बुधवार, 7 दिसंबर 2016

नमस्कार। सर्दी के मौसम में आपका स्वागत। इस वक़्त हमारे देश में काफी हलचल मची हुई है पैसों के लिए। शायद हर भारत वासी का अपना सोच होगा इस विषय में। कुछ उस तरह जैसे कि मैंने अपने पिछले महीने के लेख में लिखा था -sully नामक पायलट के विषय में। क्या उसके पास हवाई जहाज को हडसन नदी पर उतारने के अलावा कोई विकल्प नही था ? क्या sully विमान को सबसे नजदीक के हवाई अड्डे पर नहीं उतार सकता था ? कुछ लोगों के लिए sully हीरो था और कुछ लोगों का विचार था कि उसने यात्रियों के ज़िन्दगी को खतरे में डाला था। कुछ अभी सर्वचर्चित निर्णय के विषय में इसी तरह के भावनाएं प्रदर्शित किए जा रहें हैं।
जाँच करने वाले कमीशन ने sully और उनके सह पायलट की काफी पूछताछ की। अंत में निर्णय किया गया कि कंप्यूटर की सहायता से उस दिन के उड़ान को simulate किया जाएगा। जो पाठक इस लेख को पहली बार पढ़ रहें हैं ,उनसे निवेदन करूँगा कि इस लेख को आगे पढ़ने से पहले ७ नवंबर को लिखा पिछले किश्त को ज़रूर पढ़े।
निर्णय के दिन मौजूद हर इंसान अपना सांस थाम कर simulation का परिणाम देखने के लिए तैयार था। पहला ,दूसरा ,तीसरा simulation -हर simulation अलग angle से कोर्टरूम में वीडियो स्क्रीन पर दिखाया गया। तीनो का एक ही संकर्ष -हवाई जहाज को नजदीकी हवाई अड्डे पर सही सलामत उतारा जा सकता था !sully और उनके सह पायलट का चेहरा क्या बता रहा था ? कोई परेशानी उनके चेहरे पे नहीं नज़र आई। उन्होंने केवल इतना कहा कि सिमुलेशन में चिड़ियों का झुंड हवाई जहाज के इंजन में घुसने के साथ ही पायलट जहाज को नजदीकी एयरपोर्ट पर उतारने के लिए तैयार हो जाता है। उसको सोचने में एक सेकंड का वक़्त भी नहीं लगता है। वास्तव में ऐसा नहीं हो सकता है। तीन से पाँच सेकंड का वक़्त देना पड़ेगा सोचने के लिए। तीन सेकंड का समय देने का निर्णय लिया जाता  है और दुबारा simulation को इस तीन सेकंड के अतिरिक्त समय के साथ बनाने का निर्देश दिया जाता है। कुछ समय बाद नए simulation को देखने के लिए फिर लोग एकत्रित होते हैं। फिर तीन angle .परिणाम तीनो बार हवाई जहाज नजदीकी हवाई अड्डे में उतरने में असफल होता है। sully का निर्णय सही साबित होता है। जज sully के प्रशंसा में एक भाषण दे देता है। sully सब सुनने के बाद एक ही बात करता है -इस विमान को सही तरह से उतारने में केवल उनकी तारीफ ही क्यों की जा रही है ?प्रशंसा विमान के हर कर्मी दल को प्राप्त है !यही है एक सही कप्तान का परिचय !टीम आगे। सफलता का श्रेय टीम को। केवल खुद का नहीं।
इसी गुण के अधिकारी हैं हमारे एक दिवसीय क्रिकेट टीम के कप्तान। आपने शायद गौर किया होगा कि ट्रॉफी जितने के बाद कप्तान टीम के हाथ में ट्रॉफी देकर पीछे चला जाता है। उनके जीवन पर आधारित फिल्म से हमें काफी सारी सीख मिलती हैं। सीख से पहले मैं तारीफ करना चाहता हूँ उस अभिनेता का जिन्होंने फिल्म में कप्तान का भूमिका निभाया है। चुकी हमने कप्तान को टीवी पर खेलते हुए इतनी बार देखा है इसलिए उनका किरदार निभाने वाले अभिनेता को उनको गौर से  देखना और समझना जरूरी है ताकि दर्शक को यह महसूस हो कि कप्तान खुद फिल्म में अभिनय कर रहें हैं। एक तरह से अभिनेता ने कप्तान का ज़िन्दगी जिया है। इस फिल्म में। ऐसा संकल्प और तैयारी ज़रुरत होती है इस तरह के सफलता के लिए।
कई सारी चीज़ें सीखने को मिलती है इस फिल्म से। मैं तीन सीख का ज़िक्र करूँगा।
पहली सीख है अपने गुरु या शिक्षक की बातों को सुनना -कप्तान फ़ुटबॉल खेलते थे बचपन में। क्रिकेट नहीं। उनके स्कूल के गेम्स टीचर ने कुछ हद तक ज़बरदस्ती ही उनको क्रिकेट खेलने पर मजबूर किया।  अगर कप्तान ने अपने टीचर की बात नहीं सुनी होती तो आज शायद मेरे इस लेख का विषय कुछ और होता।
दूसरी सीख है उनका रेलवेज का नौकरी छोड़ देना -जैसा फिल्म में दर्शाया गया है उन्होंने अपने पिताजी को नौकरी छोड़ने करने का कारण यह बताया कि उनको और तरक्की करने के लिए केवल क्रिकेट खेलना चाहिए और क्रिकेट के आय पर ही निर्भर हो जाना चाहिए ताकि उनका सुरक्षित नौकरी का सहारा ना रहे और उनमे सर्वश्रेष्ठ बनने की चाह हर वक़्त बरक़रार रहे। जो करना उसमे पूरी तरह डूबे बिना आप सर्वश्रेष्ठ नहीं बन सकते हो।
तीसरा सीख है उनके जीवन में परिवार , दोस्त , स्कूल के टीचर, प्रिंसिपल और ऑफिस के साथियों का योगदान। सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी सफलता पाने के बाद भी कप्तान के ज़िन्दगी में इन सब लोगों का महत्व बरकरार है और अभी भी कप्तान उनको उतना ही सम्मान करते हैं। चाहे आपको कितनी भी सफलता मिले अपनों को मत भूल जाईयेगा कभी। उनका प्यार निःस्वार्थ है और रहेगा।
कैसा लगा आज का यह लेख। जरूर फेसबुक के माध्यम से बताइयेगा। इंतज़ार करूँगा। फिर मुलाकात होगी नए साल में। नए साल का अग्रिम शुभेच्छा ग्रहन कीजिएगा। 

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