शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

नमस्कार। कैसा रहा आपका वैलेंटाइन्स दिवस ? क्या आपको मेरे पिछले महीने के लेख से कुछ नई दिशा नज़र आई ?अपने ज़िन्दगी में आपने कोई बदलाव के विषय में सोचा है ? मार्च का महीना इस वित्तीय वर्ष का आखरी महीना है। खुद में बदलाव लाने के लिए यह महीना संकल्प बनाने के लिए आदर्श महीना है। ताकि अप्रैल में आप नई शुरुआत कर सकते हो।
पिछले महीने के लेख में मैंने अपनी ज़िन्दगी में चैन या सुकून का ज़िक्र किया था। मैं  जापान के लोगों से काफी सीखता हूँ। जापानी लोग अपनी ज़िन्दगी चैन से जीना चाहते हैं। मारी फुजिमोतो एक जापानी लेखक ने इस विषय पर कई सारी किताबेँ लिखी हैं जो कि कई भाषाओँ में अनुवाद किया गया है। बहुत सारे लोग उनकी लेख से प्रभावित हुए हैं। मैं भी काफी प्रभावित हूँ। पिछले महीने के लेख से मैं कुछ पंक्तियाँ दोहरा रहा हूँ। क्यूँकि वही मूल मंत्र है।
लेखक ने एक जापानी शब्द 'शिबूई 'का ज़िक्र किया है। यह जीवन का एक दर्शन है। अभिज्ञता और तजुर्बा हमें हर चीज़ को एक नए अंदाज़ में देखने और अनुभव करने में मदद करता है। वसंत ऋतु में पहली कलि या सुबह के चाय का रंग। हर चीज़ में चैन है अगर हम उसको ढूँढ निकाले। खुद के लिए समय निकालिए इस चैन को ढूँढने के लिए। लेखक का कहना है कि ज़िन्दगी में हम सब कोई ,हर वक़्त परफेक्ट होना चाहते हैं। क्या हम हो सकते हैं ? ना परफेक्ट होने का भी आनंद उठाना जरूरी है।
लेखक एक और जापानी शब्द का उल्लेख करती है -वाक़ेई सेजयकु -जो कि चार चिंताओं का मिश्रण है -वा यानि harmony यानि अनुरूपता या सामंजस्यता  ; केई यानि respect यानि इज़्ज़त ;सेई यानि  purity अर्थात शुद्धता ;जयकु यानि tranquility अर्थात शांति। ज़रा गौर फरमाईये  चार शब्दों पर - सामंजस्यता ; इज्जत , शुद्धता और शांति। ऐसा कोई है जो अपनी ज़िन्दगी में यह चार नहीं चाहता हो ? शायद अपने लिए नहीं। अपने स्वार्थ के लिए कभी -कभी इंसान दूसरों के ज़िन्दगी में इन चार में बेचैनी बढ़ाने का  कोशिश करते हैं। इतिहास , महाकाव्य ,कहानियाँ ,सिनेमा ,टीवी सीरियल -कहीं भी देखिए -ऐसी कहानियाँ हर जगह नज़र आएगी। जहाँ किसी इंसान ने अपने स्वार्थ के कारण किसी और इन्सान के इन चारों में किसी एक या अनेक चिंता पर बेचैनी पैदा की थी। रामायण में राजा दसरथ में बेचैनी कैकेयी ने किया था। जो कि रामायण का शुरुआत है।
जो पाठक मेरा यह लेख नियमित पढ़ते हैं ,उनको शायद याद होगा कि मैं एक विषय पर अत्याधिक ज़ोर देता हूँ -एक दूसरे का इज्जत करना। मेरा विचार है कि यही किसी भी रिश्ते का मूल आधार है। जरा सोचिए अगर हम हर एक इंसान के साथ इज्जत से वर्ताव करें तब क्या हमें भी इज्जत मिलेगा ? मुसीबत है कि हम अपने आप को किसी किसी इंसान से ऊँचा समझते हैं और इज्जत के साथ पेश नहीं आते हैं और इससे रिश्तों में दरार तैयार हो जाता है।
एक नई फिल्म इस विषय को बहुत ही सराहनीय ढंग से पेश किया है। एक व्यक्ति अपने बीवी को गुस्से में आकर एक थप्पड़ मार देता है। दोनों परिवार के बुजुर्ग का कहना है कि वैवाहिक जीवन का यह एक अभिन्न अंग है। औरत को इसे स्वीकार कर लेना चाहिए और ज़िन्दगी में आगे बढ़ना चाहिए। परंतु क्यों ? अगर औरत ने अपने पति पर हाथ उठाया होता तो क्या यही बात होती ?कभी नहीं ? क्योंकि मर्द पर औरत हात नहीं उठा सकता है। अगर आप सोचिए एक थप्पड़ ने -सामंजस्यता ; इज्जत , शुद्धता और शांति- चारों का उलँघन किया है। और यही रिश्ते को तोड़ देता है। क्या किसी को चैन मिलता है ? या बेचैनी लोगों को गिरफ़्त कर लेती है ?
ज़िन्दगी जीने के लिए है। चैन से जीने का कोशिश कीजिये। चैन हमारे खुद के हातों में है। किसी और के पास नहीं। ख्याल रखिएगा कि किसी और के बेचैनी को बढ़ा कर कोई भी चैन से नहीं जी सकता है। गुस्सा और प्रतिशोध के भावनाओं से प्रभावित हो कर हम अक्सर , अनजाने में ऐसे कदम उठा लेते हैं ,अपनों के साथ भी। इसमें किसी को फायदा नहीं होता।
नए साल में नए संकल्प के साथ ज़िन्दगी में चैन से जीने का प्रयास कीजिए। सबसे अधिक लाभ आप ही का होगा। खुश रहिए और हमारे साथ फेसबुक के माध्यम से जुड़े रहिए। आप सब को होली के त्यौहार के लिए अग्रिम बधाई। सावधानी से रंगो के त्यौहार का आनंद लीजिये।