शुक्रवार, 28 जून 2019

नमस्कार। बारिश का इंतेज़ार ने गर्मी को और ज़्यादा असहनीय बना दिया है। कष्ट होता है जब किसीको पानी बर्बाद करते हुए देखता हूँ। हमारे देश में कई जगहों पर लोग पानी के लिए तरस रहें हैं। कोशिश कीजिये पानी बचाने का। मुझे तजुर्बा है दिन में केवल एक बालटी पानी से दिन चलाने का। करीब चालीस साल पहले इस एक बालटी पानी ने मुझे एक जबरदस्त सीख दिया था -जो हमें आसानी से मिल जाती है उसका हम कदर नहीं करते हैं। जब मजबूरी होती है ,तब हम समझते हैं कि हम कितना बरबाद करते हैं।
आज मैं दो विषय पर लिखुँगा -बोर्ड परीक्षा के मार्क्स और विश्व कप क्रिकेट का दिलचस्प विश्लेषण। आप सोच रहे होंगे कि ये दोनों विषय एक दूसरे से कैसे जुड़े हुए हैं। एक अंग्रेजी शब्द दोनों विषय को जोड़ता है -performance
पहले चर्चा करता हूँ बोर्ड परीक्षा के मार्क्स के विषय में। मेरे मित्र की बेटी ISC परीक्षा में पुरे भारत में चौथा स्थान हासिल कर पाई है ९९ प्रतिशत से ज़्यादा मार्क्स पा कर। परन्तु यह बच्ची नाखुश थी। अपने परफॉरमेंस पर। चूँकि उन्हें गणित में १०० प्रतिशत नंबर नहीं मिले। ९७ प्रतिशत मार्क्स ही मिले। एक प्रसिद्द कॉलेज में उनको economics में जगह नहीं मिली। इतनी अच्छी बच्ची क्रमशः मायूसी के कारण डिप्रेशन की ओर अग्रसर हो रही थी। मेरे मित्र ने मुझे उससे बात करने के लिए अनुरोध किया। करीब तीन घण्टे की बातचीत के दौरान कई पहलु उभर कर सामने आये। गणित इस बच्ची का favourite subject नही है। इस कारण उसको अच्छे नंबर नहीं प्राप्त होते थे। उन्होंने ठान लिया था कि गणित पर वह विजय हासिल करेगी। उन्होंने गणित सीखने का एक मात्र तरीका अपनाया -practice इतनी मेहनत की उन्होंने कि बीमार हो गई। उसका खेद इस बात का था कि उसने तीन नंबर अपनी लापरवाही के कारण गँवाया ,ना जानने के कारण नहीं। मैंने केवल एक सलाह दी -९७ प्रतिशत का आनंद लो। तुमहारे मार्क्स जो है वही रहेंगे। दूसरी बात आगे की पढ़ाई में ऐसे subjects का चयन करो जिसमें गणित का प्रभाव और जरूरत कम है। उन्होंने कहा नहीं यह संभव नहीं है। मैंने पूछा क्यों। तब एक चिंता जो उनको परेशान कर रही है उभर कर आई। मैं अचंभित हो गया उसकी बातों को सुन कर। ICSE के परीक्षा में भी इस बच्ची को ९७ प्रतिशत से ज्यादा मार्क्स प्राप्त हुए थे। परन्तु उसने विज्ञान के subjects को नहीं चुना। humanities के subjects का चयन किया। और इसी बात पर उनके रिश्तेदार ,पारिवारिक मित्र और अन्य लोगों ने उनको धिक्कार दिया। और यही इस बच्ची के लिए भारी पर गया। उसने अपने लिए नहीं ,दूसरों के लिए जीना शुरू कर दिया। और यही उनकी गलती थी। अगर कोई अभिभावक इस लेख को पढ़ रहा हो ,उनसे केवल निवेदन करूँगा अपने बच्चों को उनका subjects का चयन खुद करने दीजिए। अभी विज्ञान पढ़ना जरूरी नहीं है। अभी कैरियर के अनगिनत चॉइस हैं। बच्चों को उनका जिंदगी उनकी तरह से जीने दीजिये। इसी में हम सब का मंगल है। इस बच्ची को हमारे देश के एक टॉप कॉलेज में economics पढ़ने का मौका मिल गया है। शायद उसने गलत निर्णय लिया है क्योंकि गणित का एक महत्वपूर्ण भूमिका होता है इस विषय पर। सफलता जरूर हासिल करेगी क्योंकि उसमे प्रतिभा और ज़िद दोनों पर्याप्त हैं। परन्तु किसी और subject पर उसका दखल कहीं ज़्यादा है। परन्तु वह अपने रिश्तेदारों को दुबारा ताने मारने का मौका देना नहीं चाहती है।
अब चर्चा करते हैं क्रिकेट विश्व कप का। अब तक हमारी टीम ने एक भी मैच नहीं हारा है। बहुत अच्छा खेल रही है हमारी टीम। परन्तु हमारे कप्तान कूल का मीडिया और समालोचक ने बड़ी निंदा और चर्चा की है। एक मैच में मंथर बैटिंग के कारन। क्या वह नहीं प्रयास करना चाहते हैं जल्द रन बटोरने का। जरूर प्रयास कर रहे होंगे। कभी -कभी आपकी चेष्टा का फल नहीं मिलता है। इसका मतलब यह नहीं होता है कि आपकी काबिलियत कम हो गयी है। ऐसी परिस्थितिओं में आपको सहानुभूति चाहिए , धिक्कार नहीं। हम यहीं गलत हो जाते हैं। एक मिसाल पर आधारित हो कर हम मंतव्य कर देते हैं। समालोचक को चुप हो जाना पड़ा क्योंकि हमारे कप्तान कूल ने कड़ा जवाब दिया अगले मैच में ही जबरदस्त बैटिंग कर के। मैं खुश हूँ क्योंकि हमारे कप्तान कूल का सबसे महत्वपूर्ण गुण है कि विजय पाने पर वह ज्यादा उत्तेजित नहीं होते। ना ही हारने पर मायूस। सर्वदा मुस्कुराते रहते हैं। खेलते हैं जीतने के लिए। यह जानते हुए कि खेल के दो ही परिणाम हैं -हार या जीत। इसी लिए अपने स्नायु पर काबू रख पाते हैं मैच के कठिन परिस्थितिओं के समय। उनसे बहुत कुछ सीखना है हम सब को। मुझे विश्वास है कि जिस दिन उनको महसूस होगा कि बहुत हो गया है। और आनंद नहीं मिल रहा है खुद अवसर लेने का घोषणा करेंगे। शायद वह दिन ज़्यादा दूर नहीं है। मैं आपको सलाम करता हूँ -कप्तान कूल। आपसे हमने बहुत कुछ सीखा है अब तक। आगे भी सीखता रहूँगा। दुआ करता हूँ की विश्व कप आपके हातों में देखूंगा। १२ ० करोड़ से अधिक भारतवासिओं का दुआ विफल नहीं होगा।
अपना ख्याल रखिये। पानी बचाने का प्रयत्न कीजिए। और अपने performance से निराश मत हो जाईएगा। गौतम बुद्ध को याद कीजिये -Success consists of going from failure to failure without loss of enthusiasm. फेसबुक के माध्यम से जरूर फीडबैक दीजिएगा मुझे।