शुक्रवार, 3 जून 2016

नमस्कार। पिछले महीनें में आपने टेलीविज़न पर कई सारे अवार्ड्स का आनंद उठाया होगा। 2015 हिंदी फिल्मों के लिए एक बहुत ही सफल साल रहा। कई तरह के फिल्मों को दर्शको ने पसंद किया और प्रोत्साहित किया। फिल्म कम्युनिकेशन का एक अनोखा मिसाल है। मैंने पिछले महीने आँखों से सुनने का ज़िक्र किया था। फिल्में इस 'आँखों से सुनने 'का एक माध्यम है। ज़रा सोचिये -हम फिल्मों में परदे पर वही देखते हैं जो फिल्म का डायरेक्टर दर्शकों को कैमरा के ज़रिये दिखाता है। कैमरा का एंगल , वस्तु या इंसान से उसकी दुरी या नज़दीकी दर्शकों के लिए अलग -अलग भावनाओं का कारण बन जाता है। इसके साथ अभिनेता या अभिनेत्री का चेहरा और बोलने का अंदाज़ दर्शकों का सम्पूर्ण मनोरंजन करता है।
बॉलीवुड के सहनशाह का उनकी बेटी के साथ अपने कब्ज़ को लेकर चिंता और वार्तालाप ने एक बहुत ही सेंसिटिव टॉपिक को बखूबी दर्शाया है। उनका कम्युनिकेशन का अंदाज़ इस फिल्म में उनके किसी और फिल्म से काफी हटके है। यही एडजस्टमेंट, उनके कम्युनिकेशन में, उनको तरह -तरह के रोल में मदत करता है।
2015 , परंतु एक 'मुन्नी 'का है। भाईजान के कंधे पर सवार होकर उन्होंने सब का दिल जीत लिया है। मुन्नी फिल्म के चरित्र में बोल नहीं सकती है। आपने अगर फिल्म देखी होगी (अगर नहीं देखा है तो ज़रूर देखिये ) तो आपने भाईजान के फ़्रस्ट्रेशन को ज़रूर महसूस किया होगा जब वो फिल्म के शुरू में मुन्नी से बात कर रहें हैं लेकिन वह यह नहीं समझ पा रहे थे कि मुन्नी उनका बात समझ पा रही है या नही। कम्युनिकेशन में सुनने वाले का फीडबैक कम्युनिकेशन को सम्पूर्ण करता है। जैसा मैंने पिछले महीने ज़िक्र किया था -लोग अपनी आँखों से और अपने चेहरे से यह फीडबैक देते हैं। इसलिए कम्युनिकेशन के वक़्त दुसरो के आँखों में देखना -जिसे हम eye contact कहते हैं -एकदम ज़रूरी है। अक्सर हम किसी को अप्रिय बात बताते वक़्त उनकी आँखों से अपना नज़र हटा लेते हैं।  यह गलत है। कम्युनिकेशन का प्रभाव कम हो जाता है।
फिल्म में एक समय के बाद मुन्नी कम्यूनिकेट करना शुरू कर देती है। कैसे ? अपने इशारो से और अपने चेहरे के माध्यम से। उन्होंने  कितनी बखूबी से कई भावनाओं को दर्शाया है। बिना एक शब्द बोल कर। मैं इस फिल्म के निर्देशक को सलाम करता हूँ उनकी समझ पर।  कम्युनिकेशन की बारीकियों का और उनके प्रयोग का। उन्होंने मुन्नी के ज़रिये कम्युनिकेशन में response के महत्व को पेश किया है। रेस्पोंस सफल कम्युनिकेशन के लिए अत्यंत ज़रूरी है। इसके बिना आप सफल नहीं हो सकते हैं। समझाता हूँ। विस्तार में।
कभी आपने दोस्तों के बीच बातचीत के दौरान यह सुना है -"अच्छा तू बोल ले ,फिर मैं react करता हूँ "? जब विचार नहीं मिलते हैं और किसी विषय पर उत्तेजक चर्चा होती है ,तब हम रिएक्ट करते हैं ,रेस्पोंड नहीं। और इसी कारण कभी -कभी रिश्तों में तनाव पैदा हो जाता है। और रिश्ते से क्या बनता है ? आपका ब्रैंड !
response और react में फर्क क्या है ? फर्क आपके अंदर के भावनाओं का है। जो कि बोलते वक़्त आपके कम्युनिकेशन के प्रभाव का 93 प्रतिशत  है। याद है ना ५५-३८-७ का फार्मूला। जो पहली बार मुझसे मिल रहे हैं उनके लिए यह बताना चाहूंगा कि कम्युनिकेशन का प्रभाव ५५%निर्भर करता है कम्यूनिकेटर के बॉडी लैंगुएज पर ; ३८% बोलने के अंदाज़ या टोन पर और शब्दों का असर केवल ७ % है।
जब कोई रिएक्ट करता है तो उनमे एक नेगेटिव फीलिंग होती है जिसके कारण उनका बॉडी लैंगुएज और टोन बिगड़ जाता है और कम्युनिकेशन receive करने वाले को बुरा लगता है। रेस्पोंस में यह नेगेटिव फीलिंग्स नहीं रहता है जो कि कम्युनिकेशन को प्रोत्साहित करता है और आगे बढ़ाने में मदत करता है। आप रेस्पोंड करना चाहते हैं तो इन चीजों का ख्याल अवश्य रखें।
पहली बात -सुनिए -एक्टिव लिसनिंग (जिसके विषय में मैंने पिछले महीने चर्चा की थी )के ज़रिये।
दूसरी बात -समझिए -बोलने वाला क्या बोलना चाहता है। क्या आप वह सुन पा रहे हो जो वह नहीं बोल रहा है ? इसके लिए बोलने वाले का बॉडी  लैंगुएज और बोलने के टोन पर गौर करना पड़ेगा।
तीसरी बात -अगर ज़रुरत हो  तो प्रश्न पूछिए ताकि आपकी समझ में कोई गलती ना हो। अक्सर बोलने वाला कुछ बोलना चाहता है और समझने वाला कुछ और समझता है। और इसी कारन रेस्पोंड के वजाय रिएक्ट कर जाता है।
चौथी बात -भावनाओं को समझिए। बोलने वाले का। किस परिस्थिति या संधर्व में बातचीत हो रही है इसका ख्याल रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
पांचवी और अंतिम बात -अपने भावनाओं को वश में रख कर ; सही शब्दों का चयन के साथ (याद है दो महीने पहले मैंने इसकी चर्चा की थी ) आपको रेस्पोंड करना पड़ेगा। अगर आप उनकी भावनाओं की समझ को अपने कम्युनिकेशन में प्रदर्शित कर सको तो आप एक अव्वल दर्जे का कम्यूनिकेटर बन सकते हो।
ज़िन्दगी में रिश्तों को , और उसके माध्यम से ,अपने ब्रैंड को आगे बढ़ाने के लिए रेस्पोंस का कोई विकल्प नहीं है। जो पाठक मेरे साथ पहली बार मिल रहें हैं , और मेरे ज़िक्रे किये हुए कुछ पिछले लेख को पढ़ना चाहते हैं उनके लिए मैं सूचित करना चाहता हूँ की आप पिछले कई महीनों के inextlive के प्रथम सोमवार का संस्करण  में आपको doc -u -mantra मिल सकता है।
आपके 'रेस्पोंस 'के इंतज़ार में रहूंगा। रिएक्ट मत कीजिये। ज़िंदगी से और आनंद उठाइये। रिश्ते बनाकर ;सवँरकर और ब्रैंड को आगे बढ़ा कर। फिर मिलेंगे।  अगले महीने पहले सोमवार को। खुश रहिये। 

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