शुक्रवार, 2 अगस्त 2019

नमस्कार। पिछले महीने के लेख में हमने क्रिकेट विश्व कप का जिक्र किया था। हमारी टीम का सेमि फ़ाइनल में जिस टीम ने पराजित किया ,वह टीम फ़ाइनल में हार कर भी जीत गई। उस टीम के कप्तान के प्रति पुरे विश्व क्रिकेट का श्रद्धा जरूर बढ़ गया होगा। उन्होंने केवल एक ही बात कही -उन्हें नियम पता था परन्तु किसी ने कभी सपने में भी सोचा था कि उस नियम को प्रयोग करना पड़ेगा ,विजेता को चुनने के लिए !कभी आपने सोचा है कि क्या होता अगर यह हार भारतीय क्रिकेट टीम को मिलती विश्व कप के फाइनल में ?मैं सोचने का प्रयास भी नहीं कर रहा हूँ।
आज मैं नियम प्रयोग नहीं। तोड़ने के विषय में चर्चा करूँगा। चर्चा करूँगा बचपन में स्कूल में सिखाया गया एक विषय पर -moral science- क्या आपने भी पढ़ा यह विषय स्कूल में। इस विषय में जो मैंने पढ़ा था , उसमे तीन बातें हमें याद है -परमात्मा (चाहे आप किसी भी रूप में उन्हें स्मरण करो )को दो वक़्त की रोटी के लिए धन्यवाद कहो ; ज़िन्दगी में सुख और दुःख एक ही सिक्के के दो पहलु हैं -परमात्मा को याद धन्यवाद देने के लिए कीजिये ज़्यादा ना कि दुःख के समय केवल मदत माँगने के समय ; किसी भी इन्सान का असली परिचय मिलता है जब उसका पीठ कठिनाईयों के कारण दीवार के साथ सट जाता है या ऐसा कोई मौका सामने आता है जो कि लोभ और लालसा बढ़ा देता है। छोटे दो उदाहरण -सड़क पर आपको काफी सारे रुपए गिरे हुए मिलते हैं। आप क्या करोगे आप का परिचय है। आपने एक ऐसी गलती की है जिसे स्वीकार करने पर आपकी बेइज्जती होगी। क्या आप इंकार करोगे ?
मूल बात यह है कि moral science हमें बताता है क्या गलत है और क्या सही। मालूम हर किसी को है। इसके बावजूद परिस्थितिओं का सामना करते वक़्त हम क्या निर्णय लेते हैं ,हमारा परिचय बन जाता है।
कुछ दिन पहले एक मशहूर कॉफ़ी चेन के प्रतिष्ठाता ने आत्महत्या कर लिया। हमारे कॉलेज के व्हाट्स ऑप ग्रुप में हम लोग विभाजित हैं -कुछ उन्हें ऊँचे कदर का व्यपसायी मानता है ; कुछ लोग उनके व्यवसाय को बढ़ाने के तरीके को धिक्कार रहा है। कई सीख छुपे हुए हैं इस उदाहरण में। मैं अपने जीवन कुछ नियम कभी नही तोड़ता हूँ। अभी तक मुझे इन नियमों के कारण फायदा मिला है जिस वजह आपके लिए पेश कर रहा हूँ। ये नियम मेरे लिए moral science है।
१) ज़िन्दगी में रिस्क लेना जरूरी है। परन्तु अपने रिस्क लेने की क्षमता को ख्याल रखना महत्वपूर्ण है। लक्ष्मण रेखा का होना आवश्यक है। नहीं तो हम लोभ के दलदल में फँस जायेंगे।
२) कभी ऐसा कुछ मत करो जिससे किसी को मानसिक चोट पहुँचे। ज़रा मेरे शब्दों के चयन पर गौर कीजिए। कभी कभी ज़िन्दगी में आपको किसी की तरक्की या किसी को सही मार्ग दिखाने के लिए कठिन होना पड़ता है जिसके कारण उस व्यक्ति को दुःख होता है -इसमें कोई असुविधा नहीं है। क्यूँकि यह उसके हित के लिए है। मूल बात यह है कि आपके आनंद का कारण किसी के लिए दुःख का कारण नहीं बन सकता है।
३) कभी ऐसा कभी मत करो ,किसीके साथ भी ,जो आप नहीं चाहते हो कभी भी ,कोई भी, आपके साथ करे।
४) झूठ हम सब कोई बोलते हैं। परन्तु कभी ऐसे झूठ का सहारा ना लीजिये जो कि आप नहीं चाहते हो कि सच हो जाए। देर से पहुँचने का बहाना कभी भी अपने वाहन का पहिए का पंक्चर मत बनाइये अगर वह सच नहीं हो।
५) कभी भी किसी के कमजोड़ी या बुरे वक़्त का फायदा मत उठाइये। हम सभी को यह ख्याल रखना चाहिए की हमारी भी कमजोड़ियाँ हैं और बुड़ा वक़्त हर किसी के जीवन में आता ही है। हमारे बॉलीवुड के शहेंशाह को भी बूड़े समय से गुजरना पड़ा था।
अंत में यही कहना चाहूँगा कि दिल और दिमाग ,दोनों की सुनिए। हम सबके लिए वही moral science है। अगर आपका दिल और दिमाग दोनों ने चाहा तो मुझे फेसबुक के माध्यम से आपके विचार ,इस लेख के विषय में जरूर बताइए। इंतेज़ार करूँगा। खुश रहिए। 

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