नमस्कार। देखते देखते इस साल के छह महीने बीत गए। लोकडाउन के बाद तीन महीने गुज़र गए। हर महीने हम उम्मीद करते हैं कि अगले महीने से ज़िन्दगी स्वाभाविक हो जाएगी। परन्तु ऐसा नहीं हो रहा है। कई विश्वविद्यालय के अध्यन ने जून के महीने के अंदर परिस्थिति नियंत्रण में आ जाने का पूर्वाभास किया था। नियंत्रण में आने के विपरित परिस्तिथि बिगड़ रही है। कब ज़िन्दगी स्वाभाविक होगी कुछ पता नहीं। लेकिन ज़िन्दगी को आगे बढ़ाना है। हर देश की सरकार डट कर मुक़ाबला कर रही है। बिज़नेस प्रतिष्ठान खुल रहें हैं। लोगों का मनोबल क्रमश बढ़ रहा है। इन हालातों में बिज़नेस के मालिक दो सवालों से जूझ रहे हैं। इस समय बिज़नेस के लिए क्या करना चाहिए और आगे क्या करना चाहिए।
हमारे पेशे में हम बिज़नेस संस्थाओं को सलाह देते हैं व्यवसाय को किस तरीके से बढ़ाया जाय और मुनाफा की बढ़ोतरी कैसे हो। इन तीन महीनों में हमने चार सीख अर्जन की है। इसकी चर्चा आज के लेख का विषय है।
पहली सीख आज के लिए जिओ। व्यावसायिक निर्णय आज की परिस्थिति के आधार पर लो। आगे की सोचो परन्तु निर्णय आज के वास्तव पर लो। एक संस्था सरकार के स्किल डेवलपमेंट के प्रयास से जुड़ी हुई है। सौ से अधिक सेंटर के माध्यम से बच्चों को प्रशिक्षण दे कर नौकरी दिलवाती है। सेंटर बंद परे थे। क्या करती यह संस्था। उन्होंने वास्तव का सहारा लिया। अपने कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाला। बिना तनख्वा के छुट्टी पर भेज दिया। लोग समझते है इस मज़बूरी को। इस महीने से सरकार ने सेंटर खोलने का निर्देश जारी किया है। इस वक़्त यह कम्पनी केवल इतना सोच रही है कि कैसे सेंटर को शुरू करना है और बच्चोँ को कैसे वापस लाना है। इसके लिए कितने कर्मचारियों को काम पर बुलाना है। और कुछ नहीं। सेंटर खुलने के बाद आगे का सोचा जाएगा। अनिश्चयता के दौरान आज के लिए जिओ। कल के लिए कल सोचेंगे।
दूसरी सीख है ब्रैंड का महत्व। हमारा गत १६ सालों से एक शहर के एक नंबर ज्वेलर के साथ ब्रैंडिंग बढ़ाने के सलाह देने का काम चल रहा है। यह ब्रैंड धनतेरस के अलावा साल में कभी भी डिस्काउंट नहीं देता है। शादी का गहना सबसे बड़ा मार्केट है ज्वेलर के लिए। चूँकि काफी परिवार ने शादी स्थगित कर दिया है और सोने का दाम क्रमश बढ़ रहा है ;जून के महीने में इस संस्थान ने पहली बार अपने ८० साल के इतिहास में डिस्कॉउंट ऑफर का एलान किया है। लकडाउन के कारण बंद रहने के बाद इस ऑफर के माध्यम से इस संस्था को उम्मीद से कहीं ज़्यादा सफलता मिली है। हमने एक नया फार्मूला बनाया है ब्रैंडिंग को बेहतर बनाने का। इस फार्मूला का प्रयोग इस उदाहरण में झलकता है।
तीसरी सीख है कि कठिन समय अपने साथ कुछ मौका भी लाता है। एक अस्पताल जो कि १६ वर्षों से हमारा क्लाइंट है करीब आठ साल पहले पूर्वोत्तर भारत में एक आधुनिक अस्पताल का निर्माण किया है। अस्पताल अच्छा चल रहा था। परन्तु उम्मीद ज़्यादा थी। लकडाउन के दौरान ट्रेन और फ्लाइट्स बंद हो जाने के ठीक पहले हमने सही अनुमान लगाया कि मरीज़ जो उस शहर के बाहर बड़े शहरों में चिकित्सा के लिए चले जाते थे मजबूरन इस अस्पताल में आएंगे। पहले से डॉक्टर और स्टाफ उस शहर में बढ़ा दिए हमने। हमारा अनुमान सही रहा। बिज़नेस लगभग दुगना हो गया है। इस वक़्त प्रयास यही है कि मरीजों का आस्था जीत लिया जाय ताकि आगे भी वह शहर से बाहर अपनी चिकित्सा के लिए नहीं जायें।
चौथी सीख है कि इस कठिन समय में किसी भी बिज़नेस का सबसे महत्वपूर्ण समपद है उस बिज़नेस के कर्मचारी। कई बिज़नेस ने मजबूरन थोड़ी बहुत छटाई की है। लेकिन जिनको रखा है उनसे और कैसे प्रोडक्टिविटी बढ़ाए यही जरूरी है। हमने एक संस्था के मैनेजर लोगों की ट्रेनिंग ली। इस बदलते हुए परिस्थितिओं में हम कैसे खुद को बदलेंगे और हमारे टीम के सदस्यों को बदलने में मदत करेंगे। बिज़नेस के नए अवसर को कैसे ढूंढ कर निकालेंगे और उसका फायदा उठाएँगे। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि इस कंपनी ने जल्द नए बिज़नेस को पहचाना और उसका भरपूर फायदा उठा रहें हैं।
आपके इस प्रिय पत्रिका INEXT के साथ मिलकर हम आपके बिज़नेस की बढ़ोत्तरी के लिए एक बेहतरीन उपाय ला रहें हैं। इसका भरपूर फायदा लेने के लिए INEXT ऑफिस में excelerate प्रोग्राम की जानकारी के लिए संपर्क कीजिए। आपका बिज़नेस और आपकी सफलता का जिक्र मैं इस लेख के माध्यम से लाखोँ पाठकों तक पहुँचाना चाहता हूँ। मेरे साथ आप फेसबुक के माध्यम से भी बातचीत कर सकते हैं। सावधान रहिये। अभी ज़िन्दगी को नॉर्मल होने में समय लगेगा।
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