गुरुवार, 30 मई 2024

नमस्कार। पलक झपकने से पहले आधा साल गुजर गया। हम जून के महीने में पहुँच गए हैं। इस साल लोकसभा चुनाव के वजह से यह महीना और भी महत्वपूर्ण बन गया है। कई उम्मीदवार खुश होंगे। खुश निराश। वोट के परिणाम से। लोकसभा चुनाव हर पाँच साल में होते हैं। परन्तु विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है हम सबको अपनी जिम्मेवारी का याद दिलाने अपने वातावरण के प्रति। लेकिन हम वातावरण के विषय में क्या करते हैं ? शायद कुछ नहीं। 

विशेषज्ञ रिसर्च के माध्यम से कई सारे आँकड़े पेश कर रहें हैं और चेतावनी दे रहें हैं कि अपने भविष्य के पीढ़ी के लिए एक ऐसा दुनिया छोड़ के जायेंगे जहाँ पर उनको काफी कठिनाईओं का सामना करना पड़ेगा। फिर हमें जरूर कुछ करना चाहिए इस विषय में। 

मैं समझता हूँ कि इस चेतावनी को हमें सीरियसली लेना चाहिए और इसके लिए जो भी संभव है करना चाहिए। इसकी शुरुआत होनी चाहिए अपने घर से। हम अपने घर में कैसा वातावरण बनाए हैं अपनों के लिए। क्या हमारे परिवार के सदस्य खुश हैं ? क्या वह अपना विचार और सोच निडरता के साथ व्यक्त कर सकते हैं ? क्या वह आपकी दी हुई सलाह को स्वीकार करेंगे। अगर आपके परिवार में वातावरण ख़ुशी का है तब आप यह चुनौती के लिए तैयार हैं -अपना और अपने परिवार का कर्तव्य निभाने के लिए जो कि विश्व पर्यावरण दिवस के माध्यम से हम सबको बताया जा रहा है। 

हमें जीने के लिए ऑक्सीजन जरूरी है। हम सब यह जानते हैँ। दूसरी महत्वपूर्ण आवश्यकता है पीने का पानी। वायु और पानी के बिना हम जी नहीं सकते। फिर हमें इन दोनों को भविष्य के पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखना हमारा कर्त्तव्य बनता है। मामला परन्तु संगीन होता जा रहा है। UNICEF का रिसर्च कह है कि दुनिया की दो तिहाई जनसँख्या हर साल एक महीने के लिए भीषण क्राइसिस का सामना करती है पानी ना मिलने के कारन। शायद हम और आप ऐसी कठिनाई का सामना नहीं कर रहें हैं। हम खुश किस्मत है। परन्तु अगला आँकड़ा और भी गंभीर है। 2025 , जी हाँ अगले साल तक दुनिया की आधी जनसँख्या किसी ना किसी तरह का समस्या का सम्मुखीन होगा पानी के अभाव के कारन। और 2040 तक 25 प्रतिशत बच्चे पानी ना मिलने का भयंकर  क्राइसिस का सामना करेंगे। 

इन आंकड़ों को जानने के बाद क्या हमारी जिम्मेवारी बनती है कि हम पानी का संग्रक्षण को अपना कर्तव्य बना लें। हर इंसान अगर पानी बचाएगा तो किसी ना किसी को पानी मिलेगा जिसको पानी आसानी से नहीं मिलता है। पानी के बचत को प्रोत्साहित करने के लिए विदेश में आपको नल का पानी खरीदना परता। जितना आप पानी इस्तेमाल करेंगे उतना आपको पैसा देना पड़ेगा। सोचिये अगर यह नियम हमारे देश में लागू हो जाय तो क्या होगा। हम जो पानी का मूल्य ना समझ कर पानी का नल खुला छोड़ देते हैं , कपड़े धोने के लिए अत्यधिक पानी का इस्तेमाल करते हैं ,इन सब पर हम और सावधानी बरतेंगे। 

इस विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मेरी आपसे केवल एक विनती है। सोच लीजिये कि विदेश के तरह हमारे घर में जो पानी मिलता है उस पर मीटर लग गया है -जैसा कि अभी हमारे घर में बिजली का मीटर लगा हुआ है। जैसे की हम बिजली का बिल कम रखने के लिए बिजली बचाने का सक्रिय प्रयास करते हैं खुद और परिवार के अन्य सदस्योँ को प्रोत्साहित करतें हैं बिजली बचाने के लिए और जरूरत होने पर डांटते भी हैं ,वही हमेँ पानी के बचत के लिए करना पड़ेगा। क्या आप हमसे सहमत हैं ? क्या आप इस योगदान के लिए तैयार हैं ? कहीं भी कोई शंका हो तो याद रखियेगा बच्चोँ के भविष्यत का। 

 

गुरुवार, 2 मई 2024

नमस्कार। मई महीने के भीषण गर्मी में आपका स्वागत। पूरी देश में ऐसी गर्मी बहुत सालों के बाद हम सबको सावधान रहने का आह्वान कर रही है। थोड़ी सी चूक के कारण हम बीमार पर सकते हैं। असल में किसी भी चीज़ का अत्याधिक परिमाण हानिकारक होता है। 

इस सन्दर्भ में अंतर्राष्ट्रीय लेबर दिवस का , जो कि हर साल मई महीने के पहले दिन पर पूरी दुनिया में मनाया जाता है, जिक्र करना आवश्यक है। इतिहास बताता है कि १ मई १८८६ में अमेरिका में फैक्ट्री के लेबर ने दिन में आठ घंटे के काम के माँग में हड़ताल किया था।  तब से पहले मई के दिन को अंतर्राष्ट्रीय लेबर दिवस के हैसियत से मनाया जाता है। इन कर्मचारियों ने शोषण के विरुद्ध और अपने अधिकार के लिए यह आंदोलन किया था। 

 यही शोषण और अधिकार के विषय में आज का लेख आपके लिए। आपके घर में अगर कोई नौकर काम करता है ,आप उनके अधिकार और कितने घंटे काम करते हैं उसके विषय में कितना ख्याल रखते हैं। मैंने ऐसे परिवार देखें हैं जहाँ घर का नौकर सुबह पाँच बजे से रात के बारह बजे तक ,बिना किसी विश्राम के काम करता है। ऐसे के परिवार को मैंने पूछा था कि ऐसा क्यों होता है। जवाब में मुझे दो बातें बताई गई। छोटू (नौकर का नाम ) एकदम बचपन में अनाथ हो गया था। इस परिवार ने उसे रहने का जगह दिया। और जब से वह काम करने लायक हो गया , नौकर बन गया। अभी सुबह दादी माँ की सेवा और मदत करता है और रात बारह बजे तक बड़े भैया के घर आने का इंतेज़ार करता है। मजे की बात यह है कि छोटू खुश है। वह इस बात का आभारी है कि इस परिवार ने उसको रोटी ,कपड़ा और छत दिया जब उसे ज़रुरत थी। चूँकि उसका कोई परिवार और रिश्तेदार नहीं है , वह घर जाने के लिए छुट्टी भी नहीं लेता है। वह इस परिवार के प्रति वफादार है। और इसी कारण वह शोषित है। यह परिवार उसको करीब १९ घंटे हर दिन काम करवाती है और यह नहीं महसूस करती है कि वह छोटू का शोषण कर रही है। यह  उनका अधिकार बनता है क्यूँकि छोटू को ऐसे काम करने में कोई आपत्ति नहीं है। मुझे इस विषय में इससे अधिक पूछताछ करने से साफ मना कर दिया गया। 

दूसरी बात मुझे याद है जिस दिन मैं शादी करने जा रहा था। बारात निकलने वाली थी और मैंने देखा कि मेरी माँ और मेरी एक चाची गभीर वार्तालाप में जूझे हुए थे। रूम के बाहर से यह समझ में आ रहा था कि माँ को चाची के साथ किसी विषय पर मतभेद हो रहा था। बारात को देर ना हो जाय यह सोच कर दोनों रूम से बाहर आए और हमने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया और शादी करने के लिए रवाना हो गए। शादी के कई दिनों बाद मैंने माँ से उस दिन का जिक्र किया और पूछा कि क्या हो रहा था। माँ ने कहा वह एक परंपरा के ख़िलाफ़ प्रतिवाद कर रही थी। प्रथा के अनुसार बारात के साथ निकलने के पहले मुझे माँ के गोद में बैठना था और माँ मुझे बोलेगी "जा बेटा शादी करके मेरे लिए दासी ले कर आ "-मेरी माँ ने इस प्रथा को करने से इंकार किया जिसके कारण वह चाची के साथ बहस कर रही थी। कहीं हमारे रीती ,रिवाज़ और परंपरा प्राचीन ख्यालों में पराधीन है जिसके कारण ऐसे शोषण को एक सामाजिक प्रोत्साहन मिल जाता है। और इसी के कारण साँस भी कभी बहु थी इतना चर्चित और पॉपुलर सीरियल हुआ करती थी। 

आपसे हमारी एक ही विनती है। दिल पर हाथ रख कर पूछिए। क्या आप जाने या अनजाने में किसी का शोषण कर रहे हैं ? शोषण शारीरिक या मानसिक या दोनों हो सकता है। अगर ऐसा लगे तो ऐसा मत कीजिए। हमारे वीर स्वाधीनता संग्रामी ने हमें अंग्रेज़ो के शोषण से आज़ादी दिलवाई है। उसका सम्मान कीजिये। क्योंकि कोई भी इंसान शोषण पसंद नहीं करता है। आप भी नहीं। 

सावधान रहिए और गर्मी से जूझने की सतर्कता आजमाइए। फिर मिलेंगे।