शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

नमस्कार। कैसे हैं आप ? ब्लड प्रेशर कम हो सका दयालु बन कर ?याद है पिछले महीने हमने ज़िक्र किया था kindness के विषय में ? आज kindness के विषय में आगे चर्चा करूँगा जैसा मैंने वादा किया था। 
"Kindness is education of the heart "- कहना है दलाई लामा का। बहुत बड़ी बात कही है उन्होंने। दयालु बन कर हम अपने दिल को शिक्षा देते हैं। क्यूँकि दयालु बनना दिल से होता है। 
अजह्न ब्रह्म जो कि एक बुद्धिस्ट साधु हैं अपनी किताब "Kindfulness " में लिखा कि mindfulness और kindness किसी भी इंसान के लिए दो पंख हैं जो कि उसे शांति और आनंद का उड़ान भरने में मदत करते हैं। mindfulness -यानि की दूसरों के विषय में सजग रहना दयालु बनने में मदत करता है ?
क्या kindness सीखा या सिखाया जा सकता है ? University of Wisconsin के Dr Ritchie Davidson का रिसर्च प्रमाण करता है कि weight training की तरह किसी भी व्यक्ति का "compassion muscle " बढ़ाया जा सकता है। गजब कहा है उन्होंने। अगर आपको muscle बढ़ाना हो तो आप क्या करते हो ? कठिन परिश्रम जिम में जहाँ आप तरह -तरह के वज़न लगातार उठाते हो। उसी तरह आप अगर compassion के साथ दूसरों के साथ पेश आओगे तो आपका दूसरों के दर्द को समझ कर उनके साथ व्यवहार में बदलाव आएगा। 
दयालु बनने के लिए आपको दूसरों का ध्यान रखना आवश्यक है। जब हम दयालु बनते हैं तो हम दूसरों को महसूस करवाते हैं की वह हमारे लिए महत्वपूर्ण है। 
हम अपने दैनिक जीवन में क्या कर सकते हैं कि लोगों को एहसास हो कि वह हमारे लिए महत्वपूर्ण है। अगर आप एक लिफ्ट में सवार हो। लिफ्ट एक मंजिल पर रुकती है। एक अनजान व्यक्ति लिफ्ट के अंदर आता है। उनको wish करो। आपके हेलो बोलने से उनको और आपको दोनों को अच्छा लगेगा। 
कोई रास्ते में भटकता हुआ दिख रहा है। आगे बढ़कर उनकी मदत कीजिए। कोई कुछ कहने की कोशिश कर रहा है ;बिना टोके उन्हें बोलने दीजिए। आप एक लम्बे कतार में खड़े हैं। कोई भागता हुआ आता है और अनुरोध करता है आगे निकलने के लिए क्यूँकि उसका फ्लाइट आपसे पहले है ;जाने दीजिए। आप कहीं गलत हो। सॉरी बोलो चाहे जिसको आप सॉरी बोल रहे हो आपका अनुज हो। ऑफिस में ,जीवन में उन लोगों से उनका नाम पूछो ,जिनको कोई नहीं पूछता है। बिल्डिंग का सिक्यूरिटी ; कचरा साफ़ करने वाला ; रिक्शा वाला -उन्हें महसूस होगा कोई तो उसको पूछता है। लोग दूसरों की निंदा और चर्चा करने में मशगुल हैं ; चुप रहिए। किसी को अगर आपने क्षमा किया है तो भूल जाईये ,दोबारा उसका ज़िक्र मत कीजिए। 
दयालु बनते वक़्त वापसी उम्मीद रखना इंसान को दयालु बनने से रोकता है। जब आप दूसरों को यह सन्देश देते हो अपने व्यवहार से कि आप हमारे लिए मायने रखते हो ,तब ऐसी उम्मीद करना कि वह भी आपके विषय में उसी तरह पेश आएंगे गलत होगा। 
गीता में लिखी बात याद आ जाती है -कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर इंसान -यही मूल मंत्र है दयालु बनने का। बन कर देखिए। ज़िन्दगी आपको कहीं अधिक से ज़्यादा वापस देगी। खुश रहिये। अपनों और सबका ख्याल रखिये। दयालु बन कर ज़िन्दगी का आनंद लीजिए। मेरे साथ फेसबुक पर वार्तालाप करके मुझे आनंद दीजिए। 

नमस्कार। जून के महीने में मैंने आपके साथ सेल्फिशनेस की चर्चा की थी। हमने आम को छुपा कर खाने का ज़िक्र किया था =selfishness के विषय में चर्चा करने के लिए। इस लेख का निष्कर्ष था कि सेलफिश या स्वार्थी होना एक इंसान के लिए स्वाभाविक है। स्वार्थी होना ,अर्थात अपने और अपनों के विषय में सोचना और उसको ज़्यादा महत्व देना। इस स्वार्थ का परिधि अगर हम बढ़ाकर और लोगों को अपनालें तो स्वार्थी होने के बावजूद हम दुनिया में अपना एक अच्छा प्रभाव छोड़ सकेंगे। i next पत्रिका में इस लेख के प्रकाशित होने के ठीक एक हफ्ते बाद एक अंग्रेजी दैनिक में मैंने एक लेख पढ़ा kindness के विषय में। उस लेख को मैंने संभाल के रखा है ,आपके लिए। क्योंकि उस लेख का मूल सन्देश हमारे selfish होने के लेख का अगला कदम है। आज और अगले महीने मैं उस अंग्रेजी अख़बार में प्रकाशित kindness के विषय में लेख से मिले सन्देश को आपके लिए पेश करूँगा।
बारिश का मौसम है। आप घर से बाहर रास्ते पे हो। ज़बरदस्त बारिश हो रही है। आपके पास रेनकोट और छतरी दोनों है क्योंकि आप बारिश के लिए प्रस्तुत हो। रास्ते में एक गरीब इंसान बारिश में भींगकर कांप रहा है। आपको उसको देखकर और उसके हालत को समझकर भी नज़र अंदाज़ करते हो -यह सेल्फिश व्यवहार है। आप उसको अपना छतरी दे देते हो -यह kindness है। kindness- यानि दूसरों को अपना समझ कर निर्णय लेना। है ना पिछले लेख का अगला कदम ?
kindness का हिंदी अनुवाद है दयालु। मेरी परिभाषा है हर इंसान की इज़्ज़त करना और उनके साथ वैसा व्यवहार करना जो कि आप औरों से खुद उम्मीद करते हो।
पूरी दुनिया में इस विषय में काफी चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि लंबी उम्र जीने के लिए अपने जीवन में kindness का मिश्रण जरूर करें। कुछ दिन पहले मुंबई में छोटे हवाई जहाज का एक्सीडेंट हो गया। हवाई जहाज में सवार चार व्यक्ति और एक बनती हुई बिल्डिंग में काम करता हुआ मजदूर इस हादसे में मारा गया। मुझे इस विषय में सूचना मिली व्हाट्स एप्प के माध्यम से जिसमे किसी ने उस जलते हुए मजदूर के दर्दनाक दृश्य को वीडियो रिकॉर्डिंग किया। जिस इंसान ने यह वीडियो रिकॉर्डिंग किया उसको मैं धिक्कारता हूँ। एक इंसान की हैसियत से आप कैसे के दुसरे इंसान को जलते देखते हुए उनका वीडियो बना सकते हो ?कितना निष्ठुर हो गए हैं हम ? मैं शत -प्रतिशत दावे के साथ कह सकता हूँ कि यह व्यक्ति जिसने यह वीडियो बनाया है अपने आप पर गर्व कर रहा होगा कि उसने दुनिया को इस हादसे का वीडियो दिखाया। सोचिये अगर उस मजदूर की जगह वह विमान इस व्यक्ति पर गिरता तब क्या वह चाहता की दुसरे लोग जो वहाँ उस वक़्त मौजूद थे उनका वीडियो बनाये ?हरगिज़ नहीं। आज टेक्नोलॉजी हाथ में आ जाने के कारण हमारी मानविकता को हमने अपने दिमाग के पीछे धकेल दिया है जिसके कारन हम काफी हद तक नृशंष बन गए हैं।
डॉ डेविड हैमिलटन ने अपनी किताब "five side effects of kindness "ने चर्चा किया है charles darwin के प्रसिद्द सत्य  के विषय में -"survival of the fittest ". डॉ हैमिलटन का सुझाव है कि इस को थोड़ा सा बदल कर हम आगे के लिए विश्वास करें -"survival of the kindest "डॉ हैमिलटन का रिसर्च कहता है कि kindness का प्रभाव इंसान के ब्रेन में एक नशे जैसा प्रभाव करता है जिसको उन्होंने "helpers high "का नाम दिया है। इसके कारन ब्रेन में dopamine की मात्रा बढ़ जाती है और इंसान को अधिक ख़ुशी मिलती है। डॉ हैमिलटन का कहना है कि kindness एक ऐसी दवा है जो कि इंसान का ब्लड प्रेशर घटाने में मदत करती है। अगर आप जवानी बरकरार रखना चाहते मायने हो और सदा अपने चेहरे पर जवानी का एक खुशी ज़ाहिर रखना चाहते हो तो kindness का सहारा लो -यह डॉ हैमिलटन का सुझाव है -आपके और हमारे लिए।
क्या kindness सिखाया जा सकता है ? हम क्या कर सकते हैं इस सन्दर्भ में ?यह चर्चा करेंगे हम अगले महीने। तब तक केवल इतना ख्याल रखिये कि kind होना अर्थात दूसरों को समझाना कि आप मेरे लिए महत्वपूर्ण हो। जैसा कि आप सब पाठक मेरे लिए !