नमस्कार। सितंबर का महीना। वित्तीय वर्ष का छटा महीना। व्यवसाय और विद्यार्थिओं का आधा साल समाप्त हो रहा है। कैसा चल रहा है आपका समय। अच्छा ,बुरा , या मोटामोटी। अगर आप विश्व के परिस्थितिओं का विश्लेषण करें तो एक अनिश्चित समय से हम गुज़र रहें हैं। इसका प्रभाव हमारे ज़िन्दगी पर विराजमान है। और ऐसा समय हमें बहुत कुछ सिखाता है। परन्तु हम जीते हैं उम्मीद के साथ। मजे की बात यह है कि हमें यह पता नहीं कि कल क्या होने वाला है। परन्तु हम सब एक बेहतर कल की उम्मीद में जीते हैं। यही है ज़िन्दगी का सफर। यहाँ कल क्या हो किसने जाना -किशोर कुमार जी एक मशहूर गाने के बोल इसी बात का ज़िक्र करते हैं।
सुख और दुःख एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। हर इंसान यह चाहता है कि ज़िन्दगी आसान रहे। परन्तु ऐसा होता नहीं है। और कठिन समय पर विजय पाने वाले को हम सिकंदर कहते हैं। हमें इस बात का भरोसा रखना है कि हर रात की एक सुबह होती है। कई लोग तो इस रात या कठिन समय का सदुपयोग करने में माहिर होते हैं। covid का समय याद है। हम लोगों ने कितनी नई चीज़ें सीखी। खाना बनाना , छोटे मोटे घर के लिए रिपेयर , कपड़े धोना , कुछ विषय जो कि फायदे का है जैसे डिजिटल मार्केटिंग।
कठिन समय में तीन चीज़ों का सहारा लेना पड़ता है। पॉजिटिव सोच , खुद पर भरोसा , और कठिन समय का फायदा उठाने का प्रयास। अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति केनेडी ने बेहतरीन एक सलाह दी थी। कठिन समय या क्राइसिस एक छुपा हुआ मौका होता है। क्राइसिस से इस मौके को ढूढ़ना ही एक हिम्मतवाला का पेहचान है।
आप अगर कई खिलाड़ियों के सफर का अध्यन करें तब आपको यही नज़र आएगा। इस टी २० विश्वकप के जीतने के बाद हमारे प्रधानमंत्री के साथ टीम के चरचा के कई वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। इस वीडियो आपने हमारे सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ को यह कहते हुए सुना होगा कि उनके ख़राब फॉर्म के कारण उनको अपने आप पर और अपनी काबिलियत पर संदेह होने लगा था। परन्तु फाइनल में उन्हें मैन ऑफ़ द मैच पुरस्कार प्राप्त हुआ। उन्होंने यह समझाया अपने आप को कि मैं कौन हूँ इस अहँकार से बाहर निकलना पड़ा और सफलता प्राप्त हुई उनको। उन्होंने उस कठिन घड़ी में उनके कप्तान और कोच का उन पर भरोसा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।
जरा सोचिये इसी क्रिकेट खिलाड़ी का विश्व रेकॉर्ड है कठिन स्थिति में बल्लेबाज़ी करके टीम को जीत दिलवाने का। और यही कठिनाई में थे। सफल इंसान कठिनाई का सामना करके सफल होता है तो वह इंसान सिकंदर कहलाता है। G E कंपनी का ग्लोबल चेयरमैन जैक वेल्श ने दो ऐसे निर्णय लिए थे जो कि मैनेजमेंट स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल हो गए थे।
दोनों दिलचस्प घटनाएँ हैं। पहली घटना में उन्हें एक कंपनी का C E O नियुक्त करना था। दो बेहतरीन उमीदवार थे जिनमे एकेडेमिक्स ,तजुर्बा और कैरियर ट्रैक रेकॉर्ड में कोई फर्क नहीं था। सिवाय एक उमीदवार अपने कैरियर में तीन बार असफलता का सामना कर चुका था। और दूसरे ने कभी असफलता का सामना नहीं किया। जैक वेल्श ने किसको चुना। जो तीन बार असफलता का सामना कर चुका है। क्योंकि उसे असफल हो कर सफल बनने का तजुर्बा है। सफलता और असफलता हमें सीखाता है। अगर हम सीख सके।
जैक वेल्श का दूसरा निर्णय मैनेजमेंट के शिक्षा में एक मिसाल बन गया है। उनका कहना है कि परफॉरमेंस किसी भी इंसान के वजह से है या उसके बावजूद है इसका समझना आवश्यक है। इस प्रयोग में उन्होंने G E कंपनी के उस C E O को ज़्यादा नंबर और बोनस दिया जिसका बिज़नेस सबसे कठिन समय से गुज़रा है। उनका कहना था कि कंपनी के बाहर की स्तिथि प्रतिकुल या अनुकुल होगा यह किसी के हाथ में नहीं है। परन्तु प्रतिकुल परिस्थिति से जुझकर परफॉर्म करना एक लीडर का परिचय है।
समय कठिन होने पर निराश मत हो जाईये। हौसला ,धैर्य ,खुद पर विश्वास आपको इस समय से गुज़रने में आपका साथी है। सफलता हासिल होने पर भी विश्लेषण कीजिए सफलता के कारणों का। यही सीख आप को कठिन समय में मदत करती है। और सीखना ही ज़िन्दगी का तजुर्बा है।
इस महीने शिक्षक दिवस के अवसर पर यही सीखने का वादा अगर हम खुद से कर ले ,तो ज़िन्दगी जीने में सबसे ज़्यादा सुविधा होगी। खुश रहिए क्योंकि दुखी होना सबसे आसान है।