शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

नमस्कार। बधाई नए साल का। बधाई बाकि ज़िन्दगी के पहले दिन का। हर दिन हम लोगों के लिए बचे हुए ज़िन्दगी का पहला दिन होता है। फिर हम साल के शुरुआत को अलग अंदाज़ से क्यों देखते हैं ? नया साल। नए संकल्प। कितने दिनों के लिए ? मैंने भी संकल्प किया है इस नए साल पर। पेश करता हूँ आपके लिए।
जो बीत गई सो बात गई। अकसर मैं सोचता था कि पिछले साल अगर मैंने ऐसा किया होता या कोई घटना किसी और तरह से होती तो शायद बेहतर होता। यह सोचना कोई मतलब नहीं रखता है। इस नए साल में अतीत पर सोचने का समय बर्बाद नहीं करूँगा। क्योंकि अतीत को मैं बदल नहीं सकता हूँ। यह है मेरा पहला संकल्प। 
हर किसी का ज़िन्दगी का सफर अपना होता है। दूसरों की सफलता पर हम ईर्ष्या करते हैं। कभी दूसरों की कठिनाईओं के समय ऊपर वाले को अपने लिए धन्यवाद नहीं देते हैं। खुद कठिनाई में होते हैं तो अपने भाग्य को कोसते हैं। यह नहीं अनुभव करते हैं कि अन्य लोग हमसे कितना ज़्यादा और गंभीर कठिनाई का सामना कर रहे होंगे। अपनी ज़िन्दगी खुद को जीना है। मंजिल अपना मुझे तय करना है। और मंजिल तक पहुँचने का सफर मुझे खुद ढूढ़ना है। सबसे महत्वपूर्ण चिंता है कि इस सफर आनंद लेने की जिम्मेवारी मेरी है ,किसी और की नहीं। यह है मेरा दूसरा संकल्प। 
समय के साथ ज़िन्दगी बेहतर होती जाती है। ज़िन्दगी में उतार चराओ होता ही रहेगा। इस पर किसी का कोई कण्ट्रोल नहीं है। ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसके ज़िन्दगी में असुविधा या कठिनाई ना हुई हो। विजेता वही है जो कि कठिन समय को दिमाग के साथ मुस्कुरा कर सामना करता है। अंग्रेजी में एक कहावत है -tough times do not last ;tough people do -कठिन समय सदा नहीं बरक़रार रहता है ; कठिनाई से जूझने वाले इंसान बरक़रार रहते हैं। मेरे काम के छेत्र में २०१७ एक कठिन साल रहा है। मैं अपने टीम को केवल एक ही दिशा की ओर प्रभावित कर रहा हूँ कि इस कठिन वक़्त को एक opportunity के अंदाज़ से देखो। निराश होने पर समय बेहतर नहीं बन जाएगा। कठिनाई कम नहीं हो जाएगी। टीम और खुद को ऐसी परिस्थितिओं से बेहतर जूझने के लिए तैयार करूँगा। 
समय और जीवन के इस सफर में लोग मेरे विषय में कुछ सोचेंगे ,बोलेंगे ,अपना विचार व्यक्त करेंगे। इस पर मेरा कोई कण्ट्रोल नहीं है। "कुछ तो लोग कहेंगे ,लोगों का काम है कहना "-अमर प्रेम का अमर गाना। छोड़ो बेकार की बातों में बीत ना जाए रैना। ऐसा कुछ नहीं करना है जिससे लोग आपके विषय ऐसा ना सोचे जो कि आप नहीं चाहते हो। आप लोगों के सोच को रोक नहीं सकते हो। क्या लोग सोच रहे हैं मेरे विषय में इस पर चिंता और समय बिताने का कोई मतलब ही नहीं होता है। सफलता और असफलता दोनों पर लोगों का मंतव्य है और रहेगा। मुझे इस साल इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यही है मेरा नए साल का एक और संकल्प। 
अंतिम संकल्प मेरे लिए ज़िन्दगी का एक दर्शन है। खेल तब तक जारी है जब आखरी गेंद नहीं फेका गया है। हम तब तक सफल होने का संभावना रखते हैं जब तक हम हाल नहीं छोड़ देते हैं। प्रयास हमारे हाथ में है। परिणाम नहीं। तब तक मैदान नहीं छोड़ना है जब तक संभावना है। तब तक हम असफल नहीं हुए हैं। ऐसा ही चल रहा है मेरे व्यवसाय में। देखता हूँ मैं इस संकल्प के जरिए सफल हो पाता हूँ या नहीं। 
क्या आप सहमत हो मुझसे ?अपना ख्याल व्यक्त करो फेसबुक के माध्यम से। मैं आपसे रोज फेसबुक पर वार्तालाप करूँगा। यह है मेरे नए साल का सबसे महत्वपूर्ण संकल्प। आपके साथ नए साल में नया रिश्ता बनाने का। प्रार्थना करता हूँ कि आपका , मेरा ,सबका ,२०१८ अब तक ज़िन्दगी का सबसे बेहतरीन साल हो। उम्मीद पे ही जीवन और ज़िन्दगी निर्भर है। 

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