शुक्रवार, 4 मई 2018

नमस्कार। देखते ना देखते नए आर्थिक साल का एक महीना गुज़र गया है। समय कभी -कभी ज़्यादा ही जल्दी भागता रहता है। ज़्यादा जब आपको दिन में २४ घण्टे से ज़्यादा समय ज़रुरत हो। कब ज़रुरत होता है अधिक समय ?जब कि आप के पास अधिक मौके हो। अधिक मौके कब होते हैं जब कि आपके पास कॉन्फिडेंस हो। आज मैं ,अपने एक पाठक के फरमाइश पर अपने कॉन्फिडेंस को कैसे बढ़ा सकते हैं ,उस विषय पर चर्चा करूँगा। विशेष रूप से आज के युवा पीढ़ी का। जो कि ज़िन्दगी के दौर में जल्दी उलझ जा रही है। मैं अपना कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए तीन मंत्रो पर विश्वास रखता हूँ।
पहला -हम किसी से कम नहीं -इस दुनिया मुझसे ज़्यादा काबिल और बेहतर इंसान ज़रूर मौजूद हैं। यह भी सच है कि मुझसे कम काबिल और बदतर इंसान भी जरूर मौजूद हैं। कितने लोग हमसे बेहतर हैं और कितने बदतर ,किसी को भी नहीं पता। परन्तु हमारी ज़िन्दगी बीत जाती है अपनी तुलना दूसरों के साथ करके। और हमारा कॉन्फिडेंस कमजोर बन जाता जब हम अपने आप को किसी के तुलना में बदतर समझते हैं। हम उनसे ईर्ष्या करते हैं। कभी यह सोचने का प्रयास नहीं करते हैं कि अगर कोई हमसे बेहतर है तो क्यों है ? हम इससे जितना चिंतित होते हैं ;किसी ऐसे इंसान से मिलकर जिनसे हम खुद मिलते हैं ; हम आनंदित नहीं होते हैं। एक उदाहरण लीजिए। हमारे बॉलीवुड के बादशाह ने कई बार इंटरव्यू में कहा है कि उनसे ज़्यादा लम्बा ;ज़्यादा ख़ूबसूरत ;ज़्यादा काबिल बॉलीवुड में विरजमान हैं ;लेकिन कई लोगों को उनके जैसा सफलता नहीं मिली है। उनके सफलता के केवल दो कारन हैं -खुद पर विश्वास और कड़ी मेहनत करने की क्षमता।
दूसरा -कोई भी परफेक्ट नहीं है। हो भी नहीं सकता है। हर इंसान में कोई न कोई प्रतिभा है ;कोई न कोई खामी है और ज़रूर कोई मजबूरी है। मेरा तजुर्बा यह कहता है कि लोग दूसरों की प्रतिभा और अपनी खामिओं से ज़्यादा वाकिफ हैं। दूसरों की प्रतिभा से अपनी तुलना कर अपना कॉन्फिडेंस कम कर लेते हैं। हर कोई विद्वान नहीं बन सकता है। क्लास का फर्स्ट बॉय का तात्पर्य यह नहीं है कि बाकी के ज़िन्दगी में भी वह फर्स्ट आएगा या क्लास के नीचे रैंक करने वाले उनसे ज़्यादा सफल नहीं होंगे। मैं अपने क्लास का लास्ट बॉय हूँ। जो लोग मुझे काम के सिलसिले में मिले हैं ;सोचते हैं कि मैं मजाक कर रहा हूँ ;जब मैं यह बात छेड़ता हूँ। क्यों ?क्यूंकि मेरे कॉन्फिडेंस को देखकर उनको यह विश्वास नहीं होता है। मैंने क्या किया ?एक ऐसा विषय चुना जो कि मेरे दिल के करीब है। जिस विषय पर चर्चा करना या काम करने में मुझे आनंद मिलता है। और जिस विषय को  मेरा अपना प्रतिभा मदत करता है। मेरे दोनों बेटों ने भी अपने दिलचस्पी वाले विषय को अपने करियर में बदलने का निर्णय लिया है। मूल बात है कि अपना कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए अपना प्रतिभा और दिलचस्पी वाले विषय को अपना बनाइए। आप जो भी कर रहे हो उससे अगर आपको आनंद मिले ;तो आपका कॉन्फिडेंस खुद ब खुद बढ़ जायेगा।
तीसरा -असफलता से डरना -ऐसा कोई इंसान नहीं है जो कि ज़िन्दगी में असफल ना रहा हो। यही ज़िन्दगी की रीत है। और उसी से हम डरते हैं। हमारा कॉन्फिडेंस इसी डर के कारन कमजोर बन जाता है। हम ज़िन्दगी में कोई नए काम को हासिल करते हैं तो हमारा अपने आप पर कॉन्फिडेंस बढ़ता है या नहीं ? जरूर बढ़ता है। लेकिन हम प्रयास नहीं करते हैं। क्यों ?अगर असफल हो गए तो लोग क्या कहेंगे ?यही हमारी चिंता रहती है। इससे अपना कॉन्फिडेंस घटता है और हम अपना कॉन्फिडेंस बढ़ाने का मौका गवां देते हैं। छोटा सा उदाहरण -पब्लिक स्पीकिंग -यानि कुछ लोगों के सामने अपना विचार रखना। कभी न कभी तो पहला बार होगा। आप शायद स्टेज पर नर्वस भी होंगे। लेकिन एक बार आप सफल हो गए तो आपको कैसा महसूस होगा? खुद पर विश्वास बढ़ेगा या घटेगा ? मुझमे भी यही प्रोब्लेम था -असफलता से डर लगता था। लोग क्या कहेंगे। इस पर ज़्यादा ध्यान रहता था। ना कि अपनी काबिलियत पर। एक दिन किसी अनुभवी इंसान ने मुझे समझाया। मैंने कोशिश की। और मैं बदल गया। मैं ज़िन्दगी भर उनका आभारी रहूँगा क्योंकि मुझे अपने आप में इस बदलाव को लाने के बाद ज़िन्दगी से कई गुना ज़्यादा आनंद मिलने लगा है। नए विषय पर विजय पा कर अपना कॉन्फिडेंस लगातार बढ़ाता रहता हूँ। मैंने बहुत असफलताओं का सामना किया है। परन्तु हर असफलता ने मुझे ज़िन्दगी में सफलता से ज़्यादा सीख दिया है -मैं अब असफलता से डरता नहीं हूँ। और यही मेरे कॉन्फिडेंस का मूल मंत्र है।
मैं इस लेख में अपने आप को सफल तभी समझूंगा जब आप मुझे फेसबुक के जरिये अपना विचार व्यक्त करेंगे इस लेख के विषय में। आप मुझे किसी विषय पर लेख लिखने का फरमाइश कर सकते हैं। जैसा किसी पाठक ने किया है -जो कि मेरा अगले महीने का विषय रहेगा -selfishness
इंतज़ार करूँगा आपके विचारों का। 

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