गुरुवार, 28 अक्तूबर 2021

नमस्कार। अग्रिम शुभेच्छा दीपावली के लिए।  सावधानी के साथ  त्यौहार का आनंद लीजियेगा। आपकी ख़ुशी दूसरों पर भारी ना पड़े इसका ख्याल रखियेगा। दिवाली खुशियों का त्यौहार है। एक नई शुरुआत का प्रतीक है। आप क्या नया करना चाहते हैं अपनी ज़िन्दगी में ? आपका निर्णय या चयन कि आप क्या नया शुरू करेंगे दो सोच पर निर्धारित कीजिए। क्या आपको खुश करेगा और जिसे आप लंबे समय तक सहायता करेगा। मैंने अपने लिए तीन परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। आपके लिए पेश कर रहा हूँ शायद आपके सोच को प्रभावित करे। 

हर इंसान अपनी ज़िन्दगी में इस वक़्त किसी ना किसी मुकाम पर खड़ा है। यह मुकाम उसके उम्र और पेशा निर्धारित करता है। मैं ऐसे मुकाम पर मौजूद हूँ जहाँ मुझे औरों के लिए अपना तजुर्बा और ज्ञान बाँटने का समय आ गया है। मेरा विश्वास है कि इसके जरिये मैं कुछ लोगों के जीवन और कैरियर को प्रभावित कर पाउँगा। और यह इस बदलते हुए समय के लिए अति आवश्यक है। मेरे इस प्रयास का कोई भी फायदा उठा सकता है। अगर कोई अपने पेशेवर जीवन में तरक्की करना चाहता है तो उसे अपने पेशेवर रिश्तों को और मज़बूत बनाना है। पेशेवर रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कौशल होता है अपने पेशे के उपयुक्त व्यवहार। व्यवहार के तीन स्तंभ होते हैं -आपकी भाषा , आपकी शारीरिक भाषा और आपकी वेषभूषा -इन तीन स्तंभ पर विराज करता है आपके पेशे का ज्ञान और कौशल। ख्याल रखिएगा कि आपके रिश्ते को बनाने और आगे बढ़ाने में आपका सबसे महत्वपूर्ण कौशल है आपका कम्युनिकेशन का कौशल। कम्युनिकेशन में आपके इस्तेमाल किये हुए शब्दों का असर दूसरों पर मात्र सात प्रतिशत है। जहाँ कि आपके शारीरिक भाषा का अवदान पचपन प्रतिशत है। हमने आपके लिए कम्युनिकेशन सीखने के लिए ट्रेनिंग का मूल्य एक फिल्म देखने के खर्चे से कम कर दिया है। हिंदी भाषा में आपको ट्रेनिंग मिलेगी। आप कहीं से भी इस ट्रेनिंग का फायदा उठा सकते हो। हमारा मकसद है कि अगर कोई खुद की तरक्की करना चाहे तो उसके लिए उसे भारी कीमत ना चुकानी पड़े। हमारे फेसबुक पर नज़र रखिये अगर आपको इस विषय में दिलचस्पी हो। 

मुझे अपने इस इरादे में सफल होने के लिए अपने आप को एक विषय में सुधारना पड़ेगा। अपने समय का बेहतर उपयोग करना पड़ेगा। मैं इस विषय में सचेतन हूँ। मैंने अपनी डायरी में अपने समय के इस्तेमाल की नॉटिंग शुरू कर दिया है। कहाँ मेरा समय का अपचय हो रहा है , कहाँ मैं जरूरत से कम समय दे रहा हूँ , कहाँ मुझे अपनी एफिशिएंसी बढ़ानी होगी ,कौन सा काम मैं खुद ना करके दूसरोँ से करवा सकता हूँ , मैं काम के दौरान कितनी बार और कितने समय का ब्रेक ले रहा हूँ , इस नोटिंग के वजह से एकदम साफ़ दिख रहा है कि मैं कहाँ गलत कर रहा हूँ। अपना टाइम मैनेजमेंट सुधारना मेरे लिए इस कारन जरूरी है ताकि मैं समय निकाल सकूँ आपके लिए आवश्यक ट्रेनिंग बना सकूँ जहाँ मेरे तजुर्बा का फायदा आपको कम से कम पैसों के विनिमय में मिलें। और आपके पेशेवर जीवन में आपको सफलता मिले और आप अपनी कैरियर में अग्रसर हो सके। 

आज नवंबर का पहला दिन है। हमने सीखा है कि किसी भी बदलाव को सफलता पूर्वक करने के लिए एक महीने तक उस बदलाव को बरक़रार रखना पड़ेगा। ऐसा करने से परिवर्तन स्वभाव बन जाता है। मैं वादा करता हूँ कि मैंने जो परिवर्तन अपने लिए सोचे हैं , पूरे तीस दिनों के लिए लगातार करूँगा ताकि मेरा अपना टाइम मैनेजमेंट बेहतर बन जाए और मैं अपने ज़िन्दगी में और नई चीज़ों को सीखने में अपना समय दे सँकू। 

क्या आप भी अपने लिए कुछ परिवर्तन का प्रयास करेंगे ? मुझे जरूर इत्तिला कीजियेगा फेसबुक के माध्यम से। आप सबको एक सुरक्षित और आनंदमय दिवाली की अग्रिम बधाई। 


शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

नमस्कार। अक्टूबर का महीना। त्यौहारों का महीना। दीपावली की तैयारी। विक्रेता के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय। हर किसी में एक उत्तेजना। आनंदमय दिनों की अपेक्षा। केवल गत वर्ष से वायरस का प्रभाव। आनंद लेते वक़्त सावधानी का सन्देश। चंद दिन की खुशियाँ कई दिनों के दर्द में ना बदल जाए। अपना और अपनों का ख्याल रखिए। आनंदमय समय बरक़रार रखना ही हर किसी का मकसद और प्रयास होना चाहिए। 

अक्टूबर का एक और तात्पर्य। इस वित्तीय वर्ष का आधा गुज़र चुका है। मैंने पहले भी लिखा है , दोबारा लिख रहा हूँ , इस वित्तीय वर्ष में बाकी छः महीनों में व्यवसाय में जबरदस्त तरक्की होगी और वायरस का प्रकोप कम हो जाएगा। हम फिर से कुछ हद तक चैन की ज़िन्दगी जी पायेंगे। क्यों मैं इतना आशावादी हूँ , इस लेख का उद्देश्य नहीं है। इस लेख का विषय वो हैं जिनका जन्म अक्टूबर के महीने में हुआ था। जी हाँ , हमारे राष्ट्रपिता , बापू। यह जो हम सब के सामने एक उम्मीद और आशा की किरण नज़र आ रही है ,उसका फायदा लेने के लिए हमें बापू के जीवन से प्रेरित होना पड़ेगा। यह है वायरस का ज़िन्दगी और व्यवसाय पर प्रभाव। और इसमें उत्तीर्ण होने के लिए हमें बापू का सहारा लेना पड़ेगा। 

बापू को ग्रेट ब्रिटेन के प्रसिद्द प्रधानमंत्री सर विंस्टन चर्चिल ने 'नँगा फ़क़ीर 'कह के सम्बोधित किया था। परन्तु बापू अपनी ज़िन्दगी के शुरुआत से ही इस तरह के कपड़े नहीं पहनते थे। उनके कपड़ों पर ज़िन्दगी की शुरुआत में पश्चिम का काफी अधिक प्रभाव था। एक घटना के बाद उन्हें एहसास हुआ कि भारत के अधिकतर लोगों को अपने तन को ढकने लायक कपड़े नहीं थे और खुद वो इतने कपड़े पहने हुए थे। इस एहसास के साथ ही उन्होंने धोती को अपना लिया। और उन्होंने स्वदेशी कपड़ों की बुनाई के लिए चक्र का सहारा लिया। जनता प्रेरित हो गई और उनके विचारों से जुड़ने लगी। क्या यह संभव होता अगर वह खुद धोती को अपना ना लिया होता ? उन्होंने ही कहा था कि दूसरोँ में जो आप परिवर्तन देखना चाहते हो , वह पहले खुद करके दिखाओ। 

उन्होंने अंग्रेज़ो को इस देश से निकाल कर देश को स्वाधीन बनाने के लिए अहिंसा और सत्याग्रह के पथ को अपनाया।  कई नेता और जनता उनके इस निर्णय से सहमत नहीं थे। परन्तु बापू ने हौसला नहीं छोड़ा। शुरुआत में लोगों को उनके दृष्टिकोण को समझने में जरूर असुविधा हुई। परन्तु बापू डटे रहे और अपने कर्तव्यों से जनता को प्रेरित किया। उसके बाद का सफर तो हमारे देश और विश्व का इतिहास बदल देकर नए अंदाज़ में रच दिया। 

मैं क्यों ज़िक्र कर रहा हूँ बापू के कारनामों का ? इनमे छुपी सीख के लिए जिसका प्रयोग आज की स्थिति में हर किसी के लिए अत्यावश्यक है। पहली सीख जैसे चल रहा था ,आगे नहीं भी चल सकता है। हमें इस वक़्त की माँग को समझना पड़ेगा और खुद को बदलना पड़ेगा। जो दूसरों के लिए सफलता का मंत्र है ,मेरे लिए नहीं भी हो सकता है। हमारा ताकत या स्ट्रेंथ क्या है और कमजोरियां क्या है समझना पड़ेगा। जैसे बापू ने समझा था कि हमारी ताकत हमारी जनसँख्या है और हमारी कमजोरी साधन का अभाव। जिसकी वजह से उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा का पथ चुना -जिसमे अधिक जनसँख्या ताकत थी और साधन के अभाव से फर्क नहीं पड़ता था। आखिर कितने अंग्रेज़ उस वक़्त हमारे देश में निवास करते थे ? उनकी तुलना में हमारी जनसँख्या उनके लिए भाड़ी पड़ेगी , यह बापू को समझ में आ गया था। उन्होंने अपने दिल और दिमाग की सुनी और किसी के आलोचना से ना प्रभावित हुए , ना ही विचलित हुए। और जिसमे उनका विश्वास था , उसमे लगे रहे। 

हम सभी का समय आ गया है , बापू की तरह अपनी ज़िन्दगी को नई और सठिक दिशा देने का। हर किसी को अपने परिस्थितिओं का मूल्यांकन करके अपना निर्णय लेना पड़ेगा। किसी दूसरे के निर्णय को अपना लेना मूर्खता का परिचय होगा। खुद को समझिये ,अपने अकांक्षा को निर्धारित कीजिए ,अपने वातावरण का विश्लेषण कीजिए , फिर तय कीजिए आप अपनी ज़िन्दगी को कैसे जीना चाहते हैं। जैसे बापू ने किया हमें आज़ादी दिलाने के लिए। हमारा यह निर्णय हमें इस वायरस के प्रकोप से आज़ादी दिलाएगा। यही मेरा दृढ़ विश्वास है। 

हर त्यौहार के लिए मेरी अग्रिम शुभेच्छा आप सबके लिए। सतर्कता के साथ आनंद लीजिये। इसी में हम सबका मंगल है।  फिर मिलेंगे दिवाली के महीने में। कैसा लगा यह लेख? जरूर बताईयेगा फेसबुक के माध्यम से। आपके विचार मुझे प्रोत्साहित करते हैं। इसका मैं आभारी हूँ और रहूँगा। धन्यवाद।