शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

नमस्कार। फ़रवरी का महीना। रोमांस का महीना। वैलेंटाइन डे का महीना। प्यार का महीना। किसको प्यार करतें हैं आप। अपने आप से कितना प्यार करते हैं। कभी आप ने खुद के साथ रोमांस किया है। क्या खुद के साथ रोमांस करना चाहिए। हम रोमांस में करते क्या है। किन भावनाओं से गुजरते हैं हम रोमांस के दौरान। क्या वैसी भावनायें खुद के साथ रोमांस में मौजूद है। आज का विषय खुद के साथ रोमांस करने का है। क्यूँकि यह अति आवश्यक है। यह मेरी समझ है। मेरा विश्वास है। 

किसी भी रोमांस का शुरुआत एक दूसरे को बेहतर समझने और जानने के साथ शुरू होता है। और इस जानने की चेष्टा में एक दूसरे के साथ समय बिताना और एक दूसरे को समझने का प्रयास अति आवश्यक होता है। बेहतर समझ के लिए जो बोला जा रहा है उसको सुनने के अलावा अनकही लव्जो को समझना बहुत जरुरी है। क्या हम अपने शरीर, दिल और दिमाग की बातों को सुनने का प्रयत्न कर रहे हैं। क्या ज़िन्दगी के इस भाग दौर में हमारे पास समय है खुद के लिए। कुछ समय अपने विषय पर सोचने के लिए। खुद के साथ बातचीत करने के लिए। खुद को समझने के लिए। यह आपके लिए रोमांस का पेहला कदम होगा। अगर हम खुद के साथ रोमांस नहीं कर सकते ,हम किसी और के साथ कैसे करेंगे। 

खुद को समझते हम किसकी पहले सुनेंगे -शरीर ,दिल या दिमाग। तीनों का सुनना पड़ेगा। क्योंकि यह एक ही त्रिभुज के तीन कोण हैं। एक उदाहरण लीजिए। किसी कारन आपको अगर टेंशन होता  है तो आपके सेहत पर असर होता है। आप ठंडे दिमाग से सोच  नहीं सकते हो। थोड़ा समय निकालिए अपने व्यस्त जीवन में खुद के साथ बातचीत करने के लिए। यह समझने की कोशिश कीजिये कि आपको आनंद या ख़ुशी किस चीज़ से मिलती है। और आपकी उदासी का कारण क्या हो सकता है। इस सन्दर्भ में दो चीज़ों का ज़िक्र करना जरूरी है। आपकी ख़ुशी किसी और के गम का कारण नहीं हो सकता है। दूसरी बात किसी और की ख़ुशी आपके उदासी का कारण नहीं बन सकता है। कई इंसान दूसरों के साथ तुलना में खुद को दुखी बना लेते हैं। यह कभी भी किसी के लिए फायदे मंद नहीं होता है। 

रोमांस करने के लिए सबसे अधिक ज़रुरत है समय का। अगर हम सात घंटे सो कर बिताते हैं ,तब हमारे पास १७ घंटे बचते हैं। हम अगर अवसर प्राप्त या रिटायर्ड नहीं हैं ,तब आठ घंटे निकल जाते हैं काम के लिए। बचते हैं नौ घंटे। प्रसाधन, खाना-पीना ,आना-जाना में करीब तीन से पाँच घंटे निकल जाते हैं। मुंबई ,दिल्ली जैसे बड़े शहरों में आने-जाने का समय ज्यादा होता है। बचे हुए तीन -चार घंटों को हम कैसे बिताते हैं , वही महत्वपूर्ण है। इस बचे हुए समय में हम कितना समय खुद के साथ बिताते हैं यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसको अंग्रेज़ी में 'मी टाइम 'कहते हैं। यही रोमांस का समय है। खुद के साथ। ऐसा कुछ कीजिये जो आप करना चाहते हैं। यह अगर आप कर सकें तो आप का स्ट्रेस जरूर कम हो जायेगा। मुझे इस प्रथा से अत्यधिक फायदा हुआ है स्ट्रेस मैनेजमेंट में। दावे के साथ कह सकता हूँ कि आपको भी होगा। रोमांस अगर बगैर स्ट्रेस का हो ,तो सोने पे सुहागा होता है। 

इस लेख के माध्यम से मेरा रिश्ता आपके साथ शुरू हुआ है। यह रिश्ता बरक़रार रहे और मजबूत बन जाये यही मेरी चेष्टा रहेगी। रिश्ते ही रोमांस के नीव होते हैं। और रोमांस में एक दूसरे को समझना। एक दूसरे में क्या अच्छा लगता है और कहाँ या करने से रोमांस और मजबूत और आनंदमय होगा इसका फीडबैक मिलना आवश्यक होता है। मुझे इस लेख को और बेहतर बनाने में आपके सुझाव का इंतेज़ार करूँगा फेसबुक के माध्यम से। वैलेंटाइन्स डे पर सब मेरा श्रद्धा से भरा हुआ स्वीकार कीजिए। खुश रहिए। यही तो जीने का सबसे महत्वपूर्ण रोमांस है।