शनिवार, 3 नवंबर 2018

4 . 5 /9 . 0 क्या हो सकता है यह नंबर का तात्पर्य ? ५० प्रतिशत ? किसी विषय का आंकड़ा ? यह था सर्व निम्न पास मार्क्स मेरे पोस्ट ग्रेजुएट के प्रथम वर्ष से द्वितीय वर्ष में उत्तीर्ण होने के लिए। और मुझे उतने ही मिले थे। मेरे सात साथी को इससे कम मार्क्स मिलने के कारन एक सेमेस्टर की पढ़ाई दोहरानी परी थी। मैं गर्व के साथ एलान करता हूँ कि मैं अपने क्लास का पास करने वाले विद्यार्थिओं का अंतिम स्थान पर था। परन्तु मैंने ज़िन्दगी में आगे जाते हुए काफी सफलता अर्जन की है। आप इस वक़्त मेरा यह लेख पढ़ रहे हो , इतनी सफलता कितने लास्ट रैंक पाने वाले स्टूडेंट को नसीब होता है ?
मुझे क्या हो गया है कि मैं अपनी असफलता (अंतिम रैंक क्यूंकि लोग अपने प्रथम रैंक की चर्चा करते हैं ) की चर्चा कर रहा हूँ। दरअसल मैं एक पाठक का अनुरोध पर आज का चर्चा कर रहा हूँ।
नमस्कार। आप सब को दशहरे की बधाई। उम्मीद करता हूँ की नवरात्रि ,दुर्गा पूजा और दशहरा अपने ,अपनों के साथ धूम धाम से मनाया है। फेसबुक के माध्यम से इस विशेष पाठक ने मुझे परीक्षा में अच्छे और बुरे मार्क्स पर चर्चा करने का ज़िक्र किया। यह दूसरी बार इस पाठक के फरमाईश पर मैं इस लेख को पेश कर रहा हूँ। अगर आपकी कोई फरमाईश हो तो जरूर फेसबुक के जरिए मुझे बताए।
अच्छे और बुरे मार्क्स के सन्दर्भ में मैं पहली बात यह बताना चाहता हूँ कि आपका परीक्षा का मार्क्स परीक्षा के वक़्त आपका ज्ञान प्रदर्शित करता है। आपका उस विषय पर ज्ञान आपके परीक्षा में मिले मार्क्स के वनिस्पत बेहतर या बदतर भी हो सकता है।
दूसरी बात है कि विद्यार्थी के मार्क्स टीचर पर भी निर्भर करता है। कुछ टीचर अपने स्टूडेंट्स को यह अहसास कराना चाहते हैं की उनकी ज्ञान स्टूडेंट्स से कहीं अधिक है ,जो की अधिकतर विद्यार्थी के कम मार्क्स से प्रमाणित होता है। दूसरी ओर ऐसे भी शिक्षक हैं जो स्टूडेंट्स को सब्जेक्ट को और चाहने के लिए अच्छे मार्क्स द्वारा प्रोत्साहित करते हैं।
तीसरी बात है अभिभावकों का। मैंने हमेशा अभिभावकों को बच्चों को केवल यही पूछते सुना है -तुम्हे कितने नंबर मिले ? कभी यह नहीं सुना है पूछते हुए कि तुमने सीखा क्या है ? दरअसल माहोल ही अच्छे नंबर पाने वाले विद्यार्थी को बेहतर समझा है।
चौथी बात जो की हानिकारक है विद्यार्थी के लिए। अपने औकात के विषय में ज़्यादा समझ लेना केवल परीक्षा में मिले नंबर के कारन। ज़िन्दगी में आगे मैंने ऐसे कई ज़्यादा नंबर पाने वाले विद्यार्थी को काफी संघर्ष करते हुए देखा है अपने जीवन में। और मजे वाली बात है इनकी ईर्ष्या उन सहपाठी के विषय में जिन्होंने नंबर तो परीक्षा में कम पाया था लेकिन ज़िन्दगी में अधिक सफलता पाया है।
कुछ विद्यार्थी हैं जिनको पढ़ने में दिलचस्पी होती है और अपने सच्चे ज्ञान के कारन उनको हर परीक्षा में अच्छे नंबर प्राप्त होते हैं। कभी कभार किसी एक परीक्षा में नहीं। इस तरह के विद्यार्थी रिसर्च और पढ़ाने के कैरियर को ज़्यादा पसंद करते हैं। यह लेख उनके लिए नहीं है।
एक समय करीब २० -३० साल पहले जिस वक़्त स्कूल के बाद अच्छे कॉलेज में दाखिल होने के लिए बारहवीं क्लास का मार्क्स बहुत महत्वपूर्ण होता था। अभी भी है कुछ कॉलेज में दाखिल होने के लिए। फर्क इतना है कि पिछले शतक में कैरियर ऑप्शंस आज की तुलना में काफी कम थे।
क्या करना चाहिए विद्यार्थी को ? जिस परीक्षा के मार्क्स के जरिए आगे की पढ़ाई के लिए अच्छे कैरियर चॉइस मिलेंगे उन परीक्षा में अपने सच्चे ज्ञान के लायक मार्क्स लाने पड़ेंगे। हर विद्यार्थी को ९० प्रतिशत या उससे ज़्यादा मार्क्स नहीं मिलेंगे। मजे वाली बात यह है कि ९० प्रतिशत विद्यार्थी को ९० प्रतिशत से कम मार्क्स हासिल होंगे। मेरे दोनों बेटों को भी नहीं मिला है कभी। परन्तु दोनों बच्चों ने अपने इंटरेस्ट के अनुसार एक विषय को चुन लिया था , स्कूल में। और इस चुने हुए विषय पर उन्होंने हमेशा परीक्षा में अच्छे मार्क्स अर्जन किए। दोनों अभी विदेश में अच्छे यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे हैं।
विदेश में पढ़ाने के तरीके अलग होते हैं। परीक्षा से ज़्यादा असेसमेंट होता है जिससे विद्यार्थी की समझ का अनुमान मिलता है , रट कर किताबी ज्ञान को याद रखने का नहीं। आपको थ्री इडियट्स फिल्म का वह दृश्य जरूर याद होगा जिसमे प्रोफेसर ने क्लास को पूछा था -मशीन क्या है ? और रैंचो का जवाब था वह सब जो कि इंसान का समय बचाये या ज़िन्दगी को बेहतर जीने में मदत करे। उसके बाद क्या हुआ था आप सबको याद होगा। अगर आपने फिल्म नहीं देखी हो तो ,ज़रूर देखें। मार्क्स महत्वपूर्ण जरूर हैं लेकिन कम मार्क्स पा कर भी सफलता मिली है अधिकतर लोगों को जब उन्होंने उस विषय को चुना जिसमे उनकी दिलचस्पी हो। फिर किताबें परीक्षा के लिए नहीं बल्कि नॉलेज के लिए पढ़ा जाता है।
धन्यवाद एक बार फिर क्लास के इस लास्ट रैंक प्राप्त किये हुए स्टूडेंट के लेख को पढ़ने के लिए। मैं आपके प्रोत्साहन का आभारी हूँ और रहूँगा भी। दीपावली और धनतेरस की शुभकामनायें। आनंद लीजिये और अपना और अपनो का ख्याल रखिए। 

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