेशन सीखने के लिए ट्रेनिंग का मूल्य एक फिल्म देखने के खर्चे से कम कर दिया है। हिंदी भाषा में आपको ट्रेनिंग मिलेगी। आप कहीं से भी इस ट्रेनिंग का फायदा उठा सकते हो। हमारा मकसद है कि अगर कोई खुद की तरक्की करना चाहे तो उसके लिए उसे भारी कीमत ना चुकानी पड़े। हमारे फेसबुक पर नज़र रखिये अगर आपको इस विषय में दिलचस्पी हो। 

मुझे अपने इस इरादे में सफल होने के लिए अपने आप को एक विषय में सुधारना पड़ेगा। अपने समय का बेहतर उपयोग करना पड़ेगा। मैं इस विषय में सचेतन हूँ। मैंने अपनी डायरी में अपने समय के इस्तेमाल की नॉटिंग शुरू कर दिया है। कहाँ मेरा समय का अपचय हो रहा है , कहाँ मैं जरूरत से कम समय दे रहा हूँ , कहाँ मुझे अपनी एफिशिएंसी बढ़ानी होगी ,कौन सा काम मैं खुद ना करके दूसरोँ से करवा सकता हूँ , मैं काम के दौरान कितनी बार और कितने समय का ब्रेक ले रहा हूँ , इस नोटिंग के वजह से एकदम साफ़ दिख रहा है कि मैं कहाँ गलत कर रहा हूँ। अपना टाइम मैनेजमेंट सुधारना मेरे लिए इस कारन जरूरी है ताकि मैं समय निकाल सकूँ आपके लिए आवश्यक ट्रेनिंग बना सकूँ जहाँ मेरे तजुर्बा का फायदा आपको कम से कम पैसों के विनिमय में मिलें। और आपके पेशेवर जीवन में आपको सफलता मिले और आप अपनी कैरियर में अग्रसर हो सके। 

आज नवंबर का पहला दिन है। हमने सीखा है कि किसी भी बदलाव को सफलता पूर्वक करने के लिए एक महीने तक उस बदलाव को बरक़रार रखना पड़ेगा। ऐसा करने से परिवर्तन स्वभाव बन जाता है। मैं वादा करता हूँ कि मैंने जो परिवर्तन अपने लिए सोचे हैं , पूरे तीस दिनों के लिए लगातार करूँगा ताकि मेरा अपना टाइम मैनेजमेंट बेहतर बन जाए और मैं अपने ज़िन्दगी में और नई चीज़ों को सीखने में अपना समय दे सँकू। 

क्या आप भी अपने लिए कुछ परिवर्तन का प्रयास करेंगे ? मुझे जरूर इत्तिला कीजियेगा फेसबुक के माध्यम से। आप सबको एक सुरक्षित और आनंदमय दिवाली की अग्रिम बधाई। 


शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

नमस्कार। अक्टूबर का महीना। त्यौहारों का महीना। दीपावली की तैयारी। विक्रेता के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय। हर किसी में एक उत्तेजना। आनंदमय दिनों की अपेक्षा। केवल गत वर्ष से वायरस का प्रभाव। आनंद लेते वक़्त सावधानी का सन्देश। चंद दिन की खुशियाँ कई दिनों के दर्द में ना बदल जाए। अपना और अपनों का ख्याल रखिए। आनंदमय समय बरक़रार रखना ही हर किसी का मकसद और प्रयास होना चाहिए। 

अक्टूबर का एक और तात्पर्य। इस वित्तीय वर्ष का आधा गुज़र चुका है। मैंने पहले भी लिखा है , दोबारा लिख रहा हूँ , इस वित्तीय वर्ष में बाकी छः महीनों में व्यवसाय में जबरदस्त तरक्की होगी और वायरस का प्रकोप कम हो जाएगा। हम फिर से कुछ हद तक चैन की ज़िन्दगी जी पायेंगे। क्यों मैं इतना आशावादी हूँ , इस लेख का उद्देश्य नहीं है। इस लेख का विषय वो हैं जिनका जन्म अक्टूबर के महीने में हुआ था। जी हाँ , हमारे राष्ट्रपिता , बापू। यह जो हम सब के सामने एक उम्मीद और आशा की किरण नज़र आ रही है ,उसका फायदा लेने के लिए हमें बापू के जीवन से प्रेरित होना पड़ेगा। यह है वायरस का ज़िन्दगी और व्यवसाय पर प्रभाव। और इसमें उत्तीर्ण होने के लिए हमें बापू का सहारा लेना पड़ेगा। 

बापू को ग्रेट ब्रिटेन के प्रसिद्द प्रधानमंत्री सर विंस्टन चर्चिल ने 'नँगा फ़क़ीर 'कह के सम्बोधित किया था। परन्तु बापू अपनी ज़िन्दगी के शुरुआत से ही इस तरह के कपड़े नहीं पहनते थे। उनके कपड़ों पर ज़िन्दगी की शुरुआत में पश्चिम का काफी अधिक प्रभाव था। एक घटना के बाद उन्हें एहसास हुआ कि भारत के अधिकतर लोगों को अपने तन को ढकने लायक कपड़े नहीं थे और खुद वो इतने कपड़े पहने हुए थे। इस एहसास के साथ ही उन्होंने धोती को अपना लिया। और उन्होंने स्वदेशी कपड़ों की बुनाई के लिए चक्र का सहारा लिया। जनता प्रेरित हो गई और उनके विचारों से जुड़ने लगी। क्या यह संभव होता अगर वह खुद धोती को अपना ना लिया होता ? उन्होंने ही कहा था कि दूसरोँ में जो आप परिवर्तन देखना चाहते हो , वह पहले खुद करके दिखाओ। 

उन्होंने अंग्रेज़ो को इस देश से निकाल कर देश को स्वाधीन बनाने के लिए अहिंसा और सत्याग्रह के पथ को अपनाया।  कई नेता और जनता उनके इस निर्णय से सहमत नहीं थे। परन्तु बापू ने हौसला नहीं छोड़ा। शुरुआत में लोगों को उनके दृष्टिकोण को समझने में जरूर असुविधा हुई। परन्तु बापू डटे रहे और अपने कर्तव्यों से जनता को प्रेरित किया। उसके बाद का सफर तो हमारे देश और विश्व का इतिहास बदल देकर नए अंदाज़ में रच दिया। 

मैं क्यों ज़िक्र कर रहा हूँ बापू के कारनामों का ? इनमे छुपी सीख के लिए जिसका प्रयोग आज की स्थिति में हर किसी के लिए अत्यावश्यक है। पहली सीख जैसे चल रहा था ,आगे नहीं भी चल सकता है। हमें इस वक़्त की माँग को समझना पड़ेगा और खुद को बदलना पड़ेगा। जो दूसरों के लिए सफलता का मंत्र है ,मेरे लिए नहीं भी हो सकता है। हमारा ताकत या स्ट्रेंथ क्या है और कमजोरियां क्या है समझना पड़ेगा। जैसे बापू ने समझा था कि हमारी ताकत हमारी जनसँख्या है और हमारी कमजोरी साधन का अभाव। जिसकी वजह से उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा का पथ चुना -जिसमे अधिक जनसँख्या ताकत थी और साधन के अभाव से फर्क नहीं पड़ता था। आखिर कितने अंग्रेज़ उस वक़्त हमारे देश में निवास करते थे ? उनकी तुलना में हमारी जनसँख्या उनके लिए भाड़ी पड़ेगी , यह बापू को समझ में आ गया था। उन्होंने अपने दिल और दिमाग की सुनी और किसी के आलोचना से ना प्रभावित हुए , ना ही विचलित हुए। और जिसमे उनका विश्वास था , उसमे लगे रहे। 

हम सभी का समय आ गया है , बापू की तरह अपनी ज़िन्दगी को नई और सठिक दिशा देने का। हर किसी को अपने परिस्थितिओं का मूल्यांकन करके अपना निर्णय लेना पड़ेगा। किसी दूसरे के निर्णय को अपना लेना मूर्खता का परिचय होगा। खुद को समझिये ,अपने अकांक्षा को निर्धारित कीजिए ,अपने वातावरण का विश्लेषण कीजिए , फिर तय कीजिए आप अपनी ज़िन्दगी को कैसे जीना चाहते हैं। जैसे बापू ने किया हमें आज़ादी दिलाने के लिए। हमारा यह निर्णय हमें इस वायरस के प्रकोप से आज़ादी दिलाएगा। यही मेरा दृढ़ विश्वास है। 

हर त्यौहार के लिए मेरी अग्रिम शुभेच्छा आप सबके लिए। सतर्कता के साथ आनंद लीजिये। इसी में हम सबका मंगल है।  फिर मिलेंगे दिवाली के महीने में। कैसा लगा यह लेख? जरूर बताईयेगा फेसबुक के माध्यम से। आपके विचार मुझे प्रोत्साहित करते हैं। इसका मैं आभारी हूँ और रहूँगा। धन्यवाद। 


शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

नमस्कार। हम इस वित्तीय वर्ष के छटे महीने में पहुँच गए हैं। ख़बरों से पता चलता है व्यवसाय और वाणिज्य में तरक्की  के लक्षण दिख रहें हैं। परन्तु एक शंका मौजूद है -क्या तीसरा लहर वायरस का त्योहार के समय पर हम पर हमला बोलेगा ? उसके बाद क्या चौथे लहर का कोई संभावना है ? इन प्रश्नों का उत्तर मेरे पास नहीं है। मुझे केवल यह महसूस हो रहा कि हमारे देश का सुनहरा समय आ रहा है वाणिज्य ,व्यवसाय और कैरियर्स के लिए। 

अपने काम के सिलसिले में मैं कई कम्पनियों से जुड़ा हुआ हूँ। हर कंपनी को बेहतरीन भविष्य नजर आ रहा है। इसकी तैयारी में कम्पनियाँ दो कदम उठा चुकी है -नए लोगों का चयन और ज़्यादा लोगों का ट्रेनिंग। इस पान्डेमिक ने एक चीज़ निश्चित कर दिया है -इस वायरस के प्रकोप ने व्यवसाय की रण निति बदल डाली है। और इसका प्रभाव सबसे अधिक काम करने वाले इंसान पर हुआ है। हर किसी को नए स्किल्स की आवश्यकता है। पुराने दक्षता से भविष्य में नहीं चलेगा। क्योंकि ग्राहकों का व्यवहार , अंदाज़ , और वरीयता (ज़िन्दगी में क्या ज़रुरत है या नहीं ) बदल चुका है। उदाहरण स्वरुप हर कोई काफी खरीदारी डिजिटल के माध्यम से कर रहा है , इस समय , वायरस के प्रकोप के पहले की तुलना में। जो व्यवसायी डिजिटल पर निर्भर नहीं थे , उन्होंने नई शुरुआत की है मजबूरन। 

हमारी कंपनी जो ट्रेनिंग करती है अचानक बहुत सारे कंपनी के कर्मी लोगों को बातचीत करने की , ईमेल लिखने का और टेलीफोन पर कैसे बात करना चाहिए उस पर ट्रेनिंग देना पर रहा है। तीनों पान्डेमिक के कारन ग्राहक के साथ दूर का संपर्क (जिसे रिमोट कॉन्टैक्ट कहते हैं) के जरिए व्यवसाय करने का नतीजा है। एक और प्रयास जो मैं पहली बार देख रहा हूँ कि कम्पनियाँ ऐसे लोगों को ट्रेनिंग दिलवा रही है जिनको कभी भी उन्होंने ट्रेनिंग के लिए सोचा नहीं था। इसकी वजह यह है कि कंपनी के हर एक इंसान को ग्राहक के बदलते हुए चाहत को समझ कर अपनी कंपनी के सर्विस को उसी दिशा में ढालना पड़ेगा। इसका कोई विकल्प नहीं है। 

कई लोग अपने व्यक्तिगत चेष्टा से अपनी तरक्की के लिए तरह तरह के ट्रेनिंग प्रोग्राम में दाखिल हो रहें हैं। ऑनलाइन ट्रेनिंग बहुत कम पैसों के विनिमय में किया जा सकता है। कुछ ऐसे ट्रेनिंग हैं जहाँ पर वीडियो टेक्नोलॉजी के जरिए आप ट्रेनर के साथ अपने घर से या ऑफिस से ट्रेनिंग अटेंड कर सकते हैं। ऐसे ट्रेनिंग का फायदा यह होता है कि आप अपने प्रश्नों को ट्रेनर से पूछ सकते हैं जो कि ऑनलाइन ट्रेनिंग पर संभव नहीं है। 

आपको अगर इस कॉम्पिटिटिव दुनिया में सफलता प्राप्त करना तो आप सॉफ्ट स्किल्स , टाइम मैनेजमेंट , सेलिंग स्किल्स , कस्टमर सर्विस जैसे ट्रेनिंग जरूर कीजिए। इस वक़्त ऐसे ट्रेनिंग ५०० रुपए में उपलब्ध हैं। ऐसे ट्रेनिंग हिंदी भाषा में भी उपलब्ध हैं जो शायद आप ज्यादा पसंद करेंगे। जो स्टूडेंट्स पढ़ाई के बाद नौकरी ढूंढ रहें हैं उनके लिए भी ऐसे ट्रेनिंग फायदेमंद हैं। 

मौका हर किसी के लिए मौजूद है। जो अपने आपको नई परिस्थितिओं के लिए तैयार करेगा , वही इस दौर में सिकंदर बनेगा। मुक़द्दर उसी इंसान को सिकंदर बनाएगा जो कि अपने जीत की तैयारी पर ध्यान देगा। जो क्षमता ने अभी तक सफलता दिया है , भविष्य के लिए शायद वह कम पर जाए। इस विषय का , अपने आप का ,और अपनों का ख्याल रखिये और सावधानी का साथ मत छोड़िये। इसी में हम सब का मंगल है। अगर आप अपनी तरक्की के लिए कुछ जानना चाहते हैं तो जरूर फेसबुक के माध्यम से हमें बताएं। त्योहारों के लिए अग्रिम शुभेच्छा ,आप सब के लिए। फिर मिलेंगे अगले महीने। 

शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

नमस्कार। उम्मीद करता हूँ कि आप और आपके अपने स्वस्थ और खुश हैं। यह वायरस पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा है। हर कोई इसी आशा के साथ समय गुज़ार रहा है कि एक ना एक दिन हम वायरस के पूर्व स्वाभाविक जीवन जी सकेंगे। परन्तु कब यह संभव होगा किसी को भी नहीं पता। वायरस से संक्रमित ना होने की सतर्कता हम सभी को बरक़रार रखना है। 

वायरस का एक महत्वपूर्ण प्रभाव स्कूल के बोर्ड के परिणाम पर हुआ है। बिना परीक्षा हुए विद्यार्थियों को नंबर दिए गए हैं बोर्ड के फार्मूला के अनुसार। इसका पहला परिणाम यह रहा कि अधिक विद्यार्थी उत्तीर्ण हो सके हैं। इसके फलस्वरूप कॉलेज में ज़्यादा बच्चे दाखिल होने के लिए प्रयास करेंगे। मेरे परिचित परिवारों में मैंने इस वजह से कई प्रतिक्रिया देखें  हैं । कुछ खुश हैं ,कुछ हताश, और कुछ नाराज़ -इनकी सोच है कि कुछ विद्यार्थियों को उनके काबिलियत से ज़्यादा नंबर मिले हैं जो कि कॉलेज एडमिशन में प्रतिद्वंदिता बढ़ा रहा है। विद्यार्थिओं के साथ अभिवावक भी इस मिश्रित भावनाओं से गुज़र रहें हैं। आज का लेख इन अभिवावकों के लिए है। 

जिन अभिवावक के बच्चे उत्तीर्ण हुए हैं उनको पहले हमारी ओर से बधाई। निवेदन है कि आप अपने बच्चे का रिजल्ट स्वीकार कीजिये। इसको आप बदल नहीं सकते हैं। ना स्वीकार करने पर आप अपने पर और अपने बच्चे पर बिना किसी वजह टेंशन बढ़ा रहें हैं। याद रखिए कि बोर्ड के मार्क्स देने का फॉर्मूला हर बच्चे के परिणाम को प्रभावित किया है।  इस सिलसिले में आपके बच्चे को उम्मीद से ज़्यादा या कम मार्क्स मिल सकते हैं। ना इसके कारण आपको आनंदित या हताश  होना चाहिए। 

अपने बच्चे को निर्णय करने दीजिए कि वह आगे क्या करना चाहता है। अगर आपका बच्चा दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण हुआ है तो उसे अपना सब्जेक्ट चयन करने दीजिये आगे के लिए। बारहवीं कक्षा के बाद कॉलेज का दाखिला एक महत्वपूर्ण कदम होता है सबके कैरियर के लिए। हर विद्यार्थी का अपने सपने का कॉलेज होता है। कुछ बच्चों के लिए केवल कॉलेज ही नहीं पढ़ने का सब्जेक्ट भी महत्वपूर्ण होता है। इस साल ज़्यादा बच्चे बारह क्लास पास किए हैं और अधिक विद्यार्थिओं को ऊँचे मार्क्स प्राप्त हुए हैं। इसके कारन कॉलेज में दाखिल होने का कम्पटीशन बहुत ज़्यादा होगा। जिन कॉलेज और सब्जेक्ट्स का ज़्यादा डिमांड है उनका कट ऑफ मार्क्स दाखिल होने के लिए पिछले सालों से ज़्यादा होगा। अगर आपके बच्चे को अपने ड्रीम कॉलेज में मनपसंद विषय में दाखिला नहीं मिल रहा है तो उसे क्या करना चाहिए ? उदाहरण स्वरुप किसी कॉलेज में आपका बच्चा अर्थनीति लेकर पढ़ना चाहता है ,परन्तु उस कॉलेज में ऊंचे कट ऑफ की वजह से उनको इतिहास पढ़ने को मिल रहा है ,अर्थनीति नहीं। तो आपके बच्चे को क्या करना चाहिए ? ड्रीम कॉलेज में सब्जेक्ट के चयन में कोम्प्रोमाईज़ करना चाहिए या किसी दूसरे कॉलेज में अपने पसंद का सब्जेक्ट पढ़ना चाहिए ? मेरी सलाह यह है कि सब्जेक्ट को कॉलेज से ज़्यादा महत्व देना चाहिए। कॉलेज में अच्छे प्रदर्शन के लिए सब्जेक्ट में दिलचस्पी होना जरूरी होता है। तब जाकर पढ़ने का आनंद मिलता है। कॉलेज की पढ़ाई , स्कूल की पढ़ाई से सम्पूर्ण अलग होता है। और इसके अनेक कारण होते हैं। 

अगर आपका बच्चा कन्फ्यूज्ड है कि उसे क्या पढ़ना चाहिए , तब चिंता का विषय होता है। मैंने दो परिस्थितिओं में यह दुविधा देखी है। अगर आपका बच्चा  एक से ज़्यादा विषय में दिलचस्पी रखता हो और उनके मार्क्स इतने अच्छे हों कि उनको अपना चॉइस का कॉलेज में उन सब सब्जेक्ट्स में दाखिला मिल सकता है। दूसरा तब होता है जब बच्चे को खुद पता नहीं कि उसकी दिलचस्पी किस विषय में और उनको तरह तरह के लोग और बुजुर्ग अपनी सलाह देते रहते हैं। इसके कारन बच्चे कन्फ्यूज्ड हो जाते हैं। कई साल पहले मैंने अपने एक दोस्त की बेटी को IIT के दाखिले को ठुकरा कर गणित में ग्रेजुएशन करने का सलाह दिया था। इस बच्ची ने ज़िन्दगी का सबसे अहम् फैसला लिया था और वह बहुत खुश है और अपनी पढ़ाई में जबरदस्त परफॉर्म कर रही है। अगर आपका बच्चा ऐसी दुविधा में है , तो जरूर सलाह लीजिए किसी ऐसे इंसान से जो आपके बच्चे को समझ कर उसको सही तरीके से गाइड कर सके। 

अभिवावक की हैसियत से आपको अपने बच्चे के चयन को समर्थन करना पड़ेगा। अगर आपकी जानकारी पर्याप्त नहीं है तो सठिक सलाह लीजिये। आप अगर चाहें तो मुझे फेसबुक के माध्यम से संपर्क कीजिये और अपनी दुविधा के विषय में हमे बताईये। मैं आपको जरूर अपनी सलाह दूँगा। अगर आप लोगों ने चाहा तब मैं रविवार , अगस्त 8 को शाम के चार बजे मिलूंगा फेसबुक लाइव के जरिये इस विषय पर चर्चा करने के लिए। अगर दिलचस्पी हो तो जरूर अटेंड कीजिए। 

यह समय कठिन है। हम सब को सावधानी और हौसले के साथ इसका मुक़ाबला करना पड़ेगा। परन्तु आपके बच्चे का भविष्य उसके अभी के निर्णय पर काफी हद तक निर्भर कड़ेगा। उसको अपना निर्णय खुद लेने दीजिए। यही आपको एक जिम्मेदार अभिभावक बनाएगा। और इसी में सबका मंगल है। आपको और बच्चे को मेरा आतंरिक शुभेच्छा आगे के सफर के लिए। 

शनिवार, 3 जुलाई 2021

नमस्कार। पलक झपकते ही २०२१ के छह महीने गुज़र गए। अधिक समय हम लोग लोकडाउन की वजह से घर में गुज़ार रहें हैं। कुछ लोग घर से काम कर रहें हैं। कई लोगों को ऑफिस जाना पड़ रहा है। परन्तु अधिकतर ऑफिस पचास प्रतिशत कर्मचारिओं के उपस्थिति के साथ काम चला रही हैं। इसके कारण हमें रोज नहीं ,हर दूसरे दिन ऑफिस जाना पर रहा है। परन्तु अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारिओं को रोज अस्पताल जाना पड़ रहा है। उनमे से कई लोगों को ज़्यादा देर तक ड्यूटी भी करनी पर रही है। 

जुलाई महीने का पहला दिन डॉक्टर दिवस के तौर पर मनाया जाता है। तरह तरह के सम्मेलन और समारोह के माध्यम से डॉक्टर लोगों को सम्मानित किया जाता है। इस साल भी डॉक्टर लोग सम्मानित हुए हैं। परन्तु यह दो साल हम जैसे साधारण लोगों को डॉक्टर ,नर्स , और अस्पताल में काम करने वालों को अलग सलाम करना चाहिए।  उनके कारन हमारे कई दोस्त , परिवार के लोग , रिश्तेदार और सहकर्मी को वायरस पर विजय प्राप्त हुआ है वायरस के चपेट में आने के बाद।  अस्पताल से जुड़े हुए हर किसी को मेरा प्रणाम।  आप हर किसी का अवदान सर आँखों पर। आप की कहानी है भावनाओं के साथ कर्त्तव्य , जूनून , साहस , मेहनत और सबसे ऊपर हार ना मानने का ज़िद। आप लॉगऑन पर क्या बीती होगी या बीत रहे उसका अंदाज़ हम जैसे साधारण इन्सान शायद अनुभव भी नहीं कर पा रहें।  शारीरिक थकान के साथ साथ मानसिक तनाव का मिश्रण काफी कठिन होगा आप सब के लिए। २०२० के शुरुआत में जब वायरस का उदय हुआ इस दुनिया में किसी को भी इसके चिकित्सा के विषय में ना ही कुछ पता था या इसके जैसा किसी भी बीमारी को सँभालने का तजुर्बा था। इन हालातोँ में आपने जो किया काबिले तारीफ़ है। अनेक डॉक्टर और स्वस्थ कर्मियों ने अपना बलिदान दिया , हम सब के लिए।  आपके परिवार को हमारा संवेदना भरा नमस्कार। 

आज का विषय है इन डॉक्टर और स्वस्थ कर्मियों के परिवार के विषय में। आपके समर्थन के बिना जो कुछ भी हुआ है , संभव नहीं होता। मैं आपके विषय में सोच रहा हूँ। आप पर क्या बीत रही होगी जब आपको यह पता है कि आपके परिवार का सदस्य चिकित्सा करने के दौरान सबसे अधिक सम्भावना रखता है कि वह भी वायरस के गिरफ्त में आ सकता है।  आपके त्याग का हम सराहना करते हैं। यह निःस्वार्थ सहयोग हम सदा याद रखेंगे। मैं अपने इस लेख के पाठकों से कर जोड़कर निवेदन करता हूँ कि आप अपने जान पहचान के ऐसे परिवारों के साथ संपर्क स्थापित करें और और उनको अपनी तरह से धन्यवाद कहें।  मैं भी यही करने वाला हूँ। फेसबुक के माध्यम से मैंने क्या किया आप देख पायेंगे। 

अंत में मेरी निवेदन उन लोगों से हैं जो कि इस वक़्त किसी भी कारण डॉक्टर या स्वस्थ कर्मियों से नाराज़ हैं।  नाराज़गी हम अक्सर सोशल मीडिया के जरिये व्यक्त करते हैं ताकि अधिक लोगों तक अपना नाराज़गी का वार्ता पहुँचा सकें। धन्यवाद के साथ सन्देश भी तो सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सकता है।  परन्तु हम क्योँ नहीं कर रहें हैं।  हमारी क्या असुविधा या मजबूरी है। इस समय हौसला बढ़ाने वाले सन्देश का जरूरत ज़्यादा है।  मैं समझता हूँ की हम लोगों का सम्मिलित सराहना हमारे स्वस्थ कर्मियों का मनोबल और हौसला बढ़ाएगा जो हम सब के लिए फायदेमंद है। क्या आप लोग जो मेरा यह लेख पढ़ रहें हैं यह मनोबल बढ़ाने का कदम उठाएंगे ?

वैक्सीन जितनी जल्दी हो सके लगवा लीजिये।  उसके बाद भी मास्क पहनना और दो मीटर की दूरी बरक़रार रखना जरूरी है।  सावधान रहिये।  खुश रहिये।  स्वस्थ रहिये। फिर मिलेंगे अगले महीने।  

शुक्रवार, 4 जून 2021

नमस्कार। यह वायरस हमारा पीछा छोड़ने को इंकार कर रहा है। आप जो यह लेख पढ़ रहे हो उनको विनती करता हूँ वैक्सीन जितनी जल्दी हो सके लगवा लीजिये परन्तु मास्क पहनना और दो मीटर की दूरी बरक़रार रखने में कोई ढील मत दीजिए। इसमें आप का और आपके अपनों का मंगल है। लकडाउन के दौरान व्हाट्स ऑप में मुझे ज़्यादा मैसेज मिलते हैं। शायद दोस्तों के पास खाली समय ज़्यादा होता है , इस वजह से। ऐसा एक मैसेज मुझे बहुत प्रभावित किया है। आज का लेख उस मैसेज पर आधारित है। मैं अपने मित्र सचिन शर्मा को धन्यवाद कहूँगा इस के लिए। 

एक स्वामीजी ने एक वीडियो में कोका कोला कंपनी के विश्व सीईओ  के ३०  सेकंड के एक सन्देश का जिक्र किया है। यह उन्होंने एक प्रसिद्द मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट के कनवोकेशन के दौरान स्पीच दिया था जहाँ पर उन्होंने ज़िन्दगी के बैलेंस शीट के विषय में चर्चा किया है। 

चालीस साल के तजुर्बे के बाद इस सीईओ ने अपने सीख के विषय में बताया  है। पहली सीख काम पर वक़्त पर पहुँचो। ऑफिस के समय पूरी निष्ठा के साथ और बिना समय बर्बाद किये हुए काम कीजिये और ऑफिस से समय पर निकल कर वापस घर पहुँच जाईये। यह ज़िन्दगी का बैलेंस शीट है। 

सर्कस के जोकर जैसे एक साथ कई गेंद उछालता रहता है बिना किसी गेंद को जमीन पर गिरने के बिना -जिसे हम जगलरी कहते हैं ,इस सीईओ का कहना है कि हम सब कोई ऐसे पाँच गेंदों के साथ अपने ज़िन्दगी में सर्वदा जगलरी करते हैं। यह पाँच गेंद हैं -हमारा काम , हमारा परिवार , हमारे दोस्त ,हमारा स्वास्थ और हमारा आत्मा। यह निरंतर जगलरी करना आसान नहीं है। शायद आप सब इस सीईओ के सोच से सहमत होंगे। 

वर्जिन अटलांटिक कंपनी का सीईओ का कहना है कि काम का सिलसिला कुछ हद तक एक बस स्टॉप के तरह है। एक बस अगर छूट भी जाए , अगर आप धैर्य के साथ सही बस स्टॉप पर रुके रहो तो कुछ समय बाद एक और बस में सवारी करने का मौका मिल सकता है। कोका कोला कंपनी के सीईओ ने अपने उसी भाषण में कुछ इसी तरह की बात बताई। उन्होंने बताया की चालीस सालों के तजुर्बे ने उन्हें इस निष्कर्ष पर पहुँचाया है  कि पाँच गेंदों में काम का गेंद रबड़  का बना हुआ है। बाकि चार गेंद काँच का बना हुआ है। 

अगर काम का गेंद जमीन पर गिर जाय , तो वह उछल कर वापस आ जायेगा। उसमे कुछ विकृत नहीं होगा। परन्तु बाकी चार गेंद जो कि काँच के बने हुए हैं अगर गिर गए तो टूट सकते हैं , विखर सकते हैं , या उन पर आँच लग सकती है। इस बात ने मुझे अत्यधिक प्रभावित किया है। मैं खुद अपने काम के गेंद पर ज़्यादा महत्व देता था। वह ना गिर जाए जमीन उसका ख्याल रखता था। अन्य चार गेंदों के विषय में उतना सोचता ही नहीं था।  क्या आप भी मेरी तरह रबड़  वाले गेंद का ज़्यादा ध्यान रखते हो और दूसरी गेंदों के विषय में उतना सोचते ही नहीं हो? शायद मेरा अनुमान सही है। इस विषय पर हम फेसबुक के माध्यम से चर्चा भी कर सकते हैं। 

अंत में सीईओ महोदय ने यह कि पैसा या कर्मछेत्र में सफलता -जिन दोनों के पीछे दुनिया भागती है -जिंदगी में सब कुछ नहीं है। पाँचो गेंदों का सही और पर्याप्त ख्याल रखना ज़िन्दगी का बैलेंस होता है। उनका सलाह है कि काम के क्षेत्र में एक पेशेवर यानि कि प्रोफेशनल के तरह काम और वर्ताव करो परन्तु अपनी ज़िन्दगी एक साधारण इंसान की तरह जिओ। कई लोग इसका विपरीत करते हैं। और इसी कारन जिंदगी का बैलेंस शीट बिगड़ जाता है।  इस सीईओ का नाम है Brian Dyson . आप चाहो तो उनका वीडियो youtube पर देख सकते हो। मैं समझता हूँ की घर से काम करते हुए -जो की आज अधिकतर लोग कर रहें हैं -इस  बात का ख्याल जरूर रखिये। 

सावधानी के साथ जीवन यापन कीजिये। इस रबड़ के एक गेंद पर ही केवल ध्यान मत दीजिये। अन्य चार काँच के गेंदों को उससे ज़्यादा सावधानी के साथ संभाल कर रखिये। इसी में हम सब का मंगल है। यही हमारे जीवन के बैलेंस शीट को सठिक और मजबूत करेगा। 

गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

नमस्कार। मई का महीना शुरू होता है अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के साथ। इस दिन का शुरुआत मई १८८६ में शिकागो के हेमार्केट का घटना माना जाता है जहाँ श्रमिक इकट्ठित हुए थे बेहतर वेतन और आठ घंटों का दैनिक मजदूरी के लिए। किसी दुष्ट ने एक बम फेका था इन लोगों पर। कई मजदूर और पुलिस मारे गए इसके कारण। तब से पहले मई के दिन को इस प्रतिवाद का दिन माना जाता है। भारत में पहली बार १ मई १९२३ को मई दिवस मनाया गया था मद्रास में जिसे लेबर किसान पार्टी ,हिंदुस्तान ने नेतृत्व दिया था। 

मई दिवस मजदूरों के अधिकार को याद दिलाता है। शोषण सही नहीं होता। उनीस्वी सदी में जब कारखानें बढ़ रहे थे , मजदूरों को दिन में १५ घंटें काम करने पड़ते थे। इसी शोषण ने मजदूरों को एक होकर प्रतिवाद के रास्ते पर चलने को मजबूर किया। अभी काफी सुधार आ चुका है मजदूरों के कार्य क्षेत्र की सुविधाओं पर और दैनिक काम के समय पर। १९७० के दरमयान यही मजदूर यूनियन जो कि उनके अधिकारों का प्रतिनिधि हुआ करता था कई समय पर नाजायज मांग के जरिए कारखानों को बंद करने पर मजबूर किया था व्यवसाय के मालिकों को। शायद उन्होंने अपने अधिकार के लक्ष्मण रेखा का उलंघन किया था। 

इधर वायरस के दूसरे लहर ने तबाही मचा रखी है। ज़्यादा लोग वायरस के प्रकोप में आ रहें हैं और ऑक्सीजन की कमी हर जगह लोगों के लिए मुश्किल बढ़ा रही है। हर कोई एक दूसरे को जिम्मेवार ठहरा रहा है इस परिस्थिति के लिए। लोगों में भगदड़ मची हुई है वैक्सीन का डोज़ लेने के लिए।  कब स्थिति काबू में आएगा किसी को अंदाज़ तक नहीं है। 

आज पूरी दुनिया में वायरस का जो परिस्थिति है , वह मुझे मजबूर कर रहा है अधिकार और जिम्मेवारी के बीच जो संपर्क होता है , उसके विषय में चर्चा करने के लिए।  आप सब लोगों ने जरूर देखा और सुना होगा कि पश्चिम के कई देशों में नागरिकों ने मास्क पहनने से इंकार किया था क्योंकि उनके मौलिक अधिकार को कुचल दिया जा रहा था। हमारे देश में मास्क पहनना मौलिक अधिकार के दमन का विषय नहीं था। ज़्यादातर लोगों ने मास्क नहीं पहना। सरकार , विशेषज्ञ , सेलिब्रिटीज , सब ने कर जोड़ कर विनती  की मास्क पहनने के लिए। परन्तु सुनता कौन है। कम से कम दूरी रखना जरूरी है। कौन इसके विषय में सोचता तक है। हम अपनी जिम्मेवारी को नहीं निभाएंगे। परन्तु १३० करोड़ भारतीय नागरिक को मुफ्त में वैक्सीन मिलना हमारा अधिकार है , इसके लिए सरकार जिम्मेवार है , यह हर किसी का सोच है। 

मैंने अपनी ज़िन्दगी में अधिकतर लोगों को ऐसा ही पाया है। परिवार , दोस्त , समाज , ऑफिस हर क्षेत्र में। इनके साथ ऐसे रिश्ते बने होते हैं कि आप इनके बिना जी भी नहीं सकते हैं। मैं ऐसे लोगों को बेहद स्वार्थी समझता हूँ। मेरा उपाय इन लोगों के लिए सहज है। स्पष्टवादी बनना। उनकी आँखों में ऊँगली डाल कर उनकी जिम्मेवारी से अवगत कराना और उस जिम्मेवारी से जुड़े अधिकार को जिम्मेवारी निभाने के साथ जोड़ देना मुझे अपनी ज़िन्दगी में बहुत मदत किया है। क्या आप मुझसे सहमत हैं ? जरूर बताईएगा फेसबुक के माध्यम से। 

तब तक मास्क पहनिए जब भी आप घर के बाहर हो। तभी निकलिए घर से बाहर जब जरूरत हो। किसीसे मिल रहें हैं तो दो गज की दूरी बरक़रार रखिये। अगर आपको वैक्सीन लग गया हो , तो आप वायरस के प्रकोप से सुरक्षित नहीं हैं अगर आपने खुद को सुरक्षित नहीं रखा है। वैक्सीन का फायदा है कि अगर आप वायरस के प्रकोप में आ गए तो आप जल्दी स्वस्थ हो जायेंगे। वैक्सीन का सुरक्षा आप कुछ इस तरह समझिए।  अगर आप घर के बाहर खुले में हो और आपके पास छतरी  हो तो आप बारिश में कम भीगेंगे बिना छतरी वाले परिस्थिति में। परन्तु आपके पास छतरी होने के बावजूद अगर आप भयंकर आँधी तूफ़ान में निकल पड़ोगे तो शायद आप खुद को बुरी तरह भीगने से नहीं बचा पाओगे। यही सोच आपको रखना होगा वैक्सीन लेने के बाद भी। आपको सावधान रहना पड़ेगा कोरोना से। 

क्या मैं आप सब लोगों से , जो कि मेरे साथ हर महीने मिलते इस लेख के माध्यम से , उम्मीद कर सकता हूँ कि आप खुद को सुरक्षित रखने का जिम्मेवारी निभाएंगे और आप जिनको प्रभावित कर सकते हैं , उनको भी अपनी जिम्मेवारी के विषय में वाकिफ कराएँगे।  यह हम सब का जिम्मेवारी है। और हम सब को स्वस्थ रहने का अधिकार भी है। 

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

नमस्कार। नया वित्तीय साल के लिए मुबारक। हम सब जो इस लेख के साथ जुड़े हुए हैं ऊपर वाले के आभारी हैं कि गत एक साल के भयानक महामारी के बाद इस नए साल में कदम रख पायें हैं। जिन लोगों को या उनके परिवार को वायरस के प्रकोप से जूझना पड़ा हो उनके प्रति मेरा संवेदना है। पिछले एक साल ने हम सब कोई का ज़िन्दगी बदल दिया है। आज के इस लेख में मैं पाँच मूल सीख के विषय में लिखना चाहता हूँ जो मैंने इस पान्डेमिक के कारण सीखा है। 

हर किसी को खुद का ख्याल खुद रखना पड़ेगा। अगर  आप और हम और हमारे प्रतिज्ञा करें कि हम सार्वजनिक स्थान पर मास्क हर वक़्त पहन कर रहेंगे और आवश्यक दूरी बरक़रार रखेंगे तो हम खुद को सुरक्षित रखेंगे और जिनसे हम मिल रहें हैं ,उनको भी सुरक्षा प्रदान करेंगे। जिस मानसिकता पर हमें विजय पाना है ,वह है कि दूसरे नहीं पहन रहें हैं ,मैं क्यों पहनूँ। दूसरी मानसिकता कि मुझे कुछ नहीं हो सकता है क्योंकि अभी तक कुछ नहीं हुआ है। इस वायरस का सबसे खतरनाक बात है कि यह बहुत जल्दी फैलता है। अगर आप अपनों के सेहत का ख्याल रखना चाहते हो , तो पहले खुद के सेहत का ख्याल रखना पड़ेगा। मैं आप सबके साथ-जो मेरे साथ हर महीने मिलते हो -मिलकर यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि हम खुद संभल के रहेंगे और जिनके साथ हमारे संपर्क है उनको प्रेरित करेंगे सावधानी बरतने का। क्या आप हमारे साथ हो ?

इस पान्डेमिक ने हर इंसान को संचय का महत्व समझा दिया है। कल किसने देखा है। आज के लिए जीना चाहिए। मैं इस सोच से सहमत हूँ। परन्तु अगर कल आ जाये और हमे उस दिन जीने के लिए जरूरी साधन ना हो , तो फिर हम आने वाले 'आज ' का आनंद कैसे उठाएँगे ? यह जरूर सोचिये। संचय का आदत बना लीजिए। और ख्याल रखिएगा कि बूँद -बूँद से घड़ा भरता है। संचय का प्लानिंग और अनुशाषन दोनों जरूरी नहीं , मजबूरी है। यह हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन , दोनों के लिए आवश्यक है। 

जैसा चल रहा है , वैसा चलता रहेगा। ऐसा सोचना ही रिवर्स गियर में गाड़ी चलाने के जैसा है। भविष्य में फिर कोई क्राइसिस होगा कि नहीं , किसी को पता नहीं है। बिजनेस के नियम और माँग दोनों बदल चुके हैं और तेजी से बदलेंगे। इस बदलते हुए समय के दौरान खुद को लगातार सीखने के मानसिकता से अग्रसर होना पड़ेगा। चाहे आप गृह बधु हो , विद्यार्थी हो , बिज़नेस मैन हो , नौकरी में हो , रिटायर्ड हो -हर किसी को अपने सॉफ्ट स्किल्स को बेहतर बनाना पड़ेगा। इसके साथ डिजिटल दुनिया के साथ हाथ मिलाने का प्रशिक्षण लेना पड़ेगा। इसका कोई विकल्प नहीं है। डिजिटल के वजह से बहुत सारे अपॉर्च्युनिटीज़ उभर कर सामने आए हैं जिसके कारन आपका निवास का जगह से विश्व के हर जगह से जुड़ चुका है। इसका फायदा जरूर उठाइये। 

वर्क फ्रॉम होम रिमोट वर्किंग का एक तरीका है। इस तरह काम करने का आदत डाल लीजिये। इसके कई सुविधा और असुविधाएं हैं। अपने घर में जहाँ तक संभव हो सके अपने लिए एक अलग जगह बना लीजिये जहाँ पर कुछ हद तक आप ऑफिस का माहौल बना सकें। ऑफिस में जैसे कपड़े पहनते हैं , पहने। इन सब के कारण आपके काम करने के मानसिकता पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ेगा। घर वाले को अनुरोध कीजिये कि वो आपको ऑफिस में समझे और उसको ध्यान में रखते हुये पेश आएं। अगर आप घर से काम कर रहे हो , तो सुबह शाम जरूर घर से बाहर निकलिए अपने मानसिक संतुलन को बरक़रार रखने के लिए। 

हर इंसान जो कि हमारे जिंदगी को आसान बना रहा है , उसकी इज्जत करें। लॉकडाउन के समय जब घर की बाई या ड्राइवर जब काम पर नहीं आ सकता था , हम सबने उनके महत्व को समझा और उनको नए नज़र से देखना शुरू किया। उनका अवदान , हमारे जीवन में हमने शायद कभी पहले इतना महसूस नहीं किया था। क्राइसिस के समय हमारा व्यवहार और स्वाभाविक समय पर उनके साथ हमारा वर्ताव अलग नहीं हो सकता है। उनके साथ इज्जत और संवेदना के साथ हर समय पेश आना मायने रखता है। 

उम्मीद करता हूँ कि आपका वित्तीय साल बेहतरीन होगा।  आपने जो सीखा है गत बारह महीनें में हमें जरूर बताईये फेसबुक के माध्यम से। इंतेज़ार करूँगा। खुद सावधान रहिये। दूसरों को प्रेरित कीजिये। इसी में हम सब का मंगल है। 

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

 नमस्कार। वित्तीय वर्ष के आखरी महीने तक पहुँच गए हैं। वायरस का प्रकोप और लकडाउन का साल गिरह भी इस महीने का माइलस्टोन होगा। समय कैसे गुज़र गया और हम नए अंदाज़ में ज़िन्दगी जीने लगे हैं। वायरस के साथ संघर्ष अभी भी बरक़रार है। कुछ राज्यों में बढ़ते हुए आंकड़ों ने अधिकारिओं को चिंतित कर दिया है। एक्सपर्ट्स वायरस के दूसरे लहर की उम्मीद कर रहें हैं। सावधानी से जीने में ही हम सब का मंगल है। 

मार्च के महीने में हर साल टैक्स बचाने का प्लॅनिंग करते हैं , अंतर्राष्ट्रीय नारी दिवस का पालन करते हैं, विद्यार्थी वार्षिक परीक्षा के जरिए अगली कक्षा में उत्तीर्ण होने का प्रयास करते हैं , और नौकरी करने वाले वार्षिक अप्रैज़ल के लिए प्रस्तुत होतें हैं। व्यवसाय के मालिक अगले वित्तीय वर्ष का प्लानिंग करते हैं। 

इस साल भी कुछ नहीं बदलेगा। परन्तु इस साल अप्रैज़ल अलग होगा। कई बिज़नेस बदल चुकी हैं वायरस के वजह से। वर्क फ्रॉम होम और बिज़नेस में नुकसान और मंदी दोनों का प्रभाव रहेगा इस साल। मेरे इस लेख का उद्देश्य है आप सबके साथ अप्रैज़ल करते वक़्त किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। इस वक़्त मुझे यह बताना आवश्यक है कि अप्रैज़ल केवल नौकरी के क्षेत्र में ही प्रयोग नहीं होता। इसका प्रयोग हमारी निजी ज़िन्दगी में उतना ही , या उससे ज़्यादा महत्व रखता है। अप्रैज़ल शब्द का हिंदी है मूल्याङ्कन। इस प्रथा के अनुसार किसी का मूल्याङ्कन होता है और कोई मूल्याङ्कन करता है। इस प्रथा के लिए दोनों को समय देना पड़ता है और पर्याप्त तैयारी करनी पड़ती है। दोनों को इस प्रथा के महत्व को स्वीकार कर उचित प्रयास करना जरूरी है। तीन विषय को ख्याल में रखना आवश्यक है। 

पहली बात। अप्रैज़ल का मूल उद्देश्य होता है प्रोत्साहित करना बेहतर परिणाम के लिए। ना कि केवल गलतियों पर चर्चा करना। इस लिए मूल्याङ्कन के वक़्त दोनों के बीच सोची समझी वार्तालाप बेहद जरूरी है। अक्सर मूल्याङ्कन करने वाला दूसरे को बोलने का मौका ही नहीं देता है। इसका एक वजह यह होता है कि मूल्याङ्कन करने वाला खुद को दूसरे से ऊँचे पदान पर सोचता है। घर का वातावरण ले लीजिए। एक पिता अपने आप को अपने बच्चों से ऊँचे पादन से वार्तालाप करता है। और यहीं पर मूल्याङ्कन का प्रयास अपनी पटरी से उतर जाता है। जिसका आप मूल्याङ्कन कर रहें हैं उनको पहले बोलने का मौका दीजिये। इससे आप समझ पाईयेगा कि वह खुद अपने प्रदर्शन को किस नजरिए से देख रहा है। क्या वह खुद समझ पा रहा है कि क्या उन्होंने सही किया है या गलत। इस पद्धति को अपनाने से मूल्याङ्कन करने वाले को सुविधा होती है सही और सठिक फीडबैक देने में। 

दूसरी बात जो ख्याल रखना जरूरी होता है कि मूल्याङ्कन करने वाले का मूल्याङ्कन के मापदंड क्या होंगे ? इसके लिए प्रदर्शन को कैसे मापा जायेगा इस विषय पर सम्पूर्ण स्वच्छता होनी चाहिए। इस मापदंड के अनुसार मूल्याङ्कन करने वाला और जिसका मूल्यांकन हो रहा है , दोनों को तैयार होना पड़ेगा। मूल्याङ्कन के प्रथा के समय इस मापदंड को बदल डालना या उनसे भटक जाना गलत होता है। अक्सर यह गलती मूल्याङ्कन के महत्व को घटा देती है। 

तीसरी बात जो हमें ख्याल रखना है कि मूल्याङ्कन एक इंसान का उनके प्रदर्शन के लिए हो रहा है। मूल्याङ्कन करने वाला प्रदर्शन के अलावा और किसी भी मापदंड का प्रयोग करने से ही पक्षपात होता है। मर्द ,औरत ,बच्चे ,बुजूर्ग , अमीर ,गरीब , सीनियर ,जूनियर जैसे सोच का कोई स्थान नही है। हमें इस बात का हर वक़्त ख्याल रखना है कि मूल्याङ्कन का एकमात्र मकसद है बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करना। इसके उपरांत जिसका मूल्याङ्कन हो रहा है , उसको यह स्पष्ट हो जायेगा कि जो वह सही कर रहा है अपने प्रदर्शन के लिए , उसे करते रहना पड़ेगा और उसमें और बढ़ोतरी लानी पड़ेगी। जो गलत कर रहा है , उसे ठीक करना पड़ेगा या उस गलती को त्याग करना पड़ेगा। और भविष्य के लिए मापदंड का चयन कर नई शुरुआत करनी पड़ेगी। 

इस सन्दर्भ में मुझे इस विषय का जिक्र करना आवश्यक है कि अंतर्राष्ट्रीय नारी दिवस केवल एक दिन होता है हर वर्ष। परन्तु नारी का सम्मान और समान अधिकार हर समय करना हमारे समाज को आगे बढ़ाने के लिए अत्यावश्यक है। मर्द अक्सर नारी को उनसे कमजोर सोचते हैं। दरअसल नारी मर्द से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली है क्योंकि नारी एक इंसान को जन्म देने का क्षमता रखती है। हर दिवस नारी दिवस है। ८ मार्च तो केवल सेलिब्रेट करने का एक बहाना है। 

रंगो का त्यौहार भी इसी महीने में हैं। सावधानी के साथ होली का आनंद उठाइयेगा। मुलाकात होगी फिर नए वित्तीय वर्ष के पहले महीने में। खुश रहिये। स्वस्थ रहिये। 

शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

नमस्कार। इकीसवीं सदी के  इकीसवीं साल के लिए आपको बधाई। पूरी दुनिया में हम सब इस उम्मीद के साथ जी रहें हैं कि २०२१ गत वर्ष की तुलना में बेहतर साल होगा। इग्यारह महीनों के पश्चात् हम जान जायेंगे की हमारी यह उम्मीद सही थी या गलत। वैक्सीन की उपलब्धि ने हम सब का मनोबल बढ़ा दिया है। परन्तु वायरस अभी भी बरकरार है। पश्चिम के देशों में स्तिथि बिगड़ती जा रही है। मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी के कारण कई देशों ने फिर से लोकडाउन का एलान किया है। हमारे देश में सौभाग्यवश स्तिथि बेहतर है। हम सब अगर सावधानी बनाये रखें तो हमारे परिस्थिति में और सुधार आएगा। 

भारत के २०२१ का शुरुआत जबरदस्त रहा। भारतीय क्रिकेट टीम ने दोबारा ऑस्ट्रेलिया पर सीरीज विजय हासिल किया। और वह भी कठिन परिस्थितिओं का सामना करके। जहाँ अधिकतर सीनियर खिलाड़ी किसी ना किसी वजह से टीम के बहार थे। इस जीत ने मुझे कई सीख दिया। 

कहा जाता है कि चलते हुए गिर जाने में कोई लज्जा नहीं है। गिर कर उठना और फिर चलना प्रशंशनीय होता है। पहले टेस्ट के दूसरी पारी में सर्वनिम्न स्कोर के बाद भारतीय टीम ने यह कर के दिखाया। और जब कि टीम का कप्तान व्यक्तिगत कारन से घर वापस आ गया। उप कप्तान जिन्होंने कप्तानी संभाली अपने खुद के फॉर्म से जूझ रहा था। और उसके ऊपर कप्तानी की जिम्मेवारी। क्या कारन रहा उनके सफलता का। श्रंखला के अंत में उन्होंने यह बताया कि उनके कप्तान ने उनको सदा समर्थन किया जब उप कप्तान का फॉर्म ख़राब था। उनको टीम में अपनी जगह के लिए कभी भी सोचना नहीं पड़ा। कप्तान के इस आस्था ने उप कप्तान का मनोबल बढ़ाया। अगर किसी इंसान को टीम में अपने स्थान के लिए चिंता ना करना पड़े, तो वह बेहतर प्रदर्शन करता है। एक तरह से देखिये तो उप कप्तान ने अपने कप्तान को रिटर्न गिफ्ट दिया -उनके आस्था और समर्थन का। यही किसी टीम के सफलता का नीव है। एक दूसरे पर आस्था और भरोसा। 

इस उप कप्तान के कप्तानी की बहुत प्रशंसा हुई है इस जीत के बाद। कई विशेषज्ञों ने तो यह भी सलाह दिया है कि उन्हें परमानेंट कप्तान बना दिया जाय। इसके जवाब में उपकप्तान ने स्पष्ट कहा है कि यह टीम कप्तान का है और कप्तान के वापसी पर वह उप कप्तान की हैसियत में उनको समर्थन करते रहेंगे। यह उप कप्तान इतना सफल क्यों हुआ ? उन्होंने अपने अंदाज़ में टीम को नेतृत्व दिया। उन्होंने किसी को नक़ल करने की कोशिश नहीं की। यह बहुत जरूरी है किसी के भी सफलता के लिए। हर इंसान अलग है और उसको खुद को पहचानना जरूरी है। कौआ कभी हंस की चाल नहीं चल सकता है। यह स्वीकार करना आवश्यक है। 

उन्होंने अन्य चुने खिलाड़िओं को अपने क्षेत्र का कप्तान बनाया और उनको स्वाधीनता दी अपने अंदाज में दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए और गाइड करने के लिए। उनका एक वार्ता था -परिणाम हमारे हाथ में नहीं है -अपनी पूरी काबिलियत के अनुसार मैदान में प्रदर्शन करना एक मात्र फोकस होना चाहिए। इस के कारन हर खिलाड़ी के दिमाग से डर गायब हो गया और वह खेल का आनंद उठा सके। 

नयी पीढ़ी के खिलाड़िओं ने इस जीत में अहम् भूमिका निभाई। यह कई साल के कोशिश का परिणाम है। युवा खिलाड़िओं का सठिक प्रशिक्षण और उनको तरह तरह की परिस्थितिओं में अनुभव दिलाना इस सफलता का मूल मंत्र है। जिस भूतपूर्व महान खिलाड़ी उनको कोच कर रहें हैं उनको भी काफी प्रशंषा मिली है। यद्यपि उन्होंने यह कहा है कि पूरा श्रेय खिलाड़िओं को प्राप्त है , उनको अन्यथा तारीफ मिल रहा है। 

आखरी सीख है उप कप्तान के सठिक निर्णय का। जब कुछ दर्शक ने हमारे एक युवा खिलाड़ी को वर्ण विद्वेष के मंतव्य से आक्रमण किया , अंपायर ने भारतीय कप्तान को टीम को लेकर मैदान से निकल जाने की सलाह दी। हमारे कप्तान ने इंकार कर दिया। उनका कहना था कि हम क्रिकेट खेलने के लिए आये हैं।  क्रिकेट खेलेंगे। दर्शक खेल का आनंद लेने के लिए आएं हैं। चंद दर्शकों के कारन और लोग अच्छे खेल के आनंद से क्यों वंचित होंगे। आप उन दर्शकों को स्टेडियम से निकाल दीजिये जिन्होंने वर्ण विद्वेष का नारा उठाया है। यह होता है सही निर्णय और फोकस। हमारे अस्तित्व का कारन जो भी है , उस पर टिके रहना ही उचित होता है। 

हम इस साल के दूसरे महीने में आज प्रवेश कर रहें हैं। यह महीना वैलेंटाइन का महीना है।  यानि रोमांस का महीना। खुद से पहले रोमांस कीजिये। खुद को प्यार कीजिये। ऊपर वाले ने हम सब को यूनिक बनाया है। इसका आनंद लीजिये। फिर किसी और से रोमांस कीजियेगा। खुश रहिये। पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त।