गुरुवार, 3 अगस्त 2017

नमस्कार। कैसा लग रहा है गर्मी का यह मौसम। स्कूल की छुट्टियाँ , आम का आनंद और गर्मी के कारन पसीने का अत्याचार। इस मौसम में शुद्ध ठंडे पानी का कोई विकल्प नहीं है। अधिकतर लोग दोपहर में धूप से और किसी -किसी शहर में गर्म लू से बचने के लिए घर या ऑफिस के बाहर नहीं निकलते हैं। तब तक, जब तक धूप में निकलना अति आवश्यक ना हो जाए।
इसी गर्मी के मौसम एक शनिवार आपका बॉस आपको रविवार के दिन दोपहर एक बजे ऑफिस में एक मीटिंग के लिए बुलाता है। आपको पता है कि मीटिंग का विषय ऐसा महत्वपूर्ण नहीं है कि आप इतनी गर्मी में छुट्टी के दिन, घर से एक घंटे का सफर तय करके ऑफिस पहुँचे। केवल यही नहीं। आपने अपने परिवार के साथ दोपहर तीन बजे के शो में घर के पास सिनेमा हॉल में नई फिल्म देखने का प्लान बनाया है। वातानुकूलित हॉल का सुकून और नई फिल्म का आनंद। रविवार ऐसा ही होना चाहिए। सब प्लानिंग पर बॉस का पानी फेर देना। क्या करेंगे आप ? इंक्रीमेंट, प्रोमोशन और कैरियर तीनों बॉस पर निर्भर करता है। ज़िंदगी में कभी ऐसी दुविधा हुई है ? बीच में आप और एक कठिन निर्णय -एक को 'हाँ ' तो दूसरा नाराज़।
आप इस परिस्थिति में क्या कर सकते हैं ? क्या सोच रहें हैं ? बॉस , कैरियर या परिवार ? या बॉस और परिवार , दोनों ? कम्युनिकेशन का यह सबसे कठिन चुनौती है। आज इसी का चर्चा करेंगे।
आप शायद मेरे साथ सहमत होंगे कि हर इंसान को माँगने का हक़ है तो किसी की माँग को नकारने का अधिकार भी है। आपके बॉस के पास आपको छुट्टी के दिन काम पे बुलाने का जैसा अधिकार है , आपको छुट्टी के दिन परिवार के साथ दोपहर में फिल्म देखने का अधिकार भी है। किसके अधिकार का आप इज्जत करेंगे -आपके खुद का या दूसरे इंसान का ? इसी पर निर्भर करता है , आपका कम्युनिकेशन और उस कम्युनिकेशन पर आपका रिश्ता। और रिश्ता क्या बनाता है ? आपका ब्रैंड।
तीन संभावनाएं आपके सम्मुख है। आप अपने बॉस के अधिकार को अपने अधिकार से ज़्यादा महत्व दो और रविवार के दिन दोपहर में ऑफिस पहुँच जाओ। यह आपका पैसिव कम्युनिकेशन होगा। ज़रा सोचिये। क्या आप खुद खुश होंगे ? कहाँ वातानुकूलित सिनेमा हॉल का सुकून के जगह  गर्मी में एक घंटे का सफर। क्या आपके परिवार वाले खुश होंगे ? परिवार को किए हुए वादे को ना निभाने का मानसिक तनाव क्या आपको काम करने में मदत करेगा ? हर्गिज़ नहीं।  आपके काम से क्या बॉस खुश होगा ? देखिये आपके पैसिव कम्युनिकेशन के कारण हर इंसान नाखुश है -बॉस , आपका परिवार और आप खुद। आपका अपने बॉस और परिवार के साथ रिश्ता बेहतर होगा या बदतर ? और आपका ब्रैंड ?
दूसरा उपाय है कि आप अपने अधिकार को बॉस के अधिकार से अधिक महत्व दो और रविवार को ऑफिस जाने से इंकार कर दो। यह एग्रेसिव कम्युनिकेशन का मिसाल होगा। क्या  बॉस खुश होगा ? आप चैन के साथ फिल्म का आनंद ले सकोगे ?
तीसरा संभावना कम्युनिकेशन का सबसे कठिन, लेकिन बेहतरीन कौशल है। इस कुशलता को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास करना पड़ेगा।  इस कम्युनिकेशन को assertive कम्युनिकेशन कहते हैं। सहज भाषा में -अपना और दूसरों के अधिकार को सम्मान करो। जहाँ 'ना 'बोलना ज़रूरी है , बोलो। 'हाँ 'मत बोलो। परंतु ऐसे बोलो कि सुनने वाला आपके और खुद के अधिकार का सम्मान करे और आपके 'ना 'बोलने के कारण को सराहे। assertive कम्युनिकेशन ज़िन्दगी का एक अहम् कौशल है जिसका प्रयोग व्यक्तिगत , सामाजिक और प्रोफेशनल रिश्तों को आगे बढ़ाने में मदत करता है। आप गौर कीजिएगा रामायण और महाभारत में assertive कम्युनिकेशन का घटनाओं पर प्रभाव। assertive ना होने का और होने का।
assertive कम्युनिकेशन करने का तरीका क्या है? सहज उपाय। लेकिन सीखने और प्रयोग करने में कठिन।
पहली बात -सुनो। क्या बोलना चाहता है ? क्या आप समझ पा रहे हो जो कि नही बोला जा रहा है ?
दूसरी बात -समझो। ज़रुरत होने पर प्रश्न पूछो।
तीसरी बात -अपना कारण व्यक्त करते हुए 'ना 'बोलो।
चौथी बात -ऐसा समाधान ढूंढो जो कि दोनो के अधिकार का सम्मान करता हो।
पाँचवी बात -तय किए हुए वादे को निभाओ
शुरू के उदाहरण को एक वार्तालाप के माध्यम से पेश करते हैं।
बॉस -आप कल रविवार दोपहर दो बजे ऑफिस आ जाइएगा।  काम है।
आप -sir मैं बेशक आ जाता परंतु मैंने अपने परिवार के साथ दोपहर में एक फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया है जिसके लिए मेरा कल दोपहर में ऑफिस आना संभव नही है। sir काम क्या है अगर आप बताएं तो मैं उस काम को करने का कोई उपाय ढूंढ सकता हूँ।
बॉस -मुझे इस महीने का रिपोर्ट भेजना है।
आप -sir , मैं घर पर काम करके आपका रिपोर्ट e mail के ज़रिये कल दोपहर के पहले भेज दूँगा। इससे आपका  काम भी हो जाएगा और मैं अपने परिवार को निराश भी नहीं करूँगा।
इस वार्तालाप को करते वक़्त कम्युनिकेशन के नियमों का ख्याल रखिएगा जरूर। याद है ना। 55 -38 -7 प्रतिशत का फार्मूला। आपका चेहरा और शरीर क्या बोल रहा है (55 %); किस अंदाज़ से आप बोल रहे हो (38 %) और आपके शब्दों का चयन (7 %).
कोशिश कीजिये assertive कम्युनिकेशन और मेरे साथ फेसबुक के माध्यम से शेयर कीजिये। सबसे बेहतरीन मिसाल मैं अगले महीने doc -u -mantra में पेश करूँगा। आपके नाम के साथ। वादा रहा। आम और रिश्तों का आनंद लीजिए।  खुश रहिए।  फेसबुक पर आपका इंतज़ार करूंगा। 

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