शनिवार, 6 सितंबर 2025

#unfiltered -यह है मेरी नई सीख। नमस्कार। सितम्बर के महीने में आपका स्वागत। त्योहारों  का समय आ रहा है और नई फिल्मों का भी। ऐसे एक हिंदी फिल्म में एक छोटी बहन ने अपनी बड़ी बहन को यह सलाह दी। मुझे लगा कि उस बच्ची ने एक महत्वपूर्ण सीख दी है। 

हमने बहुत इंसान को अपने लिए नहीं ,दूसरों के लिए जीते देखा है। जिसके कारन ये इंसान अपनी भावनाओं को  फ़िल्टर लगाकर व्यक्त करते हैं। औरों की ख़ुशी इनके लिए अपनी ख़ुशी से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। इसी वजह से अपने मन की बात और इच्छा को दबा देते हैं। 

आपने कई फिल्मों में देखा होगा कि हीरोइन चाहती किसी को है परन्तु शादी अपने घर वालों को खुश करने के लिए किसी और से शादी करती है। फिर क्या। लाखों कोशिश के बावजूद ना खुद खुश हो पाती और ना ही दूसरों को उतना खुश कर सकती है जितना कि चाहती है। 

हर इंसान का एक मौलिक अधिकार होता है अपने अधिकारों का रक्षा करना और रक्षा करने के दौरान जहाँ जरूरत पड़े 'ना' बोलने का अधिकार को प्रयोग करना जरूरी है। जो लोग 'ना ' नहीं बोल सकते हैं ,जब जरूरत है , यह भूल जाते हैं कि अगर वह खुद खुश नहीं रहेंगे , वह दूसरों को खुश नहीं कर पाएंगे। आखिर उसी कारन उन्होंने 'हाँ ' बोला था जब उनको 'ना ' बोलना था। 

जरूरत पड़ने पर ना बोलना कोई गलती नहीं है। ना सुनने वाले को ना सुनते वक़्त बुरा लग सकता है। परन्तु ना बोलने वाले का अपने दिल और दिमाग से बोझ कम हो जाता है क्योंकि वह अपनी दिल की बात को सुन कर दिमाग से काम ले रहा है। यही ज़िन्दगी से अधिक आनंद पाने के लिए अति आवश्यक है। 

फिल्म के अंत में यह छोटी बच्ची अपनी बड़ी बहन को अपनी दिल की बात को सुन कर निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित और मदत करती है जिसका मूल सन्देश है -यह ज़िन्दगी नहीं मिलेगी दुबारा -जो कि आज के युवा पीढ़ी का बोलने का तरीका है -YOLO -You Only Live Once !

हमें कितनी नई लिंगो सीखनी पड़ेगी। शायद त्योहार के समय और कुछ नया सीख सकूँ। आप सब को त्यौहार के लिए अग्रिम शुभेच्छा। खुश रहिये।