शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023

नमस्कार। साल का आखरी महीना। हर कोई चाहता है कि यह महीना अच्छे से गुज़र जाय और हम नए साल में बिना किसी बाधा या असुविधा के साथ प्रवेश करें। जरा सोचिए उस मजदूरों और उनके परिवार के विषय में जो की एक सुरंग में अटक गए थे। ४१ मजदूर और उनके परिवार पर क्या गुजरी होगी। उन सबको सलाम जिन्होंने अनहोनी को होनी कर दिखाया। सबसे ज़्यादा हौसला बढाती है मजदूरों का साहस और वापस उसी काम में जाने का निर्णय। उन्होंने प्रमाण कर दिखाया है कि डर के आगे जीत है। और यही सोच उनको विश्वास दिला रहा था जब तक वह अंदर थे। कैसे संभव  हुआ यह अभियान ? यही आज के लेख का विषय है। 

पहली बात है टीम वर्क। जो अंदर थे और जो बाहर से मदत कर रहे थे ,उनमें ताल मेल बेहतरीन रहा। अंदर -बाहर दोनों टीम के सदस्यों ने एक दूसरे का साथ निभाया और नेतृत्व की बात सुनी। चूँकि कठिन था उद्धार कार्य तरह तरह के विशेषज्ञ जुड़ रहे थे इस अभियान में। इसका मतलब है कि लीडर बदल रहा था जरूरत के अनुसार। और टीम के सदस्य इस परिस्थिति पर निर्भर अलग अलग लीडर को स्वीकार किया और उनके निर्देशों का पालन किया। यह बहुत महत्वपूर्ण है हमारे हर किसी के जीवन में। इसे कहते हैं विशेषज्ञ का नेतृत्व जो कि उम्र में कम या जूनियर हो सकता है। दबे हुए लोगों में दो लीडर थे और उनकी बात सब लोगों ने सुना। काम करते वक़्त अगर उनमें कोई मतभेद होता भी होगा , उन्होंने संकट के समय ऐसे विचारों को अपने बीच दरार करने नहीं दिया। 

दूसरी बात है संचार बरक़रार रखना दोनों टीम के बीच। और सबसे महत्वपूर्ण सीख है कि जब संचार बरक़रार रखने के लिए वार्तालाप संभव नहीं हो रहा तब इशारों के माध्यम से संचार बनाए रखना है। दबे हुए टीम के लीडर ने दिमाग लगा कर पानी के सप्लाई को चालु और बंद किया बीच -बीच में ताकि बाहर के टीम को यह समझ में आए कि अंदर लोग जिन्दा हैं और दिमाग के साथ काम कर रहें हैं। इसी लिए कहा जाता है कि समझने वालों के लिए इशारा ही काफी है !

तीसरी बात है डर और स्ट्रेस का सामना करना। कोई भी ऐसी परिस्थिति में घबड़ा जाएगा। यही स्वाभाविक है। परन्तु परिस्थितिओं का मूल्याङ्कन करने के बाद इस डर से जूझने का रणनीति सोच कर प्रयोग करना ही एक मात्र उपाय होता है। और घबराहट को दूर करने का एक उपाय है अपने अंदर के बच्चे को प्रोत्साहन देना। बच्चे कम डरते हैं। यही दबे हुए टीम ने किया। बचपन में जो खेल सब ने खेला है ,उसमें मशगूल रहे। दिमाग व्यस्त रहा और टेंशन भी कम हुआ। 

चौथी सीख है शीर्ष स्थानीय नेतृत्व का हर वक़्त वहाँ मौजूद रहना और लगातार निर्णय लेना बिना किसी विलम्ब के। मशीन लाए गए। विशेषज्ञ देश -विदेश से बुलाए गए और अंत में एक ऐसे टीम को बुलाया गया जिन्हें 'रैट माइनर्स ' के नाम से सम्बोधित किया जाता है और जो अपने हातों से खुदाई करते हैं। दो -तीन निर्णय ऐसे लिए गए जिसमे रिस्क या खतरा था , परन्तु शीर्ष नेतृत्व ने ऐसे फैसले लिए बिना विलम्ब के जो कि फायदेमंद रहे। इसी लिए कहा जाता है कि ज़िन्दगी में रिस्क ना लेना ही ज़िन्दगी का सबसे बड़ा रिस्क होता है। 

अंतिम सीख है विश्वास करना और उम्मीद के साथ मुक़ाबला करना की हमें विजय प्राप्त होगा। अपने आप पर और पूरी टीम पर भरोसा रखना अति आवश्यक है। बाहर निकलने के बाद दो में से एक लीडर ने सामवादिक सम्मेलन में गर्व के यह बोला कि हमारे देश ने विदेश से भारतीय नागरिकों को कठिन परिस्थितिओं से बचाव किया और सुरक्षित उनके परिवार वालों से मिलाया है। हम तो अपने देश में ही थे !

४१ परिवारों को बधाई और सलाम आपके धैर्य और अधिकारिओं पर भरोसा रखने के लिए। और सादर प्रणाम टीम के हर सदस्य को इतने जान को सुरक्षित उद्धार करने के लिए। मेरा अटूट विश्वास है कि इस घटना पर फिल्म जरूर बनेगी। जो भी यह फिल्म बनाएगा उनसे सविनय निवेदन है कि उस फिल्म के अभिनेता इन्हे ही बनाइये क्योंकि यही असल हीरो हैं !

आप सब को नए साल की अग्रिम बधाई। स्वस्थ रहिए और ख़ुश रहिए। फिर मुलाकात होगी नए साल में। 

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

नमस्कार। नवंबर का महीना। धनतेरस ,दिवाली और बाल दिवस का महीना। सर्दी के मौसम  को स्वागत। अच्छी सब्जियों का मौसम। और कुछ रुकावट के बाद शादी की तारिखियाँ। हर दृष्टिकोण से खुश मिजाज रहने का निमंत्रण। क्या आप खुश हैं ? आपका समय कैसा गुजर रहा है। क्या आपने धनतेरस में खरीदारी की ? क्या आपने दिवाली में पटाखे का आनंद उठाया। दिया और रौशनी को उपभोग किया है ?

मेरा मानना है कि कई इंसान अपने आप को इन छोटी छोटी आनंद से वंचित करते हैं। इसका प्राथमिक वजह है अपने अंदर विराजमान बच्चे को अस्वीकार करना और उस बच्चे को अपने मस्तिष्क में प्रोत्साहित नहीं करना। आपने अक्सर सुना होगा कि पटाखों के साथ खेलना बच्चों का खेल है। हम क्यों अपने आप को रोकते हैं ?

मूल वजह है कि हम हर वक़्त अपने आप का मूल्यांकन करते रहते हैं। जो कि हम बचपन में नहीं करते थे। हम ज़्यादा निडर थे। हमें असफल होने का डर नहीं था। लोग क्या कहेंगे यह चिंता दिमाग में नहीं आता था। कभी भी। अभी हम खुद भी नहीं करते हैं और बच्चों को भी रोकते हैं इसी डर से। 

अगर आप मेरे सोच से सहमत हो और इस विषय में अपने लिए कुछ करना चाहते हो तो आपके पास दो उपाय हैं। पहला विकल्प है ऐसा कुछ करना जो कि आप बचपन में करते थे और उससे आपको आनंद मिलता था। उदाहरण स्वरुप हम जैसे काफी लोग बचपन में अपने गली या मोहल्ले में क्रिकेट खेलना पसंद करते थे। अभी शायद हम लोगों का गली या मोहल्ला बदल चूका है। परन्तु आस पास जरूर बच्चे क्रिकेट खेलते होंगे। उनके साथ खेलने का प्रयास कीजिये। इस बात का परवाह मत कीजिए कि आप कितना रन बना पाते हैं ,कैच पकड़ पायेंगे या नहीं या गेंदबाज़ी में आपका प्रदर्शन कैसा रहेगा। जब तक आप इन चिंताओं से अपने आप को मुक्त नहीं कर सकेंगे आप अपने बचपन में वापस नहीं जा सकेंगे। 

दूसरा उपाय है कि ऐसा कुछ कीजिये जिसका आपका बचपन से शौक था परन्तु किसी वजह से कर नहीं पाए हैं। मेरा एक मित्र एक सफल कैंसर सर्जन है। इस कारन ज़्यादा मरीज़ उनके पास चिकित्सा के लिए संपर्क करते हैं। और कैंसर में ज़्यादा मरीजों का देहांत होना स्वाभाविक होता है। मेरा यह मित्र जितना अपने काम और कला से आनंद लेता था ,उतनी ही उसे उदासी होती थी जब कोई मरीज गुज़र जाता था। और यह उसको बहुत सता रहा था। एक करीब के दोस्त के नाते मुझे भी उसकी उदासी खल रही थी। एक दिन बातचीत के दौरान यह उभर कर आया कि मेरे दोस्त का एक सपना था पियानो बजाना सीखना। परन्तु पियानो महँगा होने के कारन यह सपना साकार नहीं हुआ। वह इस बचपन के सपने को अब साकार कर रहा है ,कितना अच्छा बजा रहा है महत्वपूर्ण नहीं है , परन्तु अपने बचपन के शौक के माध्यम से हर शाम वह रिलैक्स करता है। कुछ समय तक अपने बचपन का सैर करके। 

इस महीनें दिवाली दो बार मनाया जाता अगर भारतीय क्रिकेट टीम विश्व चैंपियन बन जाती। तरह तरह के विचार व्यक्त किये जा रहें हैं इस असफलता के विश्लेषण में। इसका कोई फायदा नहीं है सिवाय समय नष्ट करने का। परन्तु इस प्रतियोगिता में हमारी टीम ने दस लगातार मैच जीत कर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है। पर उससे भी ज़्यादा अहम् बात है दर्शकों को जो आनंद मिला है इस टीम के खेल को देख कर। और यह संभव हुआ है केवल एक निर्णय से जो कप्तान और कोच ने लिया था -हर खिलाड़ी को स्वाधीनता दिया गया था अपने प्रतिभा का प्रदर्शन करके खुद का आनंद लेने का -बिना किसी चिंता के फेल होने का। उनकी जगह टीम में सुरक्षित थी अगर वह असफल भी हो गए तो। निडर होकर क्रिकेट खेलो -यही था मूल संदेश। 

अपनी ज़िन्दगी से आनंद लीजिये। यही है जीने का एक मात्र फार्मूला। और इसके लिए अपने बचपन से जुड़े रहिये। मुलाकात होगी आपके साथ इस साल के आखरी महीनें में। तब तक खुश रहिये। स्वस्थ रहिए।  


शुक्रवार, 29 सितंबर 2023

 नमस्कार। अक्टूबर का महीना। बापू के जन्मदिन का महीना। राष्ट्रीय छुट्टी का दिन। कई नए कार्यक्रम का उद्घाटन। हर साल। बापू के विषय में इतने लेख मौजूद कि नए लेख को मेहनत करना पड़ता है पाठकों को आकर्षित करने के लिए। मेरा आज का लेख यही प्रयास करेगा। 

बापू को आर्टिस्ट लोगों ने तरह तरह से दर्शाया है। उन सब में आज मैं आप सब का ध्यान बापू के ऐनक पर आकर्षित करना चाहता हूँ। मेरे लिए बापू के ऐनक दूरदर्शिता का प्रतिनिधित्तव करते हैं। अंग्रेजी भाषा में जिसे हम विशन के नाम से जानते हैं। यह विशन हर किसी के लिए आवश्यक है। परन्तु अधिकतर लोग इस विषय पर उतना ध्यान नहीं देते हैं। चाहे आप विद्यार्थी हो ,व्यवसायी हो ,नौकरी में हो या अवसर प्राप्त हो ,सबको अपना विशन निर्धारित करना जरूरी है। जब तक आपके दिमाग में अपने लिए या अपने कैरियर के लिए या अपने व्यवसाय के लिए कम से कम आने वाले तीन साल का गंतव्य नहीं दिख रहा हो ,आप उस सफर के लिए प्रस्तुति नहीं ले सकते हैं। यह जरूरी है ताकि आपको अचानक ऐसे परिस्थितिओं का सामना ना करना पड़े जिसके लिए आप तैयार ना हो। 

आप अपना विशन कैसे निर्धारित करेंगे। आइये बापू से सीखते हैं। बापू ने अहिंसा को क्यों अपना हथियार बनाया अंग्रेज़ों को भगा कर हमारे देश को आजादी दिलवाने के लिए। उन्होंने अपने ताकत को अपनाया। स्वतंत्रता के पहले हमारे पास ना ही थे हथियार ना थी सेना अंग्रेज़ो का मुक़ाबला करने के लिए। हिंसा वाली लड़ाई में अंग्रेज़ों का पल्ला भारी था ,और हमारा कमजोर। परन्तु हमारी जनसँख्या हमारी ताकत थी। बापू को केवल अपने नेतृत्व से लोगों को ललकारना था उनसे जुड़ने के लिए। दांडी यात्रा नमक के लिए शुरू हुआ। नमक के बिना खाना नहीं बन सकता। यह बात लोगों दिल ,दिमाग और पेट से जुड़ गया। बापू को यह भी पता था कि अहिंसा के आधार पर यह लड़ाई लंबा चलेगा। सफलता मिलने में समय लगेगा और अंग्रेज़ लोगों का मनोबल तोड़ने के लिए कुछ भी करेगा। इसी लिए लोगों को साथ बनाये रखने के लिए बापू ने खादी बनाना और पहनना शुरू कर दिया। खादी बनाने का चक्र स्वाधीनता का एक चिन्ह बन गया। लोगों के  स्वाभिमान को एक जबरदस्त प्रोत्साहन मिला। अंग्रेजी कपड़ों को बहिष्कार करके लोगों को एक अलग किस्म के स्वाधीनता का एहसास हुआ। 

अगर आप अपने विशन को निर्धारित करना चाहते हैं तो पहले अपना गंतव्य तय कीजिये। यह निर्णय दो चीज़ पर निर्भर है -आपका स्ट्रेंथ और भविष्य की संभावना। एक उदाहरण स्वरुप समझिये आपका एक दुकान है किराणा दुकान। आप मालिक हो और आप अगले तीन साल में अवसर लेना चाहते हो। आपका वारिस आपकी इकलौती बेटी है जो कि इस वक़्त शादी शुदा है और आपके पड़ोस में रहती है। इस वक़्त वह निर्णय ले पा रही है कि वह आपके दुकान की जिम्मेवारी संभालेगी या नहीं। आप क्या करोगे इस स्थिति में। यह तय करेगा आपके गंत्वय का सफर। जहाँ आपको यह पता होगा कि आपके लड़की का विकल्प होगा अगर वह जिम्मेवारी लेने से इंकार कर दे। यह होता है विशन तय कर लेने का फायदा। 

उम्मीद करता हूँ कि बापू के जन्मदिन के अवसर पर आप अपने ज़िन्दगी को एक विशन दोगे और उस दिशा में कदम बढ़ाओगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है। फिर मिलेंगे अगले महीने दशहरे के बाद। नवरात्री और दूर्गा पूजा के आप सबको अग्रिम बधाई। त्योहारों का समय आपके लिए मंगलमय हो। 

नमस्कार। इस वित्तीय वर्ष के छटे महीनें में आप का स्वागत। सितम्बर का महीना। शिक्षक दिवस का महीना। हमारे देश के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर अपने  शिक्षक को प्रणाम। इस साल भारत के लिए शिक्षक वर्ग के लिए और भी खुश होने के कई कारण हैं। चंद्रयान की सफलता। भारत के युवा खिलाड़ी का शतरंज की दुनिया में अतुलनीय सफलता और विश्व एथलेटिक्स चम्पिओन्शिप्स में भारतीय प्रतियोगी का जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतना और रिले रेस में भारतीय टीम का फाइनल में हिस्सा लेना। इन सब सफलता के पीछे एक नहीं ,अनेक शिक्षक और गुरु का निस्वार्थ योगदान है। तो गुरु या शिक्षक कौन होता है और विद्यार्थी कौन है। इसी विषय पर आज का लेख है। 

खुद से प्रश्न कीजिये कि आपका गुरु कौन है। क्या जिन शिक्षक ने आपको स्कूल ,कॉलेज या किसी शिक्षा संस्थान में आपको पढ़ाया या सिखाया है केवल आपके शिक्षक हैं। शायद नहीं। उनके अलावा भी कुछ ऐसे इंसान होंगे जो शिक्षक नहीं होने के बावजूद आपको कुछ ना कुछ सिखाया है। यह इंसान कोई भी हो सकता है। परन्तु आपकी ज़िन्दगी में हर इंसान ऐसा नहीं हो सकता है। स्कूल या कॉलेज के मास्टरजी या अध्यापक से ऐसे लोग अलग कैसे हैं। फर्क है मजबूरी और स्वेच्छा के साथ स्वयं चुनने का। किसी भी मजबूरी के बिना। स्कूल में किसी भी विषय के अध्यापक को चुनने का विद्यार्थी का कोई हक़ नहीं होता है। नियुक्त किए हुए शिक्षक को स्वीकार कर लेना हम सब की मजबूरी है। परन्तु अध्यन के बाहर के गुरु का चयन हम खुद करते हैं बिना किसी मजबूरी का। 

हमारे इस गुरु के चयन में अपना स्वार्थ जुड़ा होता है। चाहे वह धार्मिक गुरु हो या काम के क्षेत्र का गुरु हो। हम उनको गुरु के दर्जे पे स्थापित करते हैं जिनसे हमें कोई फ़ायदा हो। यह किसी भी दृष्टिकोण से गलत नहीं है। किसी से सलाह लेना उस व्यक्ति को गुरु का दर्जा नहीं दिलवाता है। गुरु ऐसा इंसान होता है जिसके सन्दर्भ में आने से सुकून या मार्ग दर्शन मिलता है। मेरा मानना है कि गुरु शिष्य को नहीं ढूँढ़ता है। शिष्य गुरु को ढूंढ लेता है। 

गुरु और शिष्य का यह रिश्ता एक अंदरूनी विश्वास पर टिका होता है जिसका भीत है एक दूसरे के प्रति सम्मान। इसका तात्पर्य है कि गुरु को भी अपने शिष्य को और उनके भावनाओँ का सम्मान करना आवश्यक है। शिष्य उसी इंसान को गुरु का दर्जा देता है जिनसे वह लगातार सीख सकता है। अतः गुरु को अपने ज्ञान का सठीक प्रयोग करके शिष्य को उनके प्रश्नों के उत्तर ढूंढ़ने में मदत करना पड़ता है। 

एक प्रश्न का जवाब देना मेरे लिए आवश्यक है। शिक्षक और गुरु में फर्क क्या है। जिंदगी में कोई भी इंसान आपका शिक्षक बन सकता है। परन्तु हर शिक्षक गुरु नहीं बन सकता है। शिक्षक ऐसा इंसान जिससे हम कुछ भी सीख सकते हैं। उदाहरण स्वरुप हम परिवार के बच्चोँ से इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के प्रयोग के विषय में काफी कुछ सीख सकते हैं। परन्तु उनको गुरु नहीं बनाते हैं। 

मूल विषय है सीखने का और मार्ग दर्शन का जरूरत। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका सोच होता है कि वह सब कुछ जानते हैं। और उन्हें किसी शिक्षक या गुरु से सीखने का कोई जरूरत नहीं है। यह सोच गलत और कुछ समय बाद उस इंसान के ज़िन्दगी के सफर में बाधा बन जाता है। हर किसी को गुरु का जरूरत नहीं पड़ सकता है परन्तु निरंतर शिक्षा और सीखने की आवश्यकता जरूर है। और इस सीखने में हम कहीं भी ,किसी से भी सीख सकते हैँ। केवल सीखने का जिज्ञासा जरूरत है। 

आज लेख के अंत में मैं अपने दोस्त के ९६ साल उम्र के माताजी का उल्लेख करना चाहता हूँ। छुटिओं में हम उनके कुछ दिनों के लिए ठहरे थे अपने परिवार के साथ। चूँकि वह दक्षिण भारत से है ,उन्होंने मेरी अर्धांग्नी को उत्तर भारत के पद्धति से दाल बनाने को कहा ताकि वह बनाने का तरीका देख सके और सीख सके। यह है सीखने का एक अनोखा मिसाल। सीखने में उम्र की कोई सीमा नहीं है। कोई लज्जा नहीं है। केवल किसी से भी सीखने का विनम्रता होना जरूरी है। 

शिक्षक दिवस के इस अवसर पर हर शिक्षक और गुरु को मेरा सादर प्रणाम। आप सब ने मुझको ज़िन्दगी में यहाँ तक पहुँचने में मदत किया है। मैं सदा आपका आभारी रहूँगा। 

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

नमस्कार। अगस्त का महीना। स्वाधीनता दिवस का महीना। आज़ादी का ७६ साल में हमारा भारत कदम रखा है। हमने आज़ादी का महोत्सव बखूबी मनाया है इस साल। सश्रद्ध प्रणाम उन सब वीर को जिन्होंने अपने तरीके से आज़ादी का जंग लड़ा जिसके कारण हम सबका जन्म आज़ाद भारत में हुआ। शायद हम सब किसी न किसी परिवार के विषय में जानते हैं जिनके किसी पूर्वज ने अपना भूमिका निभाया आज़ादी की लड़ाई में। सबसे महत्वपूर्ण विषय है कि लोगों ने अपने आप इस जंग में हिस्सा लिया -किसी ने उन्हें मजबूर नहीं किया। यह  निःस्वार्थ योगदान कुछ हद तक मजबूरी भी थी।  हमने कभी पराधीन होने का अनुभव महसूस नहीं किया है। जिन्होंने किया है एक ही बात कहा है पराधीनता के विषय में -दम घुटता है। हमने तो आज़ादी हासिल कर ली है। परन्तु क्या हम औरों के स्वाधीनता के विषय में जागरूक हैं ? आज का लेख का विषय है स्वाधीनता ,स्वाधीन देश में। 

जरा सोचिये। अगर आप नौकरी करते हैं तो यह बताईये कि क्या आपको कर्मस्थल में ऐसी सब स्वाधीनता मौजूद जो कि आपको अपने काम के लिए जरुरत है और जो की आपके कंपनी के लिए फायदेमंद है ? अगर आपको काम के क्षेत्र में ऐसी स्वाधीनता प्राप्त हो ,तो आप खुशकिस्मत हो। मेरा तजुर्बा कहता है कि अधिकतर लोगों को यह स्वाधीनता नहीं मिलता है। 

एक और उदाहरण लीजिये अपने घर से। अपने परिवार में महिलाओं को कितनी स्वाधीनता प्राप्त है ? और बच्चों को ? बच्चोँ की उम्र बढ़ती ही नहीं है ,अभिवावकों के नज़र में। अकसर हम पुरुष निर्णय लेते हैं कि किसको कितना स्वाधीनता प्राप्त होगा। हम कौन होते हैं इस अधिकार का हक़ जताने का। हमारे देश में यह एक बड़ी समस्या है। सरकार को भी बेटी बचाओ का अभियान चलाना पड़ता है। इस शताब्दी में लड़कियों ने काफी प्रगति की है -अपने कैरियर में और अपनी स्वाधीनता के लिए। कई क्षेत्र में सरकार का प्रयास भी सराहनीय है -जैसे भारतीय सेना में महिला फाइटर पायलट का नियोग। 

थोड़ी चर्चा करते हैं कि क्यों हम औरों को स्वाधीनता प्रदान करने से हिचकिचाते हैं - कर्मस्थल पर या घर में या समाज में। मेरा निष्कर्ष इस मुद्दे पर यह है कि हम किसी को स्वाधीनता देने से इंकार करते हैं क्योंकि हम  एक गलतफहमी के गुलाम है। हमारा सोच है कि किसी को स्वाधीनता देने से हमारा पॉवर घट जायेगा। अगर आगे वह हमारा बात ना सुने। अगर वह स्वाधीनता प्राप्त करने के बाद हमारे हाथ से निकल जाए। 

पहला कदम क्या है दुसरों को स्वाधीनता प्रदान करने में। खुद को खुशकिस्मत समझना कि हमें ऐसा अधिकार है कि हम किसी को स्वाधीनता दे सकते हैं। इसके लिए अपने आप पर भरोसा रखना जरूरी होता है। अंग्रेजी में जिसे सेल्फ कॉन्फिडेंस कहते हैं।

दूसरा कदम है कि हम किसको स्वाधीनता दे सकते हैं। उसी को जिस पर भरोसा कर सकते हैं कि स्वाधीनता मिलने पर वह इंसान उस स्वाधीनता का नाजायज फायदा नहीं उठाएगा और उसमें क्षमता है कि वह अपना निर्णय खुद ले सकता है। हमने कई लोगों को स्वाधीनता मिलने के बावजूद स्वाधीनता स्वीकार करने का कॉन्फिडेंस नहीं दिखा पाता है। एक उदाहरण के तौर पर आपने कर्मक्षेत्र में कई ऐसे लोगों को देखा होगा जिनको किसी विषय में निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है परन्तु यह इंसान एक बार अपने बॉस से पूछ लेना चाहता है। ऐसा इंसान कभी भी काम के क्षेत्र में स्वाधीनता नहीं चाहता है। 

तीसरा कदम है स्वाधीनता प्रदान करने के बाद उसका मॉनिटरिंग करना। यह ऐसा नहीं हो सकता है कि उसका स्वतंत्रता घुटता महसूस हो। मान लीजिए आपने अपने बच्चे को कुछ जेब खर्च दिया है पहली बार। हर रोज़ आप यह नहीं पूछ सकते हो कि क्या ख़रीदा ,बिल दिखाओ। महीने में या हफ्ते में एक बार आप जरूर चर्चा कर सकते हो जेब खर्च मिलने की वजह से बच्चे को क्या फायदा हो रहा है और वह उस पैसे का इस्तेमाल कैसे कर रहा है। बहुत सारे अभिभावक यह जान कर अचंभित हो जाते हैं जब बच्चे उन्हें यह बताते हैं कि जेब खर्च का संचय करके कुछ नया खरीदना चाहते हैं। 

यह महीना रक्षा बंधन के त्यौहार का पुण्य महीना है। जिनके ज़िन्दगी में बहनें हैं उन्हें सोचना चाहिए कि इस अवसर अपने बहन को कौन सा स्वतंत्रता देंगे या दिलायेंगे। यह आपके बहन के लिए सबसे उमदा उपहार होगा। सोचिये और कीजिए। हमारे स्वाधीनता दिवस के लिए आप सब को अग्रिम बधाई। स्वतंत्र रहिये और दूसरोँ के स्वतंत्रता का सम्मान कीजिए। अपने जीवन से आपको और अधिक आनंद मिलेगा। 

बुधवार, 28 जून 2023

नमस्कार। इस साल के छह महीने गुज़र गए। आधा समय चला गया। आपने इन महीनों में क्या हासिल किया है ?वक़्त ऐसे ही बीत जाता है। अचानक हमें महसूस होता है कि वक़्त गुज़र गया परन्तु हमने कुछ नहीं किया है और पश्चाताप करते हैं। इससे कोई फायदा नहीं होता है। हमें इस वक़्त का फायदा उठाना जरूरी है। इसके लिए निर्णय लेने में हिचकिचाने से मौका हाथ से निकल जाता है। और इसी में हारने का दुःख या जीतने का आनंद होता है। शायद आप २०११ साल में मुंबई में आयोजित विश्व कप क्रिकेट के फाइनल मुक़ाबले में भारत और श्री लंका के मैच को नहीं भूल गए हैं। हमारे कप्तान कूल ने बैटिंग क्रम बदल कर हमें जीत हासिल करने में मदत की। इसके विषय उन्होंने अपने निर्णय के पीछे का कारण भी बताया है। 

आज का लेख हमारे कप्तान कूल के नेतृत्व के विषय में है। पहली वजह इस विषय का है ७ जुलाई -हमारे कप्तान का जन्मदिन। बधाई हो आपको। स्वस्थ रहें और मार्ग दर्शक बने रहें हम सब का। दूसरा कारण इस विषय के चयन के पीछे है उनका इस साल आई पी एल में अपने टीम को चैंपियन बनाना। उनकी टीम को किसी भी क्रिकेट के पंडित ने टूर्नामेंट के शुरू में फेवरिट का तक्मा नहीं दिया क्योंकि उनकी टीम उतनी मजबूत नहीं थी। और इसी वजह से उनकी टीम के इस जीत पर हम सब आश्चर्यचकित रह गए। 

क्या गुण हैं हमारे कप्तान कूल के जो उन्हें इतना सफलता दिलाता है। मुझे पता है कि ऐसी चर्चा काफी हुई है। मैंने भी इस विषय पर लिखा है। फिर इस बार क्या नया है। इस लेख में मैं तीन  नए गुण का ज़िक्र करूँगा जो शायद आप पहली बार सुनोगे। 

उनकी मुस्कान -हमारे कप्तान कूल के होठों पर एक मुस्कान हमेशा मौजूद होता है। इस मुस्कान का असर उनके टीम पर और उनके साथ जो जुड़ते हैं उन पर एक मोह बन जाता है। एक इंसान कब ऐसा कर सकता है। तभी जब वह खुद अंदर से विचलित नहीं होता है। और खेल के मैदान में किसी भी खिलाड़ी का सबसे ज़्यादा टेंशन किस विषय का होता है -खेल में हार जाने का। जो भी इंसान इस बात से समझौता कर ले कि किसी भी खेल में हार और जीत एक ही सिक्के के दो पहलु हैं ,वही हार से कभी नहीं डरेगा। और इसी डर के दूर होने पर एक सुकून आता है , अंदर से , जो कि खिलाड़ी को और लीडर की हैसियत से टीम को रिलैक्स करने में मदत करता है। टेंशन करने से परफॉरमेंस ख़राब होने का संभावना बढ़ जाता है। परिणाम पर किसी का कंट्रोल नहीं है। अपने मेहनत पर १०० प्रतिशत कण्ट्रोल है। कप्तान कूल खुद और अपने टीम को मेहनत पर ही फोकस करने पर मजबूर करता है।  

अपने निर्णय पर विश्वास -चाहे परिणाम कुछ भी हो। इस साल आई पी एल के एक मैच में उन्होंने टॉस जीतने के बाद पहले बैटिंग करने का निर्णय लिया। यह मैच उनकी टीम बुरी तरह से हार गई। मैच के अंत में वही मुस्कान और कमेंटेटर ने जब पूछा कि शायद पहले बैटिंग करने का निर्णय सही नहीं था।  इस बात का कोई दुःख है। कप्तान ने बैटिंग करने के सिद्धांत के पीछे का कारण बताया। फिर बताया कि मैच के दौरान पिच का रुख बदल गया जो उन्होंने सोचा नहीं था। ऐसा होता है और इस हार का उनका कोई गम नहीं है। 

अपनी और टीम के हर सदस्य के काबिलियत को समझना और उसके अनुसार रणनीति का चयन और प्रयोग करना। आपने ख्याल किया होगा कि इस साल के आई पी एल में कप्तान ने खुद को बैटिंग क्रमांक में काफी नीचे उतार दिया था। उनको टीम में अपना भूमिका क्या है इसका सही निर्णय उन्होंने किया था। पहली जिम्मेवारी नेतृत्व , दूसरी विकेट कीपिंग और तीसरा धुआंधार बल्लेबाज़ी।  उनको मालूम है कि टीम के अन्य सदस्य उनसे पहले बैटिंग करेंगे क्योंकि उसी में टीम का भला है। इंग्लैंड के टेस्ट टीम के बर्तमान कप्तान और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आल रॉउंडर जब चोट की वजह से बोलिंग ना कर सके तो उनके जगह पर कप्तान कूल ने ऐसे बल्लेबाज़ को मौका दिया जिनका प्रदर्शन पिछले तीन सालों में इतना ख़राब था कि कोई भी टीम इस खिलाड़ी को नहीं खरीद रहा था। इस खिलाड़ी एक नया अवतार हम सब ने देखा। कप्तान ने इस निर्णय के विषय में क्या कहा ? चूँकि विपक्ष के हर टीम में कई सारे तेज़ गति के गेंदबाज़ थे जो कि पारी के शुरू में गेंदबाज़ी करेंगे ,उन्हें अपने टीम में तीन नंबर पर ऐसा एक बल्लेबाज़ जरूरत था जो कि तेज़ गेंदबाज़ों को खेलने में माहिर हो। उन्होंने इस बल्लेबाज़ को ऐसा समर्थन दिया जिसके कारण ना ही इस बल्लेबाज़ ने अपनी टीम के चैंपियन बनने में अहम् भूमिका निभाई , उन्होंने भारतीय टेस्ट टीम में अपनी वापसी भी की। यही है कप्तान कूल का नेतृत्व में खेलने का परिणाम। 

कप्तान कूल -आपको जन्मदिन बधाई हो। आप शायद अगले कुछ वर्षों में अवसर लोगे खिलाड़ी के हैसियत से। परन्तु पिकचर अभी बहुत बाकी है कप्तान। हमें इंतेज़ार रहेगा कप्तान कूल के अगले अवतार का। स्वस्थ और खुश रहिए। यह हम सब की दुआ है। 

गुरुवार, 22 जून 2023

 Press Release

सीड अकादेमी इंडिया ने एक नए कार्यक्रम का ऐलान किया है। हिंदी में अंग्रेजी बोलना सीखिए। सीड अकादेमी इंडिया कलकत्ता में स्थापित और स्थित एक कंपनी है जिसके प्रतिष्ठाता दीपक प्रामाणिक कॉरपोरेट दुनिया में एक इज़्ज़तदार हस्ती हैं। उन्होंने इस कोर्स की घोषणा करते हुए कहा कि अधिकतर लोग अंग्रेजी भाषा से वाकिफ हैं परन्तु अंग्रेजी भाषा बोलने से झिझकते हैं। इसी वजह से ऐसे इंसान अंग्रेजी बोल नहीं सकते हैं और अपने जीवन से औरअधिक आनंद पाने से वंचित हो जाते हैं। 

कर्म जीवन में भी कॉन्फिडेंटली अंग्रेजी बोलने का फायदा मिलता है। कई पदों के इंटरव्यू में उत्तीर्ण होने के लिए अंग्रेजी कॉन्फिडेंटली बोलना आवश्यक होता है।  पारिवारिक ज़िन्दगी में कई अभिभावक अपने बच्चे के स्कूल में अंग्रेजी भाषा में पैरेंट -टीचर मीटिंग में वार्तालाप करना चाहते हैं ,परन्तु इस झिझक के कारण बोल नहीं सकते हैं। 

सीड अकादेमी का इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स -हिंदी में कॉन्फिडेंटली अंग्रेजी बोलना सीखिए कई कारण से बाजार में मोजूदा कोर्स से अलग है। 

  1. क्लास में ट्रेनर हिंदी भाषा का प्रयोग करता है। सोचिये आप अंग्रेजी बोलना सीख रहे हो और आपका ट्रेनर अंग्रेजी भाषा में बात कर रहा है। क्या आप सब कुछ समझ सकोगे ? या हिंदी में बेहतर समझ सकोगे ?
  2. बचपन में कोई नया भाषा सीखना आसान होता है क्योंकि हमारा सोच पर तजुर्बे का कोई प्रभाव नहीं होता है। वयस्क लोगों को हर नए चीज़ को अपने तजुर्बे के अंदाज़ से देखने का अभ्यास है। आपके ट्रेनर इस बात को समझ कर ऐसे उदाहरण के माध्यम के सहायता से आपको अंग्रेजी सीखने में मदत करते हैं। 
  3. किसी भी भाषा को बोलना सीखने के लिए एक मात्र उपाय है उस भाषा में बात करना। हमारे क्लास में यही प्रयास रहता है हमारे ट्रेनर का। यही नहीं खुद अंग्रेजी बोलना प्रैक्टिस करने के लिए एक एप्प बनाया जा रहा जो कि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI ) के माध्यम से फीडबैक देगा आपके अंग्रेजी को बेहतर बनाने के लिए। 
  4. हमारा क्लास ऑनलाइन वीडियो क्लास है जिसमे आप लाइव क्लास में दुनिया के कहीं से अटेंड कर सकते हैं। 
  5. हर दूसरे दिन क्लास होगा। डेढ़ घण्टे का क्लास होगा। ऐसे ३० क्लास होंगे। कुल ४५ घंटों का यह पूरा कोर्स है। 
  6. पूरे कोर्स की कीमत मात्रा ३००० रुपये हैं। आप १००० रूपये के तीन किष्तों में अपना फीस दे सकते हैं। अगर आप एक बार में पूरा फीस देंगे तो आपको ५०० रूपये का डिस्काउंट मिलेगा और आप ३००० रुपये के जगह मात्र २५०० रुपये देंगे पूरे कोर्स के लिए। 
  7. पहला क्लास ७ जुलाई २०२३ को शाम ७:३० बजे से रात के ९ :०० बजे तक होगा। यह क्लास आप बिना कुछ फीस पे करके अटेंड कर सकते हैं। इस क्लास को अटेंड करने के बाद आप अपना फीस पे कर सकते हैं। 
  8. अधिक जानकारी के लिए seedacademyindia.com के वेबसाइट पर जा सकते हैं या ९९०३७४७२१३ पर फ़ोन कर सकते हैं। 
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शुक्रवार, 2 जून 2023

नमस्कार। जून का महीना। गर्मी से बरसात की ओर मौसम का सफर। भयानक गर्मी से हमारे देश के अधिकतर राज्य के लोग परेशान। मौसम दफ्तर से तुरंत इस गर्मी से राहत मिलने की भविष्यवाणी नहीं सुनाई पड़ रही है। संयोग से आज विश्व पर्यावरण दिवस है। 

वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था। इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद ,5 जून 1973 से इसे मनाना भी शुरू कर दिया। इसमें हर साल 143 से अधिक देश भाग लेते हैं और इसमें कई सरकारी ,सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं। 

मेरे लिए इस दिवस को हम सब को निजी हैसियत से समझना और निभाना चाहिए। अगर हम सब केवल अपने और हमारे ज़िन्दगी से युक्त कार्य कलाप का मूल्यांकन करे और यह समझ ले कि हम ऐसा क्या कर रहें हैं जो कि पर्यावरण को दूषित कर रहा है और उन सब गतिविधियों को ना करें तब हम अपनी ओर से विश्व पर्यावरण और दूषित ना करने में अपना कर्त्तव्य निभाएंगे। मैंने निर्णय किया है कि मैं प्लास्टिक बैग का प्रयोग वर्जित करूँगा अपनी ओर से। और हमारे परिवार ने निर्णय लिया है कि हम घर में और घर के चलने में पानी का अपचय रोक देंगे। छोटा प्रयास है परन्तु महत्वपूर्ण प्रयास है। इरादे तो सठीक हैं परन्तु क्या हम डिसिप्लिन के साथ हमारे इरादों पर टिके रह पाएंगे। अनुशाषन या डिसिप्लिन ही किसी भी प्रयास में सफल होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। 

हाल में किसी ने मुझे एक वीडियो फॉरवर्ड किया। इस वीडियो एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के एक अध्यापक ने एक रिसर्च किया है। इस रिसर्च या अनुसंधान का विषय था सफल और प्रसिद्ध इंसानों के सफलता तक और सफल बने रहने के सफर का अध्ययन करके इस निष्कर्ष पर पहुँचना कि सफलता के पीछे कोई ऐसा राज़ छुपा है जो कि हर सफल इंसान के सफलता का एक कारण है। इस सन्दर्भ में यह बताना जरूरी है कि इस रिसर्च में हर क्षेत्र में सफल लोगों का अध्यन किया गया है। खेल -कूद ,म्यूजिक ,नृत्य ,सिनेमा ,विज्ञान ,साहित्य , हर क्षेत्र के सफल इंसानो के विषय में उनके सफलता के पीछे एक राज़ हर किसी के लिए देखा गया है। 

यह राज़ प्रेरणा नहीं है। यह है डिसिप्लिन या अनुशाषन। मैं भी इस जानकारी से आश्चर्य हुआ हूँ। सबसे चौकाने वाली बात है इन सब सफल लोगों के लिए अनुशाषन की परिभाषा। इनका कहना है कि अनुशाषन उस वक़्त का सहारा है जब दिल और दिमाग दोनों मना करता है वह करने को जिस पर सफलता निर्भर करता है। हारमोनियम पर रिवाज़ जरूरी है परन्तु दिल और दिमाग कह रहा है कि रिवाज़ करने का मूड नहीं है ,तब अनुशाषन मजबूर करता है दिल और दिमाग को वष में लेकर रिवाज़ करना क्योंकि उसका कोई विकल्प नहीं है। 

इसका सबसे बड़ा उदाहरण इस साल के आईपीएल में मिला है। 2018 में भारतीय क्रिकेट टीम ने under 19 विश्व कप जीता था। इस टीम के कप्तान और उप कप्तान को भविष्य का प्रतिभा माना जाता था। परन्तु इस साल -ठीक पाँच साल बाद उप कप्तान आईपीएल में टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का ख़िताब से आभूषित हुआ और कप्तान को लज्जाजनक तरीके से अपनी टीम से निकल जाना पड़ा। हर क्रिकेट पंडित इस विषय में एक ही निष्कर्ष पर पहुँचा है -एक का अनुशाषन और कप्तान में अनुशाषन का अभाव। 

कप्तान का जब भी जिक्र होता है तब कप्तान कूल का चर्चा आवश्यक होता है। पाँचवी बार आईपीएल का ख़िताब जीतने के लिए मुबारक। आप कैसे प्रेरित करते हो ऐसे टीम को चैंपियन बनने में। जहाँ नए और अनुभवी खिलाड़ी दोनों ऐसे जूनून के साथ खेलते हैं टीम को चैंपियन बनाने में। मैं अगले महीने कप्तान कूल के जन्मदिन के अवसर पर उनके लीडरशिप पर चर्चा करूँगा। 

तब तक आप खुश रहें ,स्वस्थ रहें और पर्यावरण में दूषण कम करने के लिए जो भी संभव हो प्रयास करें। 

शुक्रवार, 5 मई 2023

नमस्कार। मई का महीना। गर्मी का मौसम। और मई दिवस का महीना। मई दिवस अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के नाम से पूरे विश्व में मनाया जाता है। मई दिवस पहली बार 1886 में मनाया गया था। अमरीका में मजदूरों ने दिन में आठ घंटे काम करने की माँग की। उन्होंने बेहतर काम करने का वातावरण, वेतन में बढ़त और अपने मौलिक अधिकारों के लिए मांग की। इस आंदोलन ने मजदूरों की और उनके परिवारों की ज़िन्दगी बदल दी। हमेशा के लिए। जिसका प्रभाव अर्थनीति और ज़िन्दगी पर ऐसा रहा कि वयवसाय करने के पद्धति को बदल डालना पड़ा। आज लेख इस 'अधिकारों' के विषय पर चर्चे के लिए है। 

भारतीय संबिधान ने सात मौलिक अधिकार निर्धारित किया हर भारतीय नागरिक के लिए। समानता का अधिकार , स्वतंत्र जीवन जीने का अधिकार , शोषण के खिलाफ अधिकार , किसी भी धर्म और धार्मिक प्रथाओं को निभाने का अधिकार , शिक्षा और संस्कृति का अधिकार , निजी संपत्ति का अधिकार और  साम्बीधानिक न्याय का अधिकार। 

इस सन्दर्भ  में कभी हमने अपने और दूसरों के अधिकारों के विषय में सोचा है ? शायद उतना नहीं सोचा है। हमने अपने अधिकारों के लिए सोचा है दूसरों के अधिकारों से कहीं ज़्यादा। यही नहीं। हमने कहीं कहीं दूसरों का अधिकार निर्धारित कर देतें हैं अपने दृष्टिकोण के आधार पर। माता -पिता या अभिवावक बच्चों के लिए , शिक्षक विद्यार्थिओं के लिए , पति पत्नी एक दूसरे का और मोहब्बत में प्रेमी एक दूसरे का। बॉस अपनी टीम का। 

यह , मेरे विचार में सही नहीं है। और कुछ हद तक सही भी है। उदाहरण स्वरुप माता -पिता बच्चों का मोबाइल टाइम का प्रतिबंधन लगाते हैं। यह सही है। परन्तु जितना समय निर्धारित करते हैं उसमें बच्चे मोबाइल के साथ क्या करेंगे उसको मजबूर करना सही नहीं है। कुछ अभिवावक कहते हैं कि बच्चे गलत इस्तेमाल करेंगे मोबाइल का इस लिए उन पर नज़र रखना जरूरी है। मैं इस विचार से सहमत नहीं हूँ। कोई भी इंसान अगर छुपा कर कुछ करना चाहता है , तो कोई उसे नहीं रोक सकेगा। 

हम जैसे अपने अधिकारों के विषय में जागरूक हैं और उनको प्राप्त करना चाहते हैं , हम उतना ध्यान अपनी जिम्मेवारिओं पर नहीं देते हैं। अधिकार और उसके साथ जिम्मेवारी एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। और किसी का भी ज़िन्दगी खोटा सिक्का नहीं है। रिश्ते अधिकार और कर्त्तव्य के आधार पर बनते ,सवरतें और बिगड़ जाते हैं। आप सबको निवेदन है कि इस अधिकार और जिम्मेवारी के सिक्के को सावधानी के साथ रखिये। इसी में हम सब का मंगल। हर महीने इस लेख के लिए आपका इंतेज़ार करना आपका अधिकार है और इसको पेश करना मेरी जिम्मेवारी। आपसे मेरी लेख का फीडबैक मिलने की उम्मीद करना मेरा अधिकार है। क्या आप इसको अपना जिम्मेवारी समझते हैं ?

शुक्रवार, 31 मार्च 2023

नमस्कार। नए वित्तीय वर्ष का अभिनंदन। वित्तीय वर्ष का  महत्व मेरे अनुसार ज़्यादा है। व्यवसाय , नौकरी , विद्यार्थी, अवसर प्राप्त हर कोई इस वित्तीय नए वर्ष का इंतेज़ार करता है। उम्मीद के साथ। बेहतर खबर प्राप्त करने के लिए। जरा सोचिये इन्क्रीमेंट कब मिलता है। नए कक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए परीक्षा के रिजल्ट्स कब निकलते हैं। सरकार नए इंटेरेस्ट रेट की घोषणा कब करती है। व्यवसाय में नए साल की शुरुआत कब होता है। अप्रैल के महीने में। 

इस साल मैं आप सब को तीन संभावनाओं के विषय में बताना चाहता हूँ जो कि इस वित्तीय वर्ष के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रथम संभावना है कि यह साल कोरोना के पूर्व व्यवसाय से ज़्यादा व्यवसाय हो सकता है। यह किसी भी व्यवसाय के लिए संभावना है। परंतु इस सुयोग का फायदा लेने के लिए हर व्यवसाय को कठिन मेहनत करना पड़ेगा  और अधिक  कम्पीटीशन से जूझना पड़ेगा। इसके लिए डिजिटल माध्यम का एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहेगा। साधारण सी बात है। अगर आप का व्यवसाय डिजिटल दुनिया से हाथ नहीं मिलाएगा तो ग्राहक आपसे हाथ नहीं मिलाएंगे। मैंने खुद देखा है कि कुछ लोकप्रिय दुकानदार अभी भी यु पी आई के जरिए पैसे स्वीकार नहीं कर रहें हैं। इसमें उनका नुकसान है। अधिकतर युवा पीढ़ी इस माध्यम से अपनी खरीदारी का पेमेंट करती है। जो ऐसा व्यवसाय करते हैं ,जहाँ ग्राहक इंटरनेट के माध्यम से ढूंढ़ता है कि वह किस के पास जाएगा अपनी खरीदारी के लिए , अगर आपका व्यवसाय उनके इस सर्च में नहीं उभरता है ,फिर वह आपके पास नहीं आएगा। उदाहरण स्वरुप अगर आप एक सलोन के मालिक हो ,आपको डिजिटल दुनिया में उपस्थिति अब मजबूरी बन चुकी है जिसके बिना आप बिज़नेस में पीछे हो जाओगे। यही डिजिटल दुनिया आप  को घर से और घर पर बैठ कर व्यवसाय करने का मौका प्रदान करती है। 

दूसरी संभावना पहले का एक्सटेंशन है। चूँकि व्यवसाय का अवसर बढ़ने वाला है कम्पीटीशन भी उतना ही बढ़ेगा और एक दूसरे के ग्राहक को छीनने की कोशिश करेगा। एक उदाहरण स्वरुप मैं चर्चा करूँगा अभी ऑनलाइन में डिस्काउंट के साथ दवाई बेचने वाले कंपनीओं का। दवाई के दुकानदार क्या करेंगे इन परिस्थितिओं में। उनके ग्राहक तो उनसे भाग जायेंगे। यहीं पर रिश्ता बनाने का प्रयास जरूरी बन गया है। इस तरह का संभावना हर व्यवसाय के लिए है। ग्रोसरी की दुकानों का भी यही परिस्थिति है। उनके ग्राहकों को पकड़ कर रखने के लिए रिश्तों का साथ लेना पड़ेगा। ऐसा कुछ करना पड़ेगा जो कि ग्राहक को फायदेमंद लगता हो। क्या आप मेरी बात से सहमत हो ? क्या करोगे अपने व्यवसाय में ग्राहकों को पकड़ कर रखने के लिए ? आप मुझे फेसबुक के माध्यम से अपना सवाल पूछ सकते हैं इस विषय पर। मैं जरूर जवाब देने की कोशिश करूँगा। 

तीसरी संभावना है क्वालिटी और ट्रांसपेरेंसी का डिमांड -किसी भी क्षेत्र में। चाहे वह नौकरी के लिए एप्लीकेशन का ,सामग्री या सर्विस खरीदने में या किसी भी रिश्ते में जुड़ने में। यह भविष्य में और भी महत्वपूर्ण हो जायेगा। हम कुछ भी , जो कि सच नहीं है ,छुपा नहीं सकेंगे। और एक बार कोई सच्चाई को छुपाते हुए पकड़ा गया ,उससे रिश्ता तोड़ दिया जायेगा और दूसरों को सतर्क कर दिया जायेगा -इससे दूर रहो। मैंने कई इंटरव्यू के बायो डाटा में अक्सर देखा है कि लोग कुछ ऐसे तथ्य का जिक्र नहीं कर रहें हैं , जो आवश्यक है। क्योंकि उसको छुपाना चाहते हैं चूँकि वह उनकी कमजोरी है। कोई भी परफेक्ट इंसान या ब्रैंड नहीं हो सकता है। परन्तु हर कोई सच्चाई के साथ जरूर खुद को या किसी ब्रैंड को पेश कर सकता है। कर के देखिये और लोगों को आपके साथ जुड़ने का आनंद लीजिये। क्योंकि हर इंसान भरोसे का रिश्ता ढूंढ़ता है। 

आपका यह वित्तीय वर्ष सफल हो। यही मेरी दुआ होगी। आप लोग कई सालों से मेरे साथ इस लेख से जुड़े हुए हो। इसके लिए आप सबको दिल से धन्यवाद। इस महीने से आप मेरे फेसबुक पेज पर पुराने कुछ लेख का ऑडियो संस्करण सुन सकोगे। मैं हर वक़्त आपके सुझाव का इंतेज़ार करता हूँ। इंतेज़ार करता रहूंगा।   

शुक्रवार, 3 मार्च 2023

नमस्कार। मार्च के महीने में आपका स्वागत। वित्तीय वर्ष का आखरी महीना। टैक्स बचाने के माध्यम का प्रयोग। होली का त्योहार और अंतर्जातिक  महिला दिवस का महीना। नौकरी और व्यवसाय में साल का टारगेट का तनाव और अगले वित्तीय वर्ष की प्रस्तुति। मार्च का महीना एक व्यस्त महीना। 

मै खुद से पूछ रहा था कि क्यों मैं साल के आखिरी महने तक इंतेज़ार करता हूँ टैक्स बचाने के लिए जो उपाय है उसमें निवेश करने के लिए। यह प्रश्न मैंने अपने धर्मपत्नी से किया। उनका सीधा जवाब -अगर मुझ पर भरोसा करते तो मैं हर महीने निवेश कर के मार्च के महीने पर इतना बोझ नहीं कर देता। पर तुम मर्द लोग तो हम पर वित्तीय मामलों पर भरोसा नहीं करते हो। यद्यपि हम तुम लोगों से इस विषय में ज्यादा माहीर हैं। मैं समझ गया हूँ उनकी बात। हम अकसर महिलाओं के काबिलियत को समझ नहीं पाते हैं या अपने मर्द होने के अहँकार की वजह से समझ कर भी स्वीकार करना नहीं चाहते हैं। 

शायद महिलाओं के सम्मान में इसी लिए 8 मार्च को अंतर्जातिक महिला दिवस के नाम से मनाया जाता है। मेरा प्रश्न है कि केवल एक दिन ही क्यों ? बाकी ३६४ दिन क्यों नहीं ? साल का एक दिवस पुरुष के नाम पर भी लिखा हुआ है ? क्या आप जानते हैं कौन सा दिन है वह ? मुझे पता नहीं था। गूगल करके पता चला कि 19 नवंबर अंतर्जातिक पुरुष दिवस है।  मेरा मानना है कि हम पुरुष लोग महिला दिवस के विषय में ज़्यादा जानते हैं और उसको सेलिब्रेट भी ज़्यादा करते हैं। इसका मनोविज्ञान है कि एक दिन सेलिब्रेट कर के हम महिलाओँ को एक अलग दर्ज़ा प्रदान करते हैं। मेरे ख्याल से हम यह गलत करते हैं। मैं तो यह समझता हूँ कि महिलाएँ हम पुरुष लोगों से किसी भी क्षेत्र में हमसे कम काबिल नहीं हैं। एक विषय हम पुरुष लोग हमेशा महिलाओं से पीछे रह जाएँगे -एक और इंसान को जन्म देने के क्षमता में। 

आपने देखा होगा कि भीड़ सड़क पर अगर कोई गाड़ी बंद पर जाये और चालक अगर महिला हो तो हम टिप्पणी करते हैं महिला चालक है इस लिए ऐसा हो सकता है। हम मर्दों से गाड़ी कभी बंद नहीं पड़ी है। ऐसे विचारों से ही शुरू होता है पुरुषों को खुद को महिलाओं से ज़्यादा काबिल होने का भ्रम। मैं तीन सोच के जरिए इस भ्रम से मुक्ति हासिल कर सका हूँ। पहला महिलाऐं  पुरुष से ज़्यादा काबिल होती हैं। किसी भी हद में कम काबिल नहीं होती हैं सिवाय फिजिकल लड़ाई के लिए। मानसिक लड़ाई में महिलाएँ जरूर आगे हैं। दूसरी बात महिलाओं के साथ इज्जत और बिना उनको कम काबिल सोच कर पेश आने पर उनकी तरफ से हमें कहीं ज़्यादा इज्जत और सम्मान मिलता है। और तीसरा उन पर भरोसा करके देखो। उस भरोसे का इज्जत और जिम्मेवारी किस तरह कोई महिला निभाती है ,प्रशंशनीय होता है। 

अंत में यही विनती करूँगा आप सभी से। महिलाओं को समान दर्जा दीजिए। इसमें सबसे अधिक फायदा हम पुरुषों का है। हमें अपने आप को महिलाओं से बेहतर और ज़्यादा काबिल प्रमाण करने के टेंशन से हमेशा के लिए मुक्ति हासिल कर सकते हैं। 

होली का त्योहार सावधानी के साथ एन्जोय कीजिये। आपके आनंद का कारन किसी के लिए नाराजगी का वजह ना बन जाए इसी का ख्याल रखिएगा। खुश रहिये। स्वस्थ रहिये। फिर मुलाकात होगी.वित्तीय साल के पहले महीने में। 

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

नमस्कार। फ़रवरी का महीना। रोमांस का महीना। वैलेंटाइन डे का महीना। प्यार का महीना। किसको प्यार करतें हैं आप। अपने आप से कितना प्यार करते हैं। कभी आप ने खुद के साथ रोमांस किया है। क्या खुद के साथ रोमांस करना चाहिए। हम रोमांस में करते क्या है। किन भावनाओं से गुजरते हैं हम रोमांस के दौरान। क्या वैसी भावनायें खुद के साथ रोमांस में मौजूद है। आज का विषय खुद के साथ रोमांस करने का है। क्यूँकि यह अति आवश्यक है। यह मेरी समझ है। मेरा विश्वास है। 

किसी भी रोमांस का शुरुआत एक दूसरे को बेहतर समझने और जानने के साथ शुरू होता है। और इस जानने की चेष्टा में एक दूसरे के साथ समय बिताना और एक दूसरे को समझने का प्रयास अति आवश्यक होता है। बेहतर समझ के लिए जो बोला जा रहा है उसको सुनने के अलावा अनकही लव्जो को समझना बहुत जरुरी है। क्या हम अपने शरीर, दिल और दिमाग की बातों को सुनने का प्रयत्न कर रहे हैं। क्या ज़िन्दगी के इस भाग दौर में हमारे पास समय है खुद के लिए। कुछ समय अपने विषय पर सोचने के लिए। खुद के साथ बातचीत करने के लिए। खुद को समझने के लिए। यह आपके लिए रोमांस का पेहला कदम होगा। अगर हम खुद के साथ रोमांस नहीं कर सकते ,हम किसी और के साथ कैसे करेंगे। 

खुद को समझते हम किसकी पहले सुनेंगे -शरीर ,दिल या दिमाग। तीनों का सुनना पड़ेगा। क्योंकि यह एक ही त्रिभुज के तीन कोण हैं। एक उदाहरण लीजिए। किसी कारन आपको अगर टेंशन होता  है तो आपके सेहत पर असर होता है। आप ठंडे दिमाग से सोच  नहीं सकते हो। थोड़ा समय निकालिए अपने व्यस्त जीवन में खुद के साथ बातचीत करने के लिए। यह समझने की कोशिश कीजिये कि आपको आनंद या ख़ुशी किस चीज़ से मिलती है। और आपकी उदासी का कारण क्या हो सकता है। इस सन्दर्भ में दो चीज़ों का ज़िक्र करना जरूरी है। आपकी ख़ुशी किसी और के गम का कारण नहीं हो सकता है। दूसरी बात किसी और की ख़ुशी आपके उदासी का कारण नहीं बन सकता है। कई इंसान दूसरों के साथ तुलना में खुद को दुखी बना लेते हैं। यह कभी भी किसी के लिए फायदे मंद नहीं होता है। 

रोमांस करने के लिए सबसे अधिक ज़रुरत है समय का। अगर हम सात घंटे सो कर बिताते हैं ,तब हमारे पास १७ घंटे बचते हैं। हम अगर अवसर प्राप्त या रिटायर्ड नहीं हैं ,तब आठ घंटे निकल जाते हैं काम के लिए। बचते हैं नौ घंटे। प्रसाधन, खाना-पीना ,आना-जाना में करीब तीन से पाँच घंटे निकल जाते हैं। मुंबई ,दिल्ली जैसे बड़े शहरों में आने-जाने का समय ज्यादा होता है। बचे हुए तीन -चार घंटों को हम कैसे बिताते हैं , वही महत्वपूर्ण है। इस बचे हुए समय में हम कितना समय खुद के साथ बिताते हैं यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसको अंग्रेज़ी में 'मी टाइम 'कहते हैं। यही रोमांस का समय है। खुद के साथ। ऐसा कुछ कीजिये जो आप करना चाहते हैं। यह अगर आप कर सकें तो आप का स्ट्रेस जरूर कम हो जायेगा। मुझे इस प्रथा से अत्यधिक फायदा हुआ है स्ट्रेस मैनेजमेंट में। दावे के साथ कह सकता हूँ कि आपको भी होगा। रोमांस अगर बगैर स्ट्रेस का हो ,तो सोने पे सुहागा होता है। 

इस लेख के माध्यम से मेरा रिश्ता आपके साथ शुरू हुआ है। यह रिश्ता बरक़रार रहे और मजबूत बन जाये यही मेरी चेष्टा रहेगी। रिश्ते ही रोमांस के नीव होते हैं। और रोमांस में एक दूसरे को समझना। एक दूसरे में क्या अच्छा लगता है और कहाँ या करने से रोमांस और मजबूत और आनंदमय होगा इसका फीडबैक मिलना आवश्यक होता है। मुझे इस लेख को और बेहतर बनाने में आपके सुझाव का इंतेज़ार करूँगा फेसबुक के माध्यम से। वैलेंटाइन्स डे पर सब मेरा श्रद्धा से भरा हुआ स्वीकार कीजिए। खुश रहिए। यही तो जीने का सबसे महत्वपूर्ण रोमांस है।