शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

नमस्कार। अगस्त का महीना। स्वाधीनता दिवस का महीना। आज़ादी का ७६ साल में हमारा भारत कदम रखा है। हमने आज़ादी का महोत्सव बखूबी मनाया है इस साल। सश्रद्ध प्रणाम उन सब वीर को जिन्होंने अपने तरीके से आज़ादी का जंग लड़ा जिसके कारण हम सबका जन्म आज़ाद भारत में हुआ। शायद हम सब किसी न किसी परिवार के विषय में जानते हैं जिनके किसी पूर्वज ने अपना भूमिका निभाया आज़ादी की लड़ाई में। सबसे महत्वपूर्ण विषय है कि लोगों ने अपने आप इस जंग में हिस्सा लिया -किसी ने उन्हें मजबूर नहीं किया। यह  निःस्वार्थ योगदान कुछ हद तक मजबूरी भी थी।  हमने कभी पराधीन होने का अनुभव महसूस नहीं किया है। जिन्होंने किया है एक ही बात कहा है पराधीनता के विषय में -दम घुटता है। हमने तो आज़ादी हासिल कर ली है। परन्तु क्या हम औरों के स्वाधीनता के विषय में जागरूक हैं ? आज का लेख का विषय है स्वाधीनता ,स्वाधीन देश में। 

जरा सोचिये। अगर आप नौकरी करते हैं तो यह बताईये कि क्या आपको कर्मस्थल में ऐसी सब स्वाधीनता मौजूद जो कि आपको अपने काम के लिए जरुरत है और जो की आपके कंपनी के लिए फायदेमंद है ? अगर आपको काम के क्षेत्र में ऐसी स्वाधीनता प्राप्त हो ,तो आप खुशकिस्मत हो। मेरा तजुर्बा कहता है कि अधिकतर लोगों को यह स्वाधीनता नहीं मिलता है। 

एक और उदाहरण लीजिये अपने घर से। अपने परिवार में महिलाओं को कितनी स्वाधीनता प्राप्त है ? और बच्चों को ? बच्चोँ की उम्र बढ़ती ही नहीं है ,अभिवावकों के नज़र में। अकसर हम पुरुष निर्णय लेते हैं कि किसको कितना स्वाधीनता प्राप्त होगा। हम कौन होते हैं इस अधिकार का हक़ जताने का। हमारे देश में यह एक बड़ी समस्या है। सरकार को भी बेटी बचाओ का अभियान चलाना पड़ता है। इस शताब्दी में लड़कियों ने काफी प्रगति की है -अपने कैरियर में और अपनी स्वाधीनता के लिए। कई क्षेत्र में सरकार का प्रयास भी सराहनीय है -जैसे भारतीय सेना में महिला फाइटर पायलट का नियोग। 

थोड़ी चर्चा करते हैं कि क्यों हम औरों को स्वाधीनता प्रदान करने से हिचकिचाते हैं - कर्मस्थल पर या घर में या समाज में। मेरा निष्कर्ष इस मुद्दे पर यह है कि हम किसी को स्वाधीनता देने से इंकार करते हैं क्योंकि हम  एक गलतफहमी के गुलाम है। हमारा सोच है कि किसी को स्वाधीनता देने से हमारा पॉवर घट जायेगा। अगर आगे वह हमारा बात ना सुने। अगर वह स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद हमारे हाथ से निकल जाए। 

पहला कदम क्या है दुसरों को स्वाधीनता प्रदान करने में। खुद को खुशकिस्मत समझना कि हमें ऐसा अधिकार है कि हम किसी को स्वाधीनता दे सकते हैं। इसके लिए अपने आप पर भरोसा रखना जरूरी होता है। अंग्रेजी में जिसे सेल्फ कॉन्फिडेंस कहते हैं।

दूसरा कदम है कि हम किसको स्वाधीनता दे सकते हैं। उसी को जिस पर भरोसा कर सकते हैं कि स्वाधीनता मिलने पर वह इंसान उस स्वाधीनता का नाजायज फायदा नहीं उठाएगा और उसमें क्षमता है कि वह अपना निर्णय खुद ले सकता है। हमने कई लोगों को स्वाधीनता मिलने के बावजूद स्वाधीनता स्वीकार करने का कॉन्फिडेंस नहीं दिखा पाता है। एक उदाहरण के तौर पर आपने कर्मक्षेत्र में कई ऐसे लोगों को देखा होगा जिनको किसी विषय में निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है परन्तु यह इंसान एक बार अपने बॉस से पूछ लेना चाहता है। ऐसा इंसान कभी भी काम के क्षेत्र में स्वाधीनता नहीं चाहता है। 

तीसरा कदम है स्वाधीनता प्रदान करने के बाद उसका मॉनिटरिंग करना। यह ऐसा नहीं हो सकता है कि उसका स्वतंत्रता घुटता महसूस हो। मान लीजिए आपने अपने बच्चे को कुछ जेब खर्च दिया है पहली बार। हर रोज़ आप यह नहीं पूछ सकते हो कि क्या ख़रीदा ,बिल दिखाओ। महीने में या हफ्ते में एक बार आप जरूर चर्चा कर सकते हो जेब खर्च मिलने की वजह से बच्चे को क्या फायदा हो रहा है और वह उस पैसे का इस्तेमाल कैसे कर रहा है। बहुत सारे अभिभावक यह जान कर अचंभित हो जाते हैं जब बच्चे उन्हें यह बताते हैं कि जेब खर्च का संचय करके कुछ नया खरीदना चाहते हैं। 

यह महीना रक्षा बंधन के त्यौहार का पुण्य महीना है। जिनके ज़िन्दगी में बहनें हैं उन्हें सोचना चाहिए कि इस अवसर अपने बहन को कौन सा स्वतंत्रता देंगे या दिलायेंगे। यह आपके बहन के लिए सबसे उमदा उपहार होगा। सोचिये और कीजिए। हमारे स्वाधीनता दिवस के लिए आप सब को अग्रिम बधाई। स्वतंत्र रहिये और दूसरोँ के स्वतंत्रता का सम्मान कीजिए। अपने जीवन से आपको और अधिक आनंद मिलेगा।