गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

नमस्कार। मई का महीना शुरू होता है अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के साथ। इस दिन का शुरुआत मई १८८६ में शिकागो के हेमार्केट का घटना माना जाता है जहाँ श्रमिक इकट्ठित हुए थे बेहतर वेतन और आठ घंटों का दैनिक मजदूरी के लिए। किसी दुष्ट ने एक बम फेका था इन लोगों पर। कई मजदूर और पुलिस मारे गए इसके कारण। तब से पहले मई के दिन को इस प्रतिवाद का दिन माना जाता है। भारत में पहली बार १ मई १९२३ को मई दिवस मनाया गया था मद्रास में जिसे लेबर किसान पार्टी ,हिंदुस्तान ने नेतृत्व दिया था। 

मई दिवस मजदूरों के अधिकार को याद दिलाता है। शोषण सही नहीं होता। उनीस्वी सदी में जब कारखानें बढ़ रहे थे , मजदूरों को दिन में १५ घंटें काम करने पड़ते थे। इसी शोषण ने मजदूरों को एक होकर प्रतिवाद के रास्ते पर चलने को मजबूर किया। अभी काफी सुधार आ चुका है मजदूरों के कार्य क्षेत्र की सुविधाओं पर और दैनिक काम के समय पर। १९७० के दरमयान यही मजदूर यूनियन जो कि उनके अधिकारों का प्रतिनिधि हुआ करता था कई समय पर नाजायज मांग के जरिए कारखानों को बंद करने पर मजबूर किया था व्यवसाय के मालिकों को। शायद उन्होंने अपने अधिकार के लक्ष्मण रेखा का उलंघन किया था। 

इधर वायरस के दूसरे लहर ने तबाही मचा रखी है। ज़्यादा लोग वायरस के प्रकोप में आ रहें हैं और ऑक्सीजन की कमी हर जगह लोगों के लिए मुश्किल बढ़ा रही है। हर कोई एक दूसरे को जिम्मेवार ठहरा रहा है इस परिस्थिति के लिए। लोगों में भगदड़ मची हुई है वैक्सीन का डोज़ लेने के लिए।  कब स्थिति काबू में आएगा किसी को अंदाज़ तक नहीं है। 

आज पूरी दुनिया में वायरस का जो परिस्थिति है , वह मुझे मजबूर कर रहा है अधिकार और जिम्मेवारी के बीच जो संपर्क होता है , उसके विषय में चर्चा करने के लिए।  आप सब लोगों ने जरूर देखा और सुना होगा कि पश्चिम के कई देशों में नागरिकों ने मास्क पहनने से इंकार किया था क्योंकि उनके मौलिक अधिकार को कुचल दिया जा रहा था। हमारे देश में मास्क पहनना मौलिक अधिकार के दमन का विषय नहीं था। ज़्यादातर लोगों ने मास्क नहीं पहना। सरकार , विशेषज्ञ , सेलिब्रिटीज , सब ने कर जोड़ कर विनती  की मास्क पहनने के लिए। परन्तु सुनता कौन है। कम से कम दूरी रखना जरूरी है। कौन इसके विषय में सोचता तक है। हम अपनी जिम्मेवारी को नहीं निभाएंगे। परन्तु १३० करोड़ भारतीय नागरिक को मुफ्त में वैक्सीन मिलना हमारा अधिकार है , इसके लिए सरकार जिम्मेवार है , यह हर किसी का सोच है। 

मैंने अपनी ज़िन्दगी में अधिकतर लोगों को ऐसा ही पाया है। परिवार , दोस्त , समाज , ऑफिस हर क्षेत्र में। इनके साथ ऐसे रिश्ते बने होते हैं कि आप इनके बिना जी भी नहीं सकते हैं। मैं ऐसे लोगों को बेहद स्वार्थी समझता हूँ। मेरा उपाय इन लोगों के लिए सहज है। स्पष्टवादी बनना। उनकी आँखों में ऊँगली डाल कर उनकी जिम्मेवारी से अवगत कराना और उस जिम्मेवारी से जुड़े अधिकार को जिम्मेवारी निभाने के साथ जोड़ देना मुझे अपनी ज़िन्दगी में बहुत मदत किया है। क्या आप मुझसे सहमत हैं ? जरूर बताईएगा फेसबुक के माध्यम से। 

तब तक मास्क पहनिए जब भी आप घर के बाहर हो। तभी निकलिए घर से बाहर जब जरूरत हो। किसीसे मिल रहें हैं तो दो गज की दूरी बरक़रार रखिये। अगर आपको वैक्सीन लग गया हो , तो आप वायरस के प्रकोप से सुरक्षित नहीं हैं अगर आपने खुद को सुरक्षित नहीं रखा है। वैक्सीन का फायदा है कि अगर आप वायरस के प्रकोप में आ गए तो आप जल्दी स्वस्थ हो जायेंगे। वैक्सीन का सुरक्षा आप कुछ इस तरह समझिए।  अगर आप घर के बाहर खुले में हो और आपके पास छतरी  हो तो आप बारिश में कम भीगेंगे बिना छतरी वाले परिस्थिति में। परन्तु आपके पास छतरी होने के बावजूद अगर आप भयंकर आँधी तूफ़ान में निकल पड़ोगे तो शायद आप खुद को बुरी तरह भीगने से नहीं बचा पाओगे। यही सोच आपको रखना होगा वैक्सीन लेने के बाद भी। आपको सावधान रहना पड़ेगा कोरोना से। 

क्या मैं आप सब लोगों से , जो कि मेरे साथ हर महीने मिलते इस लेख के माध्यम से , उम्मीद कर सकता हूँ कि आप खुद को सुरक्षित रखने का जिम्मेवारी निभाएंगे और आप जिनको प्रभावित कर सकते हैं , उनको भी अपनी जिम्मेवारी के विषय में वाकिफ कराएँगे।  यह हम सब का जिम्मेवारी है। और हम सब को स्वस्थ रहने का अधिकार भी है। 

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