नमस्कार। २०२५ के एक महीना समाप्त हुआ। फ़रवरी का महीना सबसे ज़्यादा वैलेंटाइन्स डे के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह दिन अपने प्यार को स्वीकार करने और अभिव्यक्त करने के लिए जाना जाता है। मेरा आज का लेख एक दूसरे किस्म के प्यार का विषय है।
हर साल हम २८ फ़रवरी को National Science Day के हैसियत से मनाते हैं। आपको पता है क्यों ? इस दिन 1928 साल में भारतीय भौतिक विज्ञान (फिजिक्स )के वैज्ञानिक सी वी रमन ने रमन एफेक्ट का खोज किया जिसके कारन उन्हे 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सी वी रमन की ज़िन्दगी हमारे लिए एक प्रेरणा है। उनकी कहानी इसलिए दिलचस्प है क्योंकि उन्होंने अपने कैरियर में शुरू से ही वैज्ञानिक बनने के लिए अध्यन नहीं किया। फिर विज्ञान के जगत में कैसे आ गए ? चलिए शुरू करते हैं उनके स्कूल की पढ़ाई से।
केवल १३ साल के उम्र में उन्होंने स्कूल की पढ़ाई समाप्त करके मद्रास यूनिवर्सिटी के तहत प्रेसीडेंसी कॉलेज से १६ साल के उम्र में अपना ग्रेजुएशन किया। उनका विषय था फिजिक्स और प्रेसीडेंसी कॉलेज के टोपर थे सी वी रमन। ग्रेजुएशन के दौरान उनका प्रथम रिसर्च पेपर छपा। विषय था diffraction ऑफ़ लाइट (प्रकाश का विवर्तन )
एक साल के अंदर उन्होंने अपनी मास्टर्स की पढ़ाई ख़त्म की और कलकत्ता में इंडियन फिनांसियल सर्विस के दरमियान असिस्टेंट अकाउंटेंट जेनेरल की नौकरी शुरू किया १९ साल के उम्र में। वहाँ भारत के प्रथम रिसर्च इंस्टिट्यूट - इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस -में उन्होंने अकॉउस्टिक्स और ऑप्टिक्स पर रिसर्च किया। १९१७ में आशुतोष मुख़र्जी ने उन्हें पहला पालित प्रोफेसर ऑफ़ फिजिक्स नियुक्त किया राजाबाजार साइंस कॉलेज में जो कि कलकत्ता विश्वविद्यालय के अधीन था।
अपने पहले यूरोप सफर के दौरान उन्होंने भूमध्य (Mediterranean) समुद्र के नीले रंग को देख कर Rayleigh इफ़ेक्ट ऑफ़ scattered लाइट को गलत सावित किया। १९२६ में उन्होंने इंडियन जर्नल ऑफ़ फिजिक्स की स्थापना की। १९३३ में सी वी रमन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस के पहले डायरेक्टर बने। उसी साल उन्होंने इंडियन अकडेमी ऑफ़ साइंस की स्थापना किया। १९४८ में रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट की प्रतिष्ठा किया जहाँ वह अंत तक उन्होंने अनुसन्धान किया।
सी वी रमन बचपन से ही दुबले पतले और शारीरिक क्षमता में कमजोर दिखते थे। परन्तु उनके मेधा का कोई सीमा नहीं था। उन्होंने अपने ग्रेजुएशन परीक्षा में ना ही प्रथम स्थान अर्जन किया , फिजिक्स और अंग्रेजी में यूनिवर्सिटी में सर्वोच्च नंबर पाया। मास्टर्स परीक्षा और अकाउंटेंट जनरल के लिए लिखे परीक्षा में भी उन्होंने प्रथम स्थान पाया। किसी भी किए हुए रिसर्च का असम्मान ना करते हुए , रमन रिसर्च के विषय पर औरअध्ध्यन करके उसको और बेहतर बनाना उनका प्रयास हुआ करता था। इसलिए Rayleigh इफ़ेक्ट को अध्ययन करके उन्होंने उस पर और रिसर्च किया और उसको आगे बढ़ाया।
सी वी रमन का विश्वास था कि स्वर्ग ,नरक या पुनर्जन्म जैसा कुछ नहीं है। इंसान को एक ही ज़िन्दगी मिलती है और उसी में उसको सब कुछ हासिल करना है। मैं भी उनके विचारों से सहमत हूँ। आपके विचार क्या हैं ?