शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

जाते जाते नहीं गया। जाने का कोई इरादा भी नहीं दिख रहा है। मैं कोरोना वायरस का बात कर रहा हूँ। नमस्कार सब ठीक चल रहा था ,सही दिशा की ओर दुनिया चल रही थी ,हम सब वायरस के साथ कॉन्फिडेंस के साथ जीने लगे थे और एक नया स्ट्रेन का उदय हुआ दक्षिण अफ्रीका में। बस ,फिर हम और पूरी दुनिया का रूह बदल गया और हम फिर दुविधा में पर गए कि अब क्या करना। 

दुविधा इस लेख का मुख्य विषय है। हम दुविधा में क्यों उलझ जाते हैं ? क्यूँकि हम निर्णय नहीं ले सकते हैं। हम क्यों निर्णय ले सकते हैं ? कई कारण हो सकते हैं -हम निर्णय लेना नहीं चाहते हैं या हमारे पास जितने तथ्य हैं वह निर्णय लेने के लिए पर्याप्त नहीं है या हमारे पास निर्णय लेने लायक तजुर्बा नहीं है या हम ऐसे परिस्थिति का पहली बार सामना कर रहें हैं जैसा कि इस वायरस के प्रकोप के शुरुआत में हुआ था। हर कोई अपने अंदाज़ और अनुभव के अनुसार अपनी टिप्पणी दे रहा था। जैसा कि अभी हो रहा है ,इस नए स्ट्रेन के विषय में। उम्मीद करता हूँ कि आप सभी मेरे विचारोँ से सहमत होंगे। आपके विचार अगर भिन्न हो तो मूझे अवश्य फेसबुक के माध्यम से बताएँ। 

दुविधा से निकलने के लिए आपको करना क्या है ? तीन 'डी ' का प्रयोग। डिटर्मिनेशन , डिसिप्लिन और डेटा। दृढ़ता  ,अनुशाषन और तथ्य। मैंने अपने लिए इन तीन 'डी 'का सहारा लिया है दुविधा को सुलझाने के लिए। 

डिटर्मिनेशन या दृढ़ता पहला कदम है क्योंकि हम जब तक खुद के साथ संकल्प ना कर लेते हैं कि हम जिस दुविधा में उलझे हुए हैं ,उसका समाधान हमें ढूंढ कर निकालना पड़ेगा ,तब तक हम अगला कदम नहीं उठा सकते हैं। इस सन्दर्भ में मेरी एक ही सलाह है -अपना संकल्प बनाने के लिए इतना समय ना लीजिए कि पानी सर के ऊपर चढ़ जाए।ताकि आपका निर्णय मजबूरी की वजह से नहीं होना चाहिए। क्योंकि मजबूरी की वजह से लिए हुए निर्णय अकसर गलत होते हैं। एक उदाहरण देता हूँ। आपके ऑफिस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है , यह आप समझ रहे हो। आप दुविधा में हो कि आपको नयी नौकरी ढूंढनी चाहिए या नहीं। आप सोचते रह जाते हो और अचानक एक दिन खबर मिलती है कि आपके शहर में आपका ऑफिस बंद किया जा रहा है। फिर क्या होगा आप जरूर समझ रहे हो। जितनी जल्दी हो सके दुविधा का समाधान ढूंढ निकालिए। इसी में मंगल है। 

डिसिप्लिन या अनुशाषन। दुविधा को सुलझाने के लिए यह अति आवश्यक है। इस सन्दर्भ में अनुशाषन का तात्पर्य क्या है ? एक बार जब आपने ठान ली कि आप दुविधा का समाधान निकाल लोगे , तब आपका पहला कदम होगा खुद के लिए एक डेडलाइन तय करना कि कब तक में आप समाधान निकाल लोगे। यह आपके लिए एक गंतव्य या मंजिल का स्वरुप है। फिर आपको तय करना पड़ेगा कि मंजिल तक पहुँचने के लिए आपका सफर कैसा होगा और इस सफर के दौरान कौन से पड़ाव आयेंगे और किस समय पर आयेंगे। एक और अनुशाषन जो बहुत जरूरी होता है -आपके सलाहकार का चयन। हमें सलाह लेनी परती है। जितने सलाहकार होंगे उतना आपका कन्फ्यूज़न बढ़ेगा। एक या दो से अधिक सलाहकार जरूरी नहीं है। फिर पिछले उदाहरण को आगे बढ़ाते हुए हम इस कदम का प्रयोग सीखेंगे। कब तक हमें नयी नौकरी चाहिए हमारा मंजिल बन जाएगा। इसके लिए अपना बायोडाटा बनाना , कंपनी तक पहुँचना ,दोस्तों या परिचित लोगों से सहायता लेना ,इंटरव्यू की तैयारी करना -सब पड़ाव इस सफर के। हर पड़ाव के लिए डेडलाइन ठीक करना आवश्यक है। 

डेटा या तथ्य। दुविधा को सुलझाने के लिए उचित डेटा का विश्लेषण करना अति आवश्यक है। अगर इस सिलसिले में हम अपने उदाहरण पर वापस चले जाएँ तो पहला डेटा जो जुगाड़ करके समझना पड़ेगा कि क्यों हमारी कंपनी की परिस्थिति डावाँडोल है। क्या हम लोगों से सुन रहें हैं ? या आँकड़े बता रहें हैं कि सब ठीक नहीं है ? क्या आपकी कंपनी का प्रोब्लेम है या जिस इंडस्ट्री में आपकी कंपनी है उसका प्रोब्लेम है ? वायरस के कारन जैसे ट्रेवल और टूरिज्म का व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया था। आप जिस पेशे में हो , क्या आपको अपने शहर में नौकरी मिलेगी या आपको दूसरे शहर में शिफ्ट करना पड़ेगा ? इस तरह के डेटा के आधार पर आपका निर्णय लेना आसान होता है। 

आशा करता हूँ कि मेरे तजुर्बे पर आधारित इस लेख से आपको फायदा होगा। नए वर्ष मेरा लेख होगा अपने जीवन साथी के चयन में दुविधा को आप कैसे सुलझा सकते हैं? अभिभावकों के लिए भी यह लेख फायदेमंद होगा। तब तक अपना ख्याल रखिए ,वायरस के विषय में अफवाहों पर ध्यान ना दें। मास्क का प्रयोग कीजिये और दूरी बरक़रार रखिए। वायरस आपको कुछ नहीं कर पाएगा। यह प्रमाणित हो चुका है। मुलाकात होगी फिर नए साल २०२२ में। नए साल की अग्रिम शुभकामनायें स्वीकार कीजिए। 

 

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