शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

Happy New Year

नमस्कार। २०२४ के लिए हमारी शुभकामनाएँ। हैप्पी न्यू ईयर। हम हर किसी को नए साल के शुरुआत में  हैप्पी न्यू ईयर कह कर ऊनके लिए हैप्पी होने का दुआ करते हैं। आज का लेख इसी सन्दर्भ में है। 

हम खुद चाहते हैं कि हम हैप्पी रहें और हमारे अपने भी हैप्पी रहें। परन्तु हमने कभी यह सोचा है कि हमारा हैप्पीनेस का मापदंड क्या है और हम कैसे अपना हैप्पीनेस बढ़ा सकते हैं ? आपने कभी सोचा है इस विषय पर अपने लिए ? क्या निष्कर्ष रहा आपका ,खुद के लिए ? आपने क्या कभी अपनों के लिए यही प्रश्न किया है ? अपने जीवन साथी को क्या हैप्पी बनाता है ? शायद आपने उतनी गहराई के साथ सोचा होगा जैसा कि आप इस वक़्त सोच रहे होगे ,इस लेख को पढ़ते वक़्त। 

हैप्पीनेस दो तरह के होते हैं -एक जो कि अप्रत्याशित है और दूसरा जो कि परिकल्पित या प्लैन्ड है। उदहारण स्वरुप आप चाहते हैं कि आपका बच्चा, जो कि पढ़ाई में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं रखता है ,परीक्षा में अच्छे मार्क्स लेकर आए। सहज प्रश्नपत्र होने की वजह से अगर उसे अच्छे मार्क्स मिल जाए तो आप हैप्पी हो जायेंगे। यह अप्रत्याशित हैप्पीनेस का एक नमूना है। एक और उदाहरण -आप अपना वज़न कम करना चाहते हो।  कुछ नहीं करने के बावजूद आपका वज़न घट जाता है। आप हैप्पी हो जाओगे। अप्रत्याशित हैप्पीनेस। एक मात्र असुविधा है कि इस हैप्पीनेस पर आपका कोई कण्ट्रोल नहीं है। आप इसको दोहरा नहीं सकते हो। आपको अच्छे समय का इंतज़ार करना पड़ेगा। हैप्पी होने के लिए। 

परिकल्पित हैप्पीनेस के लिए यह समझना पड़ेगा कि मेरा हैप्पीनेस कहाँ छुपा है। मेरा तजुर्बा बताता है कि हम खुद के साथ इस विषय पर सोचते नहीं हैं। कुछ ऊपरी अनुभूति हमें खुश करती है। जैसा कि मैं चूँकि खाने का शौक़ीन हूँ ,अच्छा खाना मुझे खुश कर देता है। यह ख़ुशी महत्वपूर्ण और जरूरी है। परन्तु जिस  ख़ुशी को समझने के लिए और गहराई से सोचना जरूरी है ,उस पर सोच विचार करना जरूरी है। मुझे ख़ुशी मिलती है जब मैं दूसरों को प्रोत्साहित कर पाता हूँ अपने सोच के माध्यम से। यह उपलब्धि मुझे तब हुई जब आप जैसे कई पाठक मेरे साथ फेसबुक के माध्यम से मेरे साथ जुड़ने लगे , मुझे प्रश्न पूछने लगे अपने कैरियर या दुविधा के विषय में। इस लिए मैं हर महीने कोशिश करता हूँ नए सोच के साथ अपने लेख को पेश करने का। 

अपनों के हैप्पीनेस के विषय में हम अक्सर एक गलती कर बैठते हैं। हम अपने हैप्पीनेस को अपनों का हैप्पीनेस समझ बैठते हैं। कई अभिवावक अपने बच्चों को गाना सीखने के लिए मजबूर करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि गाना सीखने से बच्चे को दूसरे बच्चों के तुलना में आगे रहने में सहायता होगा और उनको अपने बच्चे पर और गर्व होगा। परन्तु बच्चा शायद गाना सीखने में दिलचस्पी ना रखता हो। मजबूरी के कारण वह गाना सीखने की कोशिश करता है। ताकि उसके अभिवावक नाराज ना हो। यह हैप्पीनेस का गलत नमूना है। 

मेरा मानना है कि हमें अपने लिए हैप्पीनेस के लिए ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिसके कारन कोई और दुखी हो जाए। यही हैप्पीनेस का पहला नियम है। परन्तु हैप्पीनेस का मूल मंत्र क्या है ? हाल में एक हिंदी सिनेमा में मुख्य किरदार ने एक बेमिसाल डायलाग बोला है -हैप्पीनेस इस अ डिसिशन -अर्थार्थ हमारी ख़ुशी हमारा डिसिशन है। और किसी का नहीं। खुश रहिए। हैप्पी न्यू ईयर।