शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

नमस्कार। इस वित्तीय वर्ष का तीन महीना गुज़र चुका है। स्कूल कॉलेज में नए साल की शुरुआत हो चूकि है। जैसा कि मैने वादा किया था मैं आज गृहबधु के कैरियर के विषय में और एकाउंट्स और फिनांस के कैरियर के विषय में चर्चा करूँगा। और चर्चा करूँगा एक इंसान के विषय में जिनसे मेरी मुलाकात हुई है और जो की छोटे शहरों के साधारण ग्रेजुएट के लिए अपने शहर में रहते हुए विश्व प्रसिद्ध संस्थाओं के लिए काम करने का मौका देते हैं। उनके किये जा रहे काम को हम सोशल एंटरप्राइज कहते हैं -यानि कि जिसका समाज पर अच्छा प्रभाव होता है।  

गृहबधु का सबसे बड़ा जरूरत है घर में रह कर काम करना। उसमे भी अगर समय का पाबंदी ना हो तो और भी बेहतर है। कॅरोना के फलस्वरूप घर से काम करने का एक रिवाज़ बन गया है। गृहबधु को इस का फायदा उठाना चाहिए। फिनान्सिअल कौन्सेल्लिंग , रियल एस्टेट सेल्स एडवाइजर , डिजिटल मार्केटिंग का कंटेंट राइटर , डिजिटल मीडिया एक्सपर्ट, फोटोशॉप आर्टिस्ट , वीडियो मेकर , वीडियो गेम्स सपोर्ट टीम, क्लाउड किचन , प्राइवेट टुइशनस , ट्रेनर , ट्रेनिंग कंटेंट क्रिएटर के अलावा कई भी करियर ऑप्शंस हैं और नए उभर कर सामने आ रहें हैं। अपनी दिलचस्पी और सुविधा अनुसार अपने कैरियर का चयन कीजिए। 

अब आते हैं एकाउंट्स और फाइनेंस के कैरियर पर। पहली बात हर कोई चार्टर्ड अकाउंटेंट नहीं बन सकता है। कोशिश कीजिए लेकिन असफल होने पर मायूस मत हो जाईयेगा। कॉस्ट अकाउंटेंट का कैरियर भी काफी अच्छा है। SAP का तजुर्बा हो तोह और भी अच्छा है। कंपनी सेक्रेटरी का महत्व ज़्यादा बढ़ रहा है। परन्तु सबसे ज़्यादा कैरियर एकदम नीचे के पादान पर है -अकाउंटेंट का नौकरी। जहाँ व्यवसाय है वहाँ एकाउंट्स है। परन्तु ढंग का अकाउंटेंट बनने के लिए टैली , एक्सेल , जी एस टी का प्रैक्टिकल ज्ञान की आवश्यकता है। ऐसे एक ट्रेनिंग प्रदान करने वाले चैयरमैन Dr नरेंद्र श्यामसुखा जी जो की एक पेशेवर चार्टर्ड अकाउंटेंट भी है उनका कहना है एक निजी प्रैक्टिस करने वाले सी ए को कम से दस ऐसे बच्चोँ की जरूरत है। संस्थानों में ऐसे अकाउंटेंट की जरूरत लाखों में हैं। परन्तु बी कॉम करते वक़्त या करने के बात प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और तजुर्बे के बिना नौकरी मिलना कठिन है। इस तरह के कैरियर में तजुर्बा अर्जन करने के बाद जल्दी बारोहतरी भी होती है। स्टॉक मार्केट से जुड़े हुए कैरियर के लिए भी सही प्रशिक्षण जरूरी है। 

अब मैं बात करने वाला हूँ श्रीमती मैथली रमेश के विषय में। आई आई एम अहमेदाबाद से पढ़ी हुई , मैथली ने काफी समय भारत एक टॉप आई टी संस्था के साथ नौकरी की। दस साल पहले उन्हें एहसास हुआ कि छोटे शहरों के बच्चों को उनकी ही शहर में नौकरी करने का सुयोग देना चाहिए। उन्होंने अपनी  कंपनी बनाई और  ख़ास कर उन बच्चों को चुना जिनके परिवार में वही पहला ग्रेजुएट बन पाया है। छह छोटे शहरों में करीबन चार हज़ार ऐसे ग्रेजुएट बच्चे वालमार्ट , अमेज़ॉन , यूनिलीवर जैसे संस्थाओं के बैक ऑफिस में ए आई , एम् एल जैसे नई टेक्नोलॉजी के सहारे से काम कर रहें हैं।  मैथली जी ने तीन बातों का ज़िक्र किया -उनकी कंपनी इन बच्चों को ट्रेनिंग देकर काम सीखा लेती हैं। चूँकि बच्चे अपने शहर में रहते हैं , उनकी बचत ज़्यादा होती है। लड़किओं को अपने शहर में रह कर काम करने में परिवार का कोई आपत्ति नहीं होता है। करीब दो हज़ार लड़कियां उनकी कंपनी में काम करती हैं। इसके कारन लड़किओं को कम उम्र में शादी नहीं करनी पर रही है और इन लड़किओं के परिवार ने दहेज़ देने के प्रथा को रोक दिया है। यह फायदा होता है सोशल एंटरप्राइज का -समाज पर उनका प्रभाव। उम्मीद करता हूँ की मैथली जी की कंपनी और छोटे शहरों में लोकल बच्चों को नौकरी करने का मौका दिलाएगी। 

अंत में यही कहना चाहता हूँ कि जिस विषय में आपकी दिलचस्पी है , उस विषय पर सही प्रशिक्षण लीजिये और दिल और दिमाग को अपने काम में प्रयोग कीजिए।  कोई आपको अपने चुने हुए कैरियर पर अग्रसर होने से रोक नहीं सकेगा। केवल अपने काबिलियत को समझिए और अपने कैरियर का चयन कीजिए। स्वतंत्रता दिवस के महीने में फिर मुलाकात होगी। मास्क का वयवहार जरूर कीजिए। हम अभी भी कॅरोना से स्वतंत्र नहीं हो सके हैं।