शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2020

 नमस्कार। इस साल के अंतिम तीन महीने में हम पहुँच गए हैं। यह वर्ष हर कोई के लिए एक अनोखा अनुभव रहा है। पूरे विश्व में ऐसा कोई नहीं है जो कि इस वायरस के प्रकोप से प्रभावित नहीं हुआ है। इस वायरस ने बिना किसी भेद भाव के हम सब को झंझोड़ के रख दिया है। इंसान का जीवन कितना असुरक्षित है ,इसका एहसास हम सभी को हो गया है। शायद हम सब को धर्म ,जात -पात ,ऊंच -नीच ,गरीब -अमिर से हट कर इंसानियत पर ध्यान देना चाहिए जिस तरह से हमारे राष्ट्र पिता ने कोशिश की थी। 

इस महीने बापूजी के जन्मदिन के अवसर पर मुझे  i next पत्रिका से एक सन्देश मिला। हमारे राष्ट्र पिता के एक प्रवचन की यादें उन्होंने ताज़ा कर दी - Be the change you wish to see in the world - अर्थात जो भी परिवर्तन हम दुनिया में देखना चाहते हैं ,वह खुद से शुरू होता है। यह सन्देश आज के सन्दर्भ में और ज़्यादा महत्व रखता है। क्यों ? आज का लेख इसी विषय पर है। 

पहली बात हमे अपने आप को संक्रमित होने से बचने के लिए मास्क पहनना , कम से कम एक मीटर की दूरी बरक़रार रखना , भीड़ से दूर रहना ,बिना प्रयोजन के घर के बाहर ना निकलना -इन सब नियमों को खुद और अपनों के लिए पालन करना जरूरी है। कुछ पल के लिए सोचिए -अगर हर इंसान इन नियमों का उलंघन ना करे तब क्या वायरस का फैलने में रुकावट आएगा या नहीं ? मेरा पड़ोसी तो कुछ नियम नहीं मान रहा है और उसको कुछ नहीं हुआ है तो मैं क्यों नियम मानू , यह सही सोच नहीं है। दुनिया चाहे कुछ भी करे , मैं नियम नहीं तोड़ूंगा यह एक कठिन निर्णय है। अकसर रात में सुनसान रास्तो पर लोग ट्रैफिक सिगनल का उलंघन करते हैं। गिने चुने लोग उस वक़्त भी सिगनल पर रुकते हैं। ऐसे लोग इस दुनिया में अलग मिसाल कायम करते हैं। 

दूसरी बात यह है कि हमारे हर किसी के पेशे पर इस वायरस का प्रभाव जरूर हुआ है। चाहे वह स्कूल या कॉलेज का विद्यार्थी हो , गृहबधु हो , नौकरी या बिज़नेस हो , या रिटायर किया हुआ इंसान हो, पेशेदार स्पोर्ट्समैन हो  -हर किसी का चौबीस घंटा , दिन का बदल चुका है। घर से काम करना , बच्चों का ऑनलाइन क्लास , बाहर ना निकलने का मौका -ऐसे कई परिवर्तन ने ज़िन्दगी पर एक नया तनाव और चुनौती खड़ा कर दिया है। इस वक़्त अगर बुजुर्ग या बच्चे अपने में परिवर्तन किए बिना दुसरे परिवार वाले से परिवर्तन की उम्मीद लेकर बैठे रहेंगे , तो गाँधी जी का सन्देश कामयाब नहीं होगा। 

तीसरी महत्वपूर्ण परिवर्तन है काम के सिलसिले में -चाहे आप नौकरी कर रहे हो या बिजनेस। ग्राहक का व्यवहार बदल चुका है। कोरोना से पूर्व की स्थिति , अभी की स्थिति और कोरोना पर विजय हासिल करने के बाद की स्थिति , एक ही तरफ हमें ले जा रही है -परिवर्तन खुद में -एकदम मजबूरी है। अगर हम खुद को नही बदल सकेंगे तब हम अपना अस्तित्व खो देंगे। हमने अब तक जो सफलता पाई है , वह आगे बरक़रार रहेगा , इसका कोई गारंटी नही दे सकता है।  और परिवर्तन खुद से शुरू होता है। आपकी कंपनी आपको परिवर्तन करने में सहायता नही भी कर सकती है। परन्तु आप को बदलना पड़ेगा। नहीं तो दुनिया बदल जाएगी और आप देखते रह जायेंगे। 

हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री जी का जन्मदिन भी २ अक्टूबर को है। लेकिन हर कोई उस दिन को गाँधी जयंती के नाम से जानते और याद करते हैं। ऐसा ज़िन्दगी में होता है। जहाँ आपको उतनी पब्लिसिटी नहीं मिलती है जितना वाजिफ है। निराश मत हो जाइएगा। अनगिनत लोग इस वक़्त कोरोना से पीड़ित मरीजों का सेवा कर रहें है जिनका परिचय हमारे पास नही है। लेकिन गाँधी जी के सन्देश के अनुसार हर व्यक्ति ने अपने में बदलाव लाया है कोरोना से लड़ने के लिए। उन सब को मेरा प्रणाम। 

नवरात्री और दशहरा के लिए अग्रिम शुभेच्छा आप सब के लिए। खुद क्या और क्यों बदलेंगे थोड़ा सोच लीजिये और परिवर्तन शुरू कीजिए। सावधान रहिए। स्वस्थ रहिए। 


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