शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

नमस्कार। नया वित्तीय साल के लिए मुबारक। हम सब जो इस लेख के साथ जुड़े हुए हैं ऊपर वाले के आभारी हैं कि गत एक साल के भयानक महामारी के बाद इस नए साल में कदम रख पायें हैं। जिन लोगों को या उनके परिवार को वायरस के प्रकोप से जूझना पड़ा हो उनके प्रति मेरा संवेदना है। पिछले एक साल ने हम सब कोई का ज़िन्दगी बदल दिया है। आज के इस लेख में मैं पाँच मूल सीख के विषय में लिखना चाहता हूँ जो मैंने इस पान्डेमिक के कारण सीखा है। 

हर किसी को खुद का ख्याल खुद रखना पड़ेगा। अगर  आप और हम और हमारे प्रतिज्ञा करें कि हम सार्वजनिक स्थान पर मास्क हर वक़्त पहन कर रहेंगे और आवश्यक दूरी बरक़रार रखेंगे तो हम खुद को सुरक्षित रखेंगे और जिनसे हम मिल रहें हैं ,उनको भी सुरक्षा प्रदान करेंगे। जिस मानसिकता पर हमें विजय पाना है ,वह है कि दूसरे नहीं पहन रहें हैं ,मैं क्यों पहनूँ। दूसरी मानसिकता कि मुझे कुछ नहीं हो सकता है क्योंकि अभी तक कुछ नहीं हुआ है। इस वायरस का सबसे खतरनाक बात है कि यह बहुत जल्दी फैलता है। अगर आप अपनों के सेहत का ख्याल रखना चाहते हो , तो पहले खुद के सेहत का ख्याल रखना पड़ेगा। मैं आप सबके साथ-जो मेरे साथ हर महीने मिलते हो -मिलकर यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि हम खुद संभल के रहेंगे और जिनके साथ हमारे संपर्क है उनको प्रेरित करेंगे सावधानी बरतने का। क्या आप हमारे साथ हो ?

इस पान्डेमिक ने हर इंसान को संचय का महत्व समझा दिया है। कल किसने देखा है। आज के लिए जीना चाहिए। मैं इस सोच से सहमत हूँ। परन्तु अगर कल आ जाये और हमे उस दिन जीने के लिए जरूरी साधन ना हो , तो फिर हम आने वाले 'आज ' का आनंद कैसे उठाएँगे ? यह जरूर सोचिये। संचय का आदत बना लीजिए। और ख्याल रखिएगा कि बूँद -बूँद से घड़ा भरता है। संचय का प्लानिंग और अनुशाषन दोनों जरूरी नहीं , मजबूरी है। यह हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन , दोनों के लिए आवश्यक है। 

जैसा चल रहा है , वैसा चलता रहेगा। ऐसा सोचना ही रिवर्स गियर में गाड़ी चलाने के जैसा है। भविष्य में फिर कोई क्राइसिस होगा कि नहीं , किसी को पता नहीं है। बिजनेस के नियम और माँग दोनों बदल चुके हैं और तेजी से बदलेंगे। इस बदलते हुए समय के दौरान खुद को लगातार सीखने के मानसिकता से अग्रसर होना पड़ेगा। चाहे आप गृह बधु हो , विद्यार्थी हो , बिज़नेस मैन हो , नौकरी में हो , रिटायर्ड हो -हर किसी को अपने सॉफ्ट स्किल्स को बेहतर बनाना पड़ेगा। इसके साथ डिजिटल दुनिया के साथ हाथ मिलाने का प्रशिक्षण लेना पड़ेगा। इसका कोई विकल्प नहीं है। डिजिटल के वजह से बहुत सारे अपॉर्च्युनिटीज़ उभर कर सामने आए हैं जिसके कारन आपका निवास का जगह से विश्व के हर जगह से जुड़ चुका है। इसका फायदा जरूर उठाइये। 

वर्क फ्रॉम होम रिमोट वर्किंग का एक तरीका है। इस तरह काम करने का आदत डाल लीजिये। इसके कई सुविधा और असुविधाएं हैं। अपने घर में जहाँ तक संभव हो सके अपने लिए एक अलग जगह बना लीजिये जहाँ पर कुछ हद तक आप ऑफिस का माहौल बना सकें। ऑफिस में जैसे कपड़े पहनते हैं , पहने। इन सब के कारण आपके काम करने के मानसिकता पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ेगा। घर वाले को अनुरोध कीजिये कि वो आपको ऑफिस में समझे और उसको ध्यान में रखते हुये पेश आएं। अगर आप घर से काम कर रहे हो , तो सुबह शाम जरूर घर से बाहर निकलिए अपने मानसिक संतुलन को बरक़रार रखने के लिए। 

हर इंसान जो कि हमारे जिंदगी को आसान बना रहा है , उसकी इज्जत करें। लॉकडाउन के समय जब घर की बाई या ड्राइवर जब काम पर नहीं आ सकता था , हम सबने उनके महत्व को समझा और उनको नए नज़र से देखना शुरू किया। उनका अवदान , हमारे जीवन में हमने शायद कभी पहले इतना महसूस नहीं किया था। क्राइसिस के समय हमारा व्यवहार और स्वाभाविक समय पर उनके साथ हमारा वर्ताव अलग नहीं हो सकता है। उनके साथ इज्जत और संवेदना के साथ हर समय पेश आना मायने रखता है। 

उम्मीद करता हूँ कि आपका वित्तीय साल बेहतरीन होगा।  आपने जो सीखा है गत बारह महीनें में हमें जरूर बताईये फेसबुक के माध्यम से। इंतेज़ार करूँगा। खुद सावधान रहिये। दूसरों को प्रेरित कीजिये। इसी में हम सब का मंगल है। 

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