बुधवार, 1 जनवरी 2025

हैप्पी न्यू ईयर। 2025 हम सब के लिए मंगलमय हो ,यही प्रार्थना है ईश्वर से। १२ जनवरी स्वामी विवेकानंद जी का जन्मदिन है। 1863 साल में उनका जन्म हुआ था। स्वामी जी युवा पर भरोसा रखते थे और उनका विश्वास था कि युवा ही किसी भी देश का भविष्यत होता है। इसी लिए १२ जनवरी विश्व युवा दिवस के नाम से मनाया जाता है। आज का लेख स्वामी जी का युवा पीढ़ी को दिया हुआ सन्देश पर है। १६२ साल के बाद भी उनका सोच अभी भी उपयुक्त हैं। 

उनका विश्वास था कि किसी भी देश के भविष्यत को उज्जवल बनाने के लिए युवा ताकत प्रमुख ईंधन है। धर्मो के विश्व संसद में 1893 में उन्होंने शिकागो में अपने भाषण में इस बात को दावे के साथ कहा था। उनका कहा हुआ एक पंक्ति युवा  पीढ़ी को ललकार रहा था -"Arise, awake, and stop not till the goal is reached."-जागिए ,उठिये और तब तक ना रुकिए जब तक आप मंज़िल ना हासिल कर लीजिए। 

स्वामी जी ने युवा पीढ़ी को साहस , ना हार मानने की मानसिकता , सच्चाई और अखंडता , और अपने आप पर संयम बढ़ाने की अपील की। उनका मानना था कि चारित्रिक अखंडता और संयम शिक्षा और materialistic उपलब्धिओं से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है। खुद पर भरोसा और विश्वास ही ज़िन्दगी का मूल मंत्र है। 

स्वामी जी का अध्यन और शिक्षा पर सबसे अधिक भरोसा था। परन्तु उनके लिए शिक्षा रट के परीक्षा में नंबर लाने वाला विद्या नहीं था। उनके लिए शिक्षा संपूर्ण होना चाहिए जो कि दिमाग और आत्मा दोनों का सिंचन करती है। उनका मानना था कि शिक्षा का एक मात्र उद्देश्य है इंसान का आत्मसम्मान ,आत्मनिर्भरता और अंदरूनी शक्ति को बढ़ाना। रट कर याद रखना इसका मूल उद्देश्य नहीं है। "Education is the manifestation of the perfection already in man." उनका दृढ़ विश्वास था कि युवा को सही शिक्षा प्राप्त होने पर वह खुद के लिए ,देश के लिए ,और इस दुनिया के लिए ऊचीं मंज़िलें हासिल कर सकता है। 

स्वामी जी युवा पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनने का आह्वान करते थे। उनके लिए हर युवा को निजी सोच पर भरोसा करना चाहिए। बाहरी चिंताओं और प्रलोभन से प्रभावित ना हो कर ,अपनी बुद्धि और अपने जजमेंट के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। उनके लिए युवा ही भविष्य में देश का लीडर बनेंगे जिसके लिए उन्हें स्वाधीन तरीके से और जरूरत पड़ने पर कठिन निर्णय लेने का क्षमता होनी चाहिए। 

स्वामी जी का विश्वास था कि ज़िन्दगी में सफल होने के लिए निडर होना आवश्यक है। ज़िन्दगी के सफर में कठिनाईओं, समस्यायों  और बाधाओं से जूझने के लिए साहस जरूरी है। ज्ञान अर्जन ,सामाजिक बाधाओं और आत्मनिर्भर बनने के लिए युवा पीढ़ी को निडर होना जरूरी है। "Be fearless, be brave, and you will succeed." डर किसी भी इंसान को अपने असली पोटेंशियल के उपलब्धि से रोकता है। असफल होने के डर से नए एक्सपेरिमेंट या प्रयोग का प्रयास ही नहीं करते हैं। बिना नए प्रयोग के ज़िन्दगी ही रुक जायेगी। यह उनका मानना था। 

इस नए वर्ष में क्या आप निडरता का साथ लेंगे ? मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है। 


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