नमस्कार। आज एक विशेष इंसान का जन्मदिन है। हमारे कप्तान कूल का। जिन्होंने पहले टी २० विश्व कप में हमें विजय दिलाया था। १७ साल बाद इस साल हम फिर विजयी हुए हैं। काफी चर्चा हो रही है इस वक़्त इस विजय का। और क्यों नहीं। तीन दिग्गज खिलाड़ी और हमारे कोच ने इस विश्व कूप के बाद सन्यास लेने का एलान किया है।
हम हमारे विजयी टीम को सलाम करते हैं। आज का लेख इन खिलाड़िओं के जीवन से मिले प्रेरणा पर है। हमारे कप्तान कूल के जीवन से हमने कई सीख ली है। पहली सीख है कि किस्मत पर किसी का कण्ट्रोल नहीं है। अतः परिणाम पर फोकस करना व्यर्थ है। प्रयास मेरे हाथ में है। प्रयास कितना और कैसा होगा हमारे अनुशीलन या प्रैक्टिस पर निर्भर करेगा।
दूसरी सीख है कि कठिन परिस्थितिओं में टीम को आगे से बढ़कर नेतृत्व देना फ़र्ज़ बनता है कप्तान का। २०११ के विश्व कप के फाइनल में उनकी पारी ने हमारे देश के विजय को सुरक्षित किया। और इसके लिए हमारे सबसे खिलाड़ी युवराज के पहले उन्होंने बल्लेबाज़ी की। अन्य कप्तान शायद युवराज को पहले मैदान पर उतरने देते क्योंकि वह उस टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गए थे। मैच के बाद कप्तान ने अपने निर्णय के पीछे का कारण बताया। उनकी समझ बता रही थी कि उन परिस्थितिओं में एक दाहीने हाथ के बल्लेबाज़ की ज़रुरत थी।
तीसरी सीख यह है कि आपका हर निर्णय सही नहीं होगा। परन्तु गलत होने के डर से ना निर्णय लेना उससे भी ज़्यादा खतरनाक निर्णय है। आईपीएल में उन्होंने ऐसी बात कई बार स्वीकार की है कि उनकी पिच की समझ गलत होने के कारण टॉस जीतने के बाद उन्होंने गलत फैसला लिया। एक लीडर को अपनी गलती स्वीकार करने में कोई सँकोच नहीं होनी चाहिए क्योंकि आखिर वह लीडर भी इंसान है।
चौथी सीख है कि अच्छे परिणाम का श्रेय टीम को जाता है। हार की ज़िम्मेवारी कप्तान की होती है। आपने शायद ख्याल किया होगा कि कप्तान विजय के बाद ट्रॉफी उठाकर टीम के हातों में सौंप कर गायब हो जाता है। इसकी वजह यह है कि टीवी का कैमेरा उन पर ज़्यादा फोकस करेगा अगर वो मौजूद रहेंगे। इसके लिए टीम पर फोकस घट जाएगा।
पाँचवी सीख है कि टीम के हित के लिए अगर कोई कठिन निर्णय लेने की ज़रुरत है तो वैसा निर्णय लेना पड़ेगा। इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी कोई आपसी दुश्मनी है वैसे खिलाड़ी से। उन्होंने एक दिवसीय टीम में कई सीनियर खिलाड़ी को जगह नहीं दिया। और उनका कारण भी स्पष्ट था -ये खिलाड़ी फील्डिंग में उतने फुर्तिले नहीं थे जो कि एक दिवसीय मैच जीतने के लिए आवश्यक है। यही सीनियर उनके नेतृत्व में टेस्ट क्रिकेट टीम के नियमित सदस्य बने रहे।
कप्तान कूल अब धीरे -धीरे कम्पीटीटिव क्रिकेट से अवसर लेने की ओर बढ़ रहें हैं। हमारा विश्वास है कि वह कभी भी टीम के लिए बोझ नहीं बनेगा। एक ऐसे सफल कप्तान को कोई टीम से निकाल नहीं सकता है। परन्तु हमारे कप्तान कूल निर्वाचकों को ऐसी दुविधा से गुजरने नहीं देगा। आपने गौर किया होगा कि उन्होंने आईपीएल टीम का बागडोर सौंप दिया है। अगले आईपीएल के बाद शायद वह अपना अवसर ले लेंगे। उनकी उम्मीद होगी कि नया कप्तान तब तक सेटल हो जाएगा। यह एक जिम्मेवारी का मिसाल है। उनकी आईपीएल टीम यही उनसे आशा करती है। और उनके लिए यही स्वाभाविक है। क्योंकि उनको पता है कि ज़िन्दगी के इस खेल में जो जीता वही सिकंदर होता है।