शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019

नमस्कार। पिछले महीने का लेख गणेश चतुर्थी के दिन प्रकाशित हुआ था। आज का लेख नवमी के दिन। माँ दुर्गा हम सबका मंगल करे यही दुआ करता हूँ। विजया दशमी और दशेहरा के लिए अग्रिम शुभकामनाएँ। पिछले महीने के लेख मैंने मंगल पर लिखा था -मंगल मिशन। क्या आपने खुद अनुभव किया उन भावनाओँ को ६ सितम्बर के रात को ?चंद्रयान के साथ। इतने करीब। परन्तु असफल। गर्व है उन लोगों पर जिन्होंने हमें इतना करीब पहुँचा दिया। निराशा हम सब को है। हम तो केवल दर्शक की भूमिका में हैं। उनकी बात सोचिये और महसूस कीजिए जिन्होंने कई सालों का कठिन परिश्रम को मंजिल के इतने करीब असफल होते हुए देखा। इस मायूसी से वापस आना आसान नहीं है। मेरा विश्वास है कि चंद्रयान अगले सफर में जरूर चाँद पर दक्षिण दिशा से पहुँचने में सफल होगा जो कि बहुत कठिन माना जाता है। मिशन मंगल में भी असफलता को इतिहास बना दिया था उस वक़्त के ISRO के टीम ने।
मिशन मंगल फिल्म पर वापस आते हैं कुछ सीख के लिए। पिछले लेख में मैंने दो मुख्य किरदार -राकेश धवन और तारा शिंदे के कुछ घटना के विषय में चर्चा की थी। इस लेख में अन्य किरदारों के विषय में चर्चा करूँगा और किस तरह से तरह तरह के इंसान को लेकर टीम का संचालन किया जा सकता है ,उस पर अलोकपात करूँगा। एका गाँधी -अमेरिका में पढ़ी हुई मॉडर्न लड़की। अमेरिका में जीने के तौर तरीके के साथ ज़्यादा परिचित। उनका विशेष प्रतिभा -innovation -अटक जाती है एक हद तक पहुँच कर। समाधान नहीं ढूंढ पाती है। हौसला छोड़ने की स्थिति में पहुँच जाती है। झटका देता है राकेश धवन। अपना गुस्सा ज़ाहिर करके। एका का ईगो यह 'अपमान 'सह नहीं पाता है। फिर क्या ? दिन -रात भूल जाती है। समाधान जो ढूढ़ना है। मिल जाता है। इस कठिन क्षण में साथ निभाता है उस का टीम का परमेश्वर नायडू -जो वैज्ञानिक है परन्तु ज्योतिष के द्वारा नियंत्रित है। ईश्वर में अत्याधिक विश्वास रखता है। महिलाओं से शर्माता है। परन्तु दोस्ती भी करना चाहता है। एका गाँधी उसके लिए एक अद्भुत नारी है जिसका वह फैन बन जाता है। उसे खुद नहीं पता कैसे एक कठिन समय में वह एका गाँधी का मानसिक सहारा बन जाता है। अनजाने में। हमारे लिए सीख -गुस्सा अच्छा होता है। समय पर और सही तरीके से पेश करने पर। दूसरी सीख टीम में एक दुसरे को हम कब ,किस तरह सहारा दे सकते हैं ,हमें खुद नहीं पता।
कृतिका अगरवाल -मिशन से गायब हो जाती है अपने पति की सेवा करने के लिए जो सरहद पर जंग लड़ते हुए ज़ख्म हो जाता है। वापस आती है अपने पति के कहने पर। घर में उन्हें एक सीख मिलती है। अगर कोई मशीन चलते वक़्त अचानक रुक जाये तो मशीन को एक बार on -off कीजिये जैसा कि हम अकसर घर में करते हैं। यही तकनीक का प्रयोग कृतिका करती है जब कि यान के साथ सम्पर्क टूट जाता है। on - off भगवान का नाम लेकर। संपर्क जुड़ जाता है। विज्ञान ,भगवान ,भाग्यवान और घर का साधारण तौर -तरीके -सब साथ देते हैं अगर इरादा पक्का होता है।
अंतिम सीख मिशन मंगल से। अपने कार्य स्थान को आप एक नौकरी के अंदाज़ से देखोगे तो आपको कुछ हद तक सफलता प्राप्त होगी। अपना बना लो तो समय अपना ;अंदाज़ अपना ; हार और जीत अपनी। हम खुद के लिए काम करना शुरू कर देते हैं ; कंपनी की बजैह। तारा शिंदे यह एहसास दिलाती है ऑफिस में 'पुनर्जन्म 'सेलिब्रेट कर के। वर्षा पिल्लई जो कि मिशन के वक़्त गर्भवती होती है निश्चित होकर काम करती रहती है क्यूंकि उसके लिए ऑफिस ही घर बन जाता है।
सब संभव है अगर हम विश्वास करें और सफलता या असफलता का जिम्मेवारी अगर खुद पर ले सके तो। टीम ही सर्वोपरी है।
फिर मुलाकात होगी। अगले महीने। दिवाली के बाद। अपना और अपनों ख्याल रखिये। सावधानी के साथ आतिशबाजी का आनंद लीजिये। फेसबुक के माध्यम से मुझे अपना विचार भेजिए । इंतेज़ार करूँगा 

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