शुक्रवार, 1 मई 2020

नमस्कार। मैंने जब से आपके साथ संपर्क बनाया है इस लेख के माध्यम से मैंने नमस्कार के जरिये लेख शुरू की है। कोरोना ने नमस्कार को विश्व व्यापी सम्बोधन का तरीका बना दिया है। क्या यह कोरोना के बाद भारत का पूरे विश्व पर बढ़ते हुए प्रभाव का नमूना है ? शायद हम सही सोच रहें हैं।
आज सुबह ख़बरों में लकडाउन का दो हफ्तों के लिए बढ़ाये जाने का संदेश मिला। इस लकडाउन के दौरान कई मजेदार वीडियो व्हाट्स एप के माध्यम से मुझे मिले हैं। आज एक वीडियो में एक महिला ने बेहतरीन अंदाज़ में अपने बढ़ते हुए टेंशन का ज़िक्र किया है। किस बात का टेंशन। इतनी प्रतिभा जो उभर कर आ रही है। लोग गाना ,बजाना ,नृत्य, योगा और खाना बनाने का वीडियो बना रहे हैं। यह महिला किसी भी विषय में निपुण नहीं है। और यही कारण है उनके टेंशन का। वीडियो के अंत में उन्होंने अपने एक प्रतिभा का मजेदार अंदाज़ में ज़िक्र किया है -झगड़ने का। मजा आ गया यह वीडियो देख कर। मिजाज को हल्का कर दिया।
आप में भी कोई प्रतिभा जरूर होगी। अपने प्रतिभा को मुझ तक पहुंचाहिये फेसबुक के माध्यम से। मैं आपके प्रतिभा को और अधिक लोगों तक पहुँचाने का वादा करता हूँ।
मेरे पिछले महीने के लेख में मैंने आप से अनुरोध किया था , फेसबुक के माध्यम से मुझे आप क्या कर रहें हैं बताने के लिए। कानपुर शहर से वर्णिका ने अपने विषय में लिखा है कि उन्होंने लकडाउन के समय अपने दोस्तों के साथ फ़ोन पर काफी बातचीत की है जिनके कारण उनके दोस्त बहुत खुश हैं। और उन्होंने योगा के विषय में चर्चा किया है और उसके बाद कई लोगों ने उनसे योगा के विषय में सलाह माँगने लगे हैं। दूसरे सज्जन जिन्होंने मुझे अपने विषय लिख कर भेजा है गोरखपुर के निवासी हैं जो कि इस समय प्रयागराज में वक़ालती के पेशे से जुड़े हैं। उनका नाम है आनन्द स्वरुप गौतम। आनंद जी ने पढ़ने लिखने में अपनी दिलचस्पी का ज़िक्र किया है। संगीत का आनंद लेते हैं और सामयिक मुद्दों पर अपना विचार व्यक्त करतें हैं फेसबुक के माध्यम से। धन्यवाद आप दोनों को मेरे अनुरोध का सम्मान करने के लिए।
मैं भी काफी समय बिता रहा हूँ पढ़ने में। अधिकतर लेख कोरोना के बाद ज़िन्दगी कैसी हो सकती है उसके विषय में पूर्वाभास करने का प्रयत्न कर रही है। कल मैं एक वीडियो देख रहा था हार्वर्ड बिज़नेस रिविउ के यूटुब चैनल पर। थॉमस फ्रीडमन जो की न्यू यॉर्क टाइम्स से जुड़े एक विश्व प्रसिद्द संवादिक हैं ने इस वीडियो में एक महत्वपूर्ण सलाह दी है -कोरोना के बाद जो इंसान सफलता और आनंद के साथ ज़िन्दगी जियेगा वह सबसे स्ट्रॉन्गेस्ट या स्मार्ट इंसान नहीं होगा -वह सबसे adaptive यानि जो परिस्थितिओं के साथ अपने आप को परिवर्तन कर सकेगा ,वही मुक़द्दर का सिकंदर होगा।
इस सन्दर्भ में मेरा अपना सोच है कि हर इंसान को अपने विषय में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ेगा -मैं किस विषय में best हो सकता हूँ। क्यूंकि आगे दुनिया बेस्ट का ही कदर करेगी। कैसे आप बेस्ट हो सकते हैं ? इसके लिए अपने हातों के पाँच उँगलियों पर ध्यान दीजिये। पहली बात कोई भी एक ही विषय में बेस्ट हो सकता है। दूसरी बात आप किस विषय में बेस्ट बनना चाहते हैं ? तीसरी बात ऐसे विषय को बेस्ट बनने के लिए चुनिए जिसमें आपका सहजात प्रतिभा है और उसमें आप इस वक़्त अच्छे हैं। चौथी बात आपके लिए बेस्ट की परिभाषा क्या है ? उदाहरण स्वरुप -हमारे देश के क्रिकेट कपतान ने फिटनेस में बेस्ट होने के लिए क्रिकेट के बाहर के खिलाड़ियों को अपना परिभाषा बनाया क्यूंकि उनके फिटनेस का मापदंड क्रिकेट के फिटनेस से ऊपर है। पाँचवी बात है आपका मापदंड कौन है। जिसको आप बेस्ट समझते हो और अक्सर सोचते हो कि अगर मैं इस विषय में इनके तरह बन सकूँ तो खुद को सफल मान लूँगा। उनके विषय में अध्यन कीजिये। उनके ज़िन्दगी से सीखिए। उनका अनुकरण कीजिए। नक़ल नहीं। वह आपके इंस्पिरेशन हैं। कौन जाने आप अपने प्रयास से उनसे भी बेहतर हो जाओ।
मैंने एक और दिलचस्प लेख पढ़ी है -प्रोटागोरस पैराडॉक्स -जो कि इस हर राष्ट्र के लीडर को एक कठिन निर्णय लेने में मजबूर कर रहा है -लकडाउन या इकोनॉमी ? अगले लेख में इसके विषय में लिखूँगा। तब तक सावधानी के साथ रहिए और अपने प्रतिभा का प्रदर्शन फेसबुक के माध्यम से मुझ तक पहुँचा दीजिए। इंतज़ार करूँगा आपके प्रतिभा का और लकडाउन से निकल आने का। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें