शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

नमस्कार। देखते देखते एक और साल के आखिरी महीने में हम पहुँच गए हैं। कैसा रहा अब तक का सफर ,इस साल ?दावे के साथ कह सकता हूँ कि सफलता ,असफलता और निराशा हर व्यक्ति के सफर का अभिन्न हिस्सा रहा होगा। खुशियाँ और गम दोनों ने अपना किरदार निभाया होगा। एक क्षण के लिए अपनी आँखें बंद कीजिये और गत इग्यारह महीनों के घटनाओं के विषय में सोचिए। कौन सी बात पहले दिमाग में आती है ?बहुत आनंददायक या निराशा वाली घटना ? मैंने एक रिसर्च किया था इस विषय पर। पचास में छत्तीस वक़्ति के मन में निराशा के घटना ने पहला अभिर्भाव किया। बाकि चौदह लोगों के ज़िन्दगी में कुछ ऐसी घटनाएँ हुई थी जो कि बहुत खुशी वाली थी और जो कि कभी -कभी होती है। एक वक़्ति का पाँच साल के बाद नौकरी में प्रोमोशन मिला जिसके कारण वह मैनेजर बन गया। एक बुजुर्ग पहली बार दादा बनने का आनंद अनुभव किया।
साल के इस अंतिम लेख का विषय है हमारे सोच के विषय में , खुद के लिए। शुरुआत में चर्चा करते हैं अपने संकल्प के विषय में जो हमने किया था इस वर्ष के शुरू में। कितना सफल हुए हम ? सोचने पर असफलता पहले दिमाग में आता है, सफलता शायद ख्याल में उतनी जल्दी नहीं आता है। हम अपने भाग्य को कोसते हैं। दूसरों के सौभाग्य पर जलते हैं। और इसी वजह से और भी मायूस हो जाते हैं। मेरी पहली सलाह -इस साल जितनी भी सफलता आपने हासिल की है ;उसको अपने दिमाग में ज़्यादा जगह दीजिये। इस सफलता का आनंद लीजिए। जहाँ सफलता नहीं मिली उसका कारण निकालिए। असफलता के लिए हम अकसर हम अपने किसमत को दोष देते हैं। खुद को नही। सफलता का कारण मैं हूँ। असफलता के लिए मैं जिम्मेवार नहीं हूँ। मेरा भाग्य या कोई और जिम्मेवार है। इस सोच को बदलना पड़ेगा। मेरी सफलता या असफलता के लिए मैं ही जिम्मेवार हूँ। और कोई नहीं। जिस दिन आप अपने आप को इस विषय पर राज़ी करवा लोगे ;आपकी ज़िन्दगी बदल जाएगी। मैंने किया है काफी प्रयास के बाद। पहले अपने किसमत को कोसता था ;अब खुद को प्रोतसाहित करता हूँ। सबसे बड़ा फायदा है अपने आप पर विश्वास बढ़ गया है।
पिछले कई लेख में मैंने बॉलीवुड के फिल्मों से सीखी हुई बातों का ज़िक्र किया है। इस बार भी करूँगा। एक फिल्म पिछले महीने काफी हिट हुई है। इस फ्लिम के मुख्य अभिनेता के ज़िन्दगी में एक ही समस्या जो कि उनके कॉन्फिडेंस को हिला देती है -उनके झड़ते हुए बाल और उसके कारण हुई गंजापन। उनको अहँकार था अपने केश पर। सावंली लड़कियों पर हँसता था। खुद को हीरो समझता था। झड़ते हुए बालों ने उनका मनोबल पूरा तोड़ डाला। परंतु वह सावंली लड़की का खुद पर विश्वास कोई नहीं हिला सका। हर कोई उसके ना गोरे होने पर ताना देता था।
कई सीख इस छोटे से उदाहरण से हमें मिलती है। पहली सीख अहँकार का कोई स्थान नहीं है। आज का अहँकार कल कमजोरी बन सकती है। अच्छे समय बुरे समय में बदल सकता है। उस वक़्त अपना मनोबल बरक़रार रखना महत्वपूर्ण है।
दूसरी सीख यह है कि मेरा मनोबल मेरे सावंलेपन  या सर पर बाल कम होने से प्रभावित नहीं होगा। इसे हम अंग्रेजी भाषा में हैंडीकैप कहते हैं। क्या कोई भी एक उम्र के बाद अपनी लंबाई बढ़ा सकता है ? नहीं। नाटा व्यक्ति क्यों किसी लम्बे इन्सान से अपने आप को कम काबिल सोचेगा ? सर पर बाल कम है तो क्या हुआ ? हम अपने हैंडीकैप से इतना हौसला खो देते हैं कि अपनी काबिलियत को भूल जाते हैं। और इसी कारण हमें टेंशन और स्ट्रेस हो जाता है जिसके कारण हम पहले ही हार जाते हैं।
तीसरी सीख आती है मुख्य किरदार के पिता के चरित्र से। अपने बेटे का हौंसला बढ़ाने के लिए ; एक विग खरीद कर अपने बेटे को भेंट करता है। विग पहन कर बेटे का हौंसला वापस आ जाता है। परंतु एक वक़्त आता है , जब उसे अपने गंजेपन को स्वीकार करना परता है ,किसी मजबूरी के कारण। तब उसे एहसास होता है कि विग का कोई जरूरत नहीं हैं। क्योंकि उसे लोग प्यार करते हैं उसके बालों के लिए नहीं।  वह जैसा इंसान है , उसके लिए। इस साल के अंत में आपसे विनती करूँगा कि अपने हैंडीकैप पर विजय हासिल कीजिए और अपने आप पर विश्वास कीजिए -आप सफल या असफल खुद के लिए होते हैं। देखिए आपका मनोबल कैसे बढ़ जाता है।
अगली मुलाकात २०२० में होगी। जब तक आपने अपने लिए नए संकल्प बना लिए होंगे। २०२० के लिए अग्रिम मुबारक। फेसबुक के माध्यम से आपके फीडबैक का इंतज़ार करूँगा। खुश रहिए।