शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

 नमस्कार। वित्तीय वर्ष के आखरी महीने तक पहुँच गए हैं। वायरस का प्रकोप और लकडाउन का साल गिरह भी इस महीने का माइलस्टोन होगा। समय कैसे गुज़र गया और हम नए अंदाज़ में ज़िन्दगी जीने लगे हैं। वायरस के साथ संघर्ष अभी भी बरक़रार है। कुछ राज्यों में बढ़ते हुए आंकड़ों ने अधिकारिओं को चिंतित कर दिया है। एक्सपर्ट्स वायरस के दूसरे लहर की उम्मीद कर रहें हैं। सावधानी से जीने में ही हम सब का मंगल है। 

मार्च के महीने में हर साल टैक्स बचाने का प्लॅनिंग करते हैं , अंतर्राष्ट्रीय नारी दिवस का पालन करते हैं, विद्यार्थी वार्षिक परीक्षा के जरिए अगली कक्षा में उत्तीर्ण होने का प्रयास करते हैं , और नौकरी करने वाले वार्षिक अप्रैज़ल के लिए प्रस्तुत होतें हैं। व्यवसाय के मालिक अगले वित्तीय वर्ष का प्लानिंग करते हैं। 

इस साल भी कुछ नहीं बदलेगा। परन्तु इस साल अप्रैज़ल अलग होगा। कई बिज़नेस बदल चुकी हैं वायरस के वजह से। वर्क फ्रॉम होम और बिज़नेस में नुकसान और मंदी दोनों का प्रभाव रहेगा इस साल। मेरे इस लेख का उद्देश्य है आप सबके साथ अप्रैज़ल करते वक़्त किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। इस वक़्त मुझे यह बताना आवश्यक है कि अप्रैज़ल केवल नौकरी के क्षेत्र में ही प्रयोग नहीं होता। इसका प्रयोग हमारी निजी ज़िन्दगी में उतना ही , या उससे ज़्यादा महत्व रखता है। अप्रैज़ल शब्द का हिंदी है मूल्याङ्कन। इस प्रथा के अनुसार किसी का मूल्याङ्कन होता है और कोई मूल्याङ्कन करता है। इस प्रथा के लिए दोनों को समय देना पड़ता है और पर्याप्त तैयारी करनी पड़ती है। दोनों को इस प्रथा के महत्व को स्वीकार कर उचित प्रयास करना जरूरी है। तीन विषय को ख्याल में रखना आवश्यक है। 

पहली बात। अप्रैज़ल का मूल उद्देश्य होता है प्रोत्साहित करना बेहतर परिणाम के लिए। ना कि केवल गलतियों पर चर्चा करना। इस लिए मूल्याङ्कन के वक़्त दोनों के बीच सोची समझी वार्तालाप बेहद जरूरी है। अक्सर मूल्याङ्कन करने वाला दूसरे को बोलने का मौका ही नहीं देता है। इसका एक वजह यह होता है कि मूल्याङ्कन करने वाला खुद को दूसरे से ऊँचे पदान पर सोचता है। घर का वातावरण ले लीजिए। एक पिता अपने आप को अपने बच्चों से ऊँचे पादन से वार्तालाप करता है। और यहीं पर मूल्याङ्कन का प्रयास अपनी पटरी से उतर जाता है। जिसका आप मूल्याङ्कन कर रहें हैं उनको पहले बोलने का मौका दीजिये। इससे आप समझ पाईयेगा कि वह खुद अपने प्रदर्शन को किस नजरिए से देख रहा है। क्या वह खुद समझ पा रहा है कि क्या उन्होंने सही किया है या गलत। इस पद्धति को अपनाने से मूल्याङ्कन करने वाले को सुविधा होती है सही और सठिक फीडबैक देने में। 

दूसरी बात जो ख्याल रखना जरूरी होता है कि मूल्याङ्कन करने वाले का मूल्याङ्कन के मापदंड क्या होंगे ? इसके लिए प्रदर्शन को कैसे मापा जायेगा इस विषय पर सम्पूर्ण स्वच्छता होनी चाहिए। इस मापदंड के अनुसार मूल्याङ्कन करने वाला और जिसका मूल्यांकन हो रहा है , दोनों को तैयार होना पड़ेगा। मूल्याङ्कन के प्रथा के समय इस मापदंड को बदल डालना या उनसे भटक जाना गलत होता है। अक्सर यह गलती मूल्याङ्कन के महत्व को घटा देती है। 

तीसरी बात जो हमें ख्याल रखना है कि मूल्याङ्कन एक इंसान का उनके प्रदर्शन के लिए हो रहा है। मूल्याङ्कन करने वाला प्रदर्शन के अलावा और किसी भी मापदंड का प्रयोग करने से ही पक्षपात होता है। मर्द ,औरत ,बच्चे ,बुजूर्ग , अमीर ,गरीब , सीनियर ,जूनियर जैसे सोच का कोई स्थान नही है। हमें इस बात का हर वक़्त ख्याल रखना है कि मूल्याङ्कन का एकमात्र मकसद है बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करना। इसके उपरांत जिसका मूल्याङ्कन हो रहा है , उसको यह स्पष्ट हो जायेगा कि जो वह सही कर रहा है अपने प्रदर्शन के लिए , उसे करते रहना पड़ेगा और उसमें और बढ़ोतरी लानी पड़ेगी। जो गलत कर रहा है , उसे ठीक करना पड़ेगा या उस गलती को त्याग करना पड़ेगा। और भविष्य के लिए मापदंड का चयन कर नई शुरुआत करनी पड़ेगी। 

इस सन्दर्भ में मुझे इस विषय का जिक्र करना आवश्यक है कि अंतर्राष्ट्रीय नारी दिवस केवल एक दिन होता है हर वर्ष। परन्तु नारी का सम्मान और समान अधिकार हर समय करना हमारे समाज को आगे बढ़ाने के लिए अत्यावश्यक है। मर्द अक्सर नारी को उनसे कमजोर सोचते हैं। दरअसल नारी मर्द से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली है क्योंकि नारी एक इंसान को जन्म देने का क्षमता रखती है। हर दिवस नारी दिवस है। ८ मार्च तो केवल सेलिब्रेट करने का एक बहाना है। 

रंगो का त्यौहार भी इसी महीने में हैं। सावधानी के साथ होली का आनंद उठाइयेगा। मुलाकात होगी फिर नए वित्तीय वर्ष के पहले महीने में। खुश रहिये। स्वस्थ रहिये।