मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

"मेरे करण अर्जून ज़रूर आएँगे। " एक लाचार माँ की उम्मीद एक हिट मूवी का सुपरहिट डॉयलोग। फिर यही फिल्म करीब ४० सालों के बाद फिर मूवी हॉल में दिखाया जायेगा। प्रोडूसर की उम्मीद कि दर्शकों को दुबारा या नयी पीढ़ी को इस फिल्म को देखने की इच्छा होगी। 

उम्मीद पर ही ज़िन्दगी टिकी हुई है। सबसे अहम् बात यह होती है कि उम्मीद पॉजिटिव सोच को प्रोत्साहित करती है। हर इंसान जीतने की उम्मीद करता है ,हारने का नहीं। कोई उम्मीद के साथ प्रार्थना करता है ,कोई प्रयास। जब हमारी उम्मीद किसी और के प्रयास पर निर्भर है तब हम प्रार्थना करते हैं। जैसे कोई बीमार होता है तो हमें डॉक्टर पर भरोसा करना पड़ता और हमारी प्रार्थना रहती है की डॉक्टर बीमारी पर विजय हासिल करेगा। परन्तु परीक्षार्थी को परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए उम्मीद के साथ मेहनत करनी पड़ती है।  

अगर आप किसी भी टीम को नेतृत्व प्रदान कर रहे हो , आपकी उम्मीद पर पूरी टीम का मनोबल टिका होगा। इसीलिए आपकी जिम्मेवारी कहीं अधिक होता है टीम और ख़ुद के लिए। उम्मीद के लिए खुद पर और टीम पर विश्वास होना और रखना जरूरी है। विश्वास और काबिलियत उम्मीद का भीत होते हैं। किसी भी मकान के तरह मजबूत भीत जैसे मकान को मजबूत बनाती है ,विश्वास , काबिलियत और हौसला उम्मीद को मजबूत बनाती है। 

इसका तात्पर्य यह नहीं कि हर उम्मीद पर सफल होंगे। असफलता के साथ जूझना हम सब को सीखना पड़ेगा। ज़िन्दगी में हम कभी भी असफल नहीं होंगे ,इस उम्मीद के साथ जीना ही मूर्खता है। असफल होने पर भी हमारा मनोबल कमज़ोर नहीं पड़ेगा यह उम्मीद करना ज़िन्दगी को जीने में मदत करता है। 

विज्ञान और टेक्नोलॉजी निरंतर गति से आगे बढ़ रहें हैं। इस वजह से हमारी ज़िन्दगी बेहतर बनती जा रही है। कई बिमारिओं के इलाज में विज्ञान ने नई उम्मीद को जन्म दिया है। हमारे देश में अभी दुनिया की हर चीज़ मिलती है। और हमारी युवा पीढ़ी की सफलता हर क्षेत्र में हमारी उम्मीद बढ़ाती है कि हमारा भविष्यत सुरक्षित है। 

मेरा विश्वास और मानना है कि हमारी ज़िन्दगी सीमीत है। परंतु हम अपनी ज़िन्दगी को असीमित ढंग से जी सकते हैं। केवल इतना ही ख्याल रखना होगा कि हमारे आनंद किसी और के दुःख का कारण ना बन जाए। अपनी ज़िन्दगी अपने ढंग से जीने की उम्मीद ही हमारी ज़िन्दगी का मकसद होना चाहिए। क्योंकि इसी उम्मीद पर यह दुनिया टिकी हुई है। 

शुक्रवार, 29 नवंबर 2024

नमस्कार। २०२४ के आखरी महीने में आपका स्वागत है। दिसंबर का महीना अगले साल के लिए तैयारी का महीना। नए साल में नए संकल्प के विषय में सोचना। २०२४ के लिए आपने जो संकल्प किया था उसमे आप सफल रहे या नहीं। मैं भी आंशिक रूप से सफल रहा। मैंने तीन संकल्प किये थे। दो संकल्प में मैं सफल रहा। एक संकल्प में मैंने आंशिक सफलता हासिल की। यह संकल्प था अपने स्कूल के मित्रों के साथ फिर से संपर्क स्थापित करना। 

आज मैंने पहले मित्र के साथ संपर्क स्थापित की। हम फेसबुक के माध्यम से जुड़े हुए थे कई सालों से। परन्तु इस साल मैंने उनके जन्मदिन के अलर्ट मिलने पर उनसे संपर्क किया और उसके फ़ोन नंबर मिलने के बाद बातचीत की। करीब चालीस सालों के बाद हमारी बातचीत हुई। हम स्कूल में सातवीं से दसवीं क्लास एक साथ पढ़ाई की थी। उसके बाद हमारे माता पिता के ट्रांसफर हो जाने के कारण हम दूसरे शहर चले गए। उसके चालीस साल बाद फिर बातचीत हुई हमारी। 

दोस्ती एक अद्भुत रिश्ता है। समय इसे कमजोर नहीं कर सकता है। मेरा तजुर्बा यही कहता है। इतनी याददाश्त बिना किसी प्रयास के वापस आ जाती है। कितने और दोस्तों के विषय में अपडेट मिला। कुछ गुज़र गएँ हैं। थोड़ा मन ख़राब हो गया यह जान कर। और हमने नए साल का संकल्प ले लिया। अगले साल हम अपने इस स्कूल का एक रीयूनियन करेंगे। हम अपने स्कूल जायेंगे और बीते हुए दिनों में खो जायेंगे। 

दोस्ती का रिश्ता ऐसा क्यों होता है कि समय उसको भूलने नहीं देता है। आपने कभी सोचा है इस विषय पर। मुझे लगता है कि दोस्ती का रिश्ता ऐसा तब ही होता है जब वह निःस्वार्थ होता है। जिसमे एक दूसरे से दोस्ती के अलावा और किसी स्वार्थ की उम्मीद नहीं होती है। 

एक और प्रश्न मुझे सोचने पर मजबूर कर रहा है। क्या बचपन की दोस्ती ही ऐसी होती है। वयस्क जीवन में हुई दोस्ती क्या इतनी ही निःस्वार्थ होती है। स्कूल के बाद कॉलेज और उसके बाद जो दोस्त बने हैं उनके साथ रिश्ता कैसा होता है। मैं पिछले हफ्ते कॉलेज के एक मित्र के साथ मिला था। उससे बातचीत हो रही थी। इस दोस्त का विश्वास है कि हम हॉस्टेल में अगर कॉलेज के समय एक साथ रहते हैं तो दोस्ती और ज़्यादा गहरी और टिकाऊ होती है। यह दोस्त और हम एक साथ पोस्ट ग्रेजुएशन करते वक़्त दो साल हॉस्टेल में रहते थे। यह दोस्त ग्रेजुएशन के समय हॉस्टेल में नहीं रहता था। इसीलिए शायद उसका सोच ऐसा है। 

मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि सच्चे दोस्तों और दोस्ती का कोई विकल्प नहीं है। जितना आनंद दोस्तों से मिलने पर मिलता है उसका तुलना करना मुश्किल है। मैंने तय कर लिया है कि अगले साल जितने दोस्तों से मैं मिलना चाहता हूँ और जिनके साथ कई वर्षों से बातचीत या मुलाकात नहीं हुई है ,उनसे मिलने की कोशिश करूँगा। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ पुराने मित्र बदल चुके हों।  मुझे इससे कोई इतराज नहीं है। यह जानना भी एक अविष्कार होगा। मेरी सोच यह बताती है कि अपना समय ऐसे निवेश करो जहाँ आनंद मिलने का संभावना अधिक है। क्योंकि किसे पता कल हो ना हो। 

शुक्रवार, 1 नवंबर 2024

नमस्कार। दिवाली की शुभकामनाएँ। उम्मीद करता हूँ कि आप सब का त्यौहार का समय अच्छा गुजरा है। छट पूजा के लिए भी आपको बधाई। इन त्यौहार के दिनों में हर कोई अपने तरीके से आनंद उठाता है। अक्सर इस सन्दर्भ में दूसरों के असुविधा को नज़र अंदाज़ करता है। इस साल अख़बारों कई खबरें प्रकाशित हुई हैं जिसमें रास्ते के कुत्तों को अस्पताल में दाखिल करना पड़ा क्यूँकि पठाकों के आवाज़ से उनकी तबियत ख़राब हो गयी थी। और यही हमारे लिए एक अहम् सीख है। 

१३ नवंबर पूरी दुनिया में world kindness day के हैसियत से मनाया जाता है। 1998 से यह मनाया जाता है। इस दिन समाज में हुए अच्छे काम को प्रदर्शित किया जाता है और लोग बिना किसी भेद भाव के मिलते हैं और दया और दूसरों के प्रति समानुभूति जिसे अंग्रेजी भाषा में empathy कहते हैं ,उसके महत्व पर आलोचना करते हैं ताकि इंसान एक दूसरे के भावनाओं का सम्मान करें और एक दूसरे के साथ सहानुभूति के साथ ज़िन्दगी बिताए। 

भावनाओं को समझ कर किसी के साथ पेश आना अभी इस वर्त्तमान समय के लिए सबसे बड़ी जरूरत है। कॉरपोरेट दुनिया में अभी मैनेजर पद के चयन के लिए EQ यानि Emotional Quotient को IQ यानि Intelligence Quotient से ज़्यादा महत्व दिया जाता है। कोई भी मैनेजर अगर औरों के भावनाओं को ना समझ सके उन्हें अपनी टीम से काम में स्वामित्व या ownership लाने में असुविधा होगी। 

हम अपनी भावनाओँ से वाक़िफ़ हैं। हमें पता है कि हमें क्या चाहिए या ना चाहिए। हमें क्या पसंद या नापसंद है। हमें ख़ुशी और गम के वजह पता है। परन्तु क्या हम दूसरों के लिए यह समझने की कोशिश भी करते हैं ? शायद जितनी जरूरत है उतनी नहीं। और इसी वज़ह से हम एक बुद्धिमत्ता से वंचित रह जाते हैं। अंग्रेजी में इसे emotional intelligence कहते हैं। आपको यह  बुद्धिमत्ता रिश्तों को सवारने में मदत करता है। कुछ लोग इस समझ का गलत प्रयोग भी करते हैं। manipulate या चालाकी से अपने हित में भावनाओँ का इस्तेमाल करना। जैसे राजा दशरथ को राम जी को बनवास के लिए भेजना पड़ा। 

हमारा सबसे कठिन बाधा जिसे हमें उपक्रम करना है कि हर इंसान को एक दर्जे का नहीं मानते हैं। अमीर ,गरीब ,मर्द ,औरत ,बच्चे ,बुजुर्ग ,धर्म ,जाती ,पेशा ,समाज में स्थान -इन  सब के आधार पर हम उनके साथ कैसा व्यव्हार करेंगे या किस तरह से पेश आएंगे , इसका निर्णय हम अपने दिमाग में कर लेते हैं। एक संरचना या structure बन जाता है हमारे मस्तिष्क में। जो इस संरचना में हमसे ऊपर है उनको समझने का प्रयास करते हैं। और जो हमसे नीचे है उनके भावनाओं को समझने का उतना प्रयास भी नहीं करते हैं। 

हमने अधिकतर परिवारों में मर्दों का अधिपत्य देखा है। घर के औरतों को मर्दों की जरूरतों को समझना और निभाना एक कर्त्तव्य का दर्जा प्राप्त कर चुका है। एक और पहलु होता है जब बहु सास बन जाती है। इसी कारन सास भी कभी बहु थी इतना मशहूर टी वी सीरियल बन गया था। 

अगर आप अपना emotional intelligence का प्रयोग करना चाहते हैं अपने रिश्तों को और मजबूत बनाने के लिए , तब आपकी शुरुआत होनी चाहिए हर इंसान को बिना किसी संरचना के साथ , अपने समान देखिये। उनको भी अपनी ज़िन्दगी और भावनाओं पर उतना ही अधिकार जितना कि आपका अपनों पर। भावनाओं को समझ कर उनके साथ पेश आईये और देखिए उनकी ओर से कैसा प्रतिक्रिया मिलता है। आप शायद उम्मीद भी नहीं कर पाएँगे। यही है emotional intelligence का सही प्रयोग। एक बार इसका चसका लग जायेगा तो आपकी ज़िन्दगी बदल जाएगी। यह मेरा दावा है। असंभव संभव हो जायेगा। आपको अपनी ज़िन्दगी से कई गुना आनंद मिलेगा जो शायद आप सोच भी नहीं सकते हो। करोगे या नहीं इसका निर्णय इस प्रश्न के जवाब के आधार पर लो। क्या आप चाहते हो कि लोग आपकी भावनाओं को समझकर आपके साथ पेश आए ?

शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

Doc U Mantra Oct 24

नमस्कार। अक्टूबर के महीने में आपका स्वागत है। यह महीना त्यौहार का महीना है। नवरात्री , दूर्गा पूजा ,दशहरा, धनतेरस  और दिवाली के लिए आप सब को अग्रिम बधाई। त्यौहार तो आनंद और ख़ुशी के लिए होता है। परन्तु कुछ लोग इस आनंद से वंचित रहते हैं। कुछ आर्थिक कारण के वजह से अपने इच्छा अनुसार खरीदारी नहीं कर सकते हैं। और कुछ लोगों के पास सब कुछ होने के बावजूद खुश नहीं हैं क्योंकि मानसिक तनाव से भुगत रहें हैं। 

१९९२ साल में १० अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का दर्जा प्रदान किया गया है। हर साल मानसिक स्वास्थ्य के अलग -अलग विषय पर विशेषज्ञ चर्चा करते हैं और लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपायों का सलाह पेश करते हैं। मेरे ऑफिस के सहकर्मिओं ने इस अवसर पर ऑफिस के स्ट्रेस और उससे जुड़े मानसिक तनाव और उस तनाव से जूझने के लिए कुछ सुझाव इस लेख का मुख्य विशय है। इस विषय पर बहुत कुछ बोला और कहा जा सकता है। मैं केवल तीन विषय पर चर्चा करूँगा। 

पहली सच्चाई यह है कि हर इंसान का कोई ना कोई मानसिक तनाव होता है। ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसके पेशे या काम में कोई तनाव नहीं है। अपने जीवन में कोई तनाव नहीं होगा सोचना ही मूर्खता है और तनाव का एक वजह भी बन जाता है। ज़िन्दगी में तनाव एक अभिन्न साथी है स्वीकार कर लीजिये। यह तनाव से जूझने का पहला कदम है। 

दूसरा कदम है तनाव का विश्लेषण। क्यों तनाव हो रहा है। तनाव का वजह क्या है।  क्या इस  वजह पर आपका कण्ट्रोल है। या नहीं। नया ग्राहक  मुझसे ख़रीदेगा या नहीं -इस पर मेरा कोई कण्ट्रोल नहीं है। परन्तु मैं ग्राहक को कन्विंस करने के लिए क्या बोल या दिखा सकता हूँ ,मेरे कण्ट्रोल में है। किसी भी विद्यार्थी का रिजल्ट कैसा होगा उसके कण्ट्रोल में नहीं है। परन्तु अच्छे रिजल्ट के लिए परीक्षा की तैयारी विद्यार्थी के कण्ट्रोल में है। उसका तनाव यह होना चाहिए कि मैं कैसे और बेहतर तैयारी कर सकता हूँ। 

हमारे भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कूल आजकल बहुत सारे वीडियो में दिख रहें हैं। ऐसे वीडियो में उन्होंने स्पष्ट कहा है कि उन्हें मैच के परिणाम पर कोई कण्ट्रोल नहीं था। परन्तु मैच को जीतने के लिए उनके वश में जो भी है उसको बेहतर करना ही उनका एकमात्र प्रयास रहा है। उनको हार जाने का कोई डर नहीं था। क्योंकि खेल में हारना और जीतना एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। 

हमारा तीसरा कदम भी कप्तान कूल से प्रेरित है। अगर आप किसी और के तनाव का वजह बन सकते हो ,तो आपकी जिम्मेवारी और बढ़ जाती है। कर्मक्षेत्र में तनाव का सबसे प्रमुख वजह है काम में प्रदर्शन। अच्छा प्रदर्शन होने पर तनाव कम होता है। अगर आप इस लॉजिक से सहमत हैं तो केवल दो चीज़ों पर ध्यान दें। एक दूसरों से आप क्या उम्मीद रखते हैं उसकी समझ सही होनी चाहिए। और उनको आश्वाशन देना जरूरी है कि वो निडरता के साथ काम करें। प्रयास पर फोकस करें। परिणाम की चिंता ना करे। इसी कारण कप्तान कूल ने इतने युवा खिलाड़िओं को प्रोत्साहित करके उनको स्टार बना दिया। 

आप भी अपनी ज़िन्दगी से और ज़्यादा आनंद उठा सकते हैं। अगर आप अपने तनाव के वजह को समझ सकें और मैनेज कर सकें। इसी में आपका और आपके अपनों का मंगल है। आप सब को त्योहारों के लिए अग्रिम बधाई। खुश रहें। हम सबका मंगल हो। 


शुक्रवार, 30 अगस्त 2024

नमस्कार। सितंबर का महीना। वित्तीय वर्ष का छटा महीना। व्यवसाय और विद्यार्थिओं का आधा साल समाप्त हो रहा है। कैसा चल रहा है आपका समय। अच्छा ,बुरा , या मोटामोटी। अगर आप विश्व के परिस्थितिओं का विश्लेषण करें तो एक अनिश्चित समय से हम गुज़र रहें हैं। इसका प्रभाव हमारे ज़िन्दगी पर विराजमान है। और ऐसा समय हमें बहुत कुछ सिखाता है। परन्तु हम जीते हैं उम्मीद के साथ। मजे की बात यह है कि हमें यह पता नहीं कि कल क्या होने वाला है। परन्तु हम सब एक बेहतर कल की उम्मीद में जीते हैं। यही है ज़िन्दगी का सफर। यहाँ कल क्या हो किसने जाना -किशोर कुमार जी एक मशहूर गाने के बोल इसी बात का ज़िक्र करते हैं। 

सुख और दुःख एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। हर इंसान यह चाहता है कि ज़िन्दगी आसान रहे। परन्तु ऐसा होता नहीं है। और कठिन समय पर विजय पाने वाले को हम सिकंदर कहते हैं।  हमें इस बात का भरोसा रखना है कि हर रात की एक सुबह होती है। कई लोग तो इस रात या कठिन समय का सदुपयोग करने में माहिर होते हैं। covid का समय याद है। हम लोगों ने कितनी नई चीज़ें सीखी। खाना बनाना , छोटे मोटे घर के लिए रिपेयर , कपड़े धोना , कुछ विषय जो कि फायदे का है जैसे डिजिटल मार्केटिंग। 

कठिन समय में तीन चीज़ों का सहारा लेना पड़ता है। पॉजिटिव सोच , खुद पर भरोसा , और कठिन समय का फायदा उठाने का प्रयास। अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति केनेडी ने बेहतरीन एक सलाह दी थी। कठिन समय या क्राइसिस एक छुपा हुआ मौका होता है। क्राइसिस से इस मौके को ढूढ़ना ही एक हिम्मतवाला का पेहचान है। 

आप अगर कई खिलाड़ियों के सफर का अध्यन  करें तब आपको यही नज़र आएगा। इस टी २० विश्वकप के जीतने के बाद हमारे प्रधानमंत्री के साथ टीम के चरचा के कई वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। इस वीडियो आपने हमारे सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ को यह कहते हुए सुना होगा कि उनके ख़राब फॉर्म के कारण उनको अपने आप पर और अपनी काबिलियत पर संदेह होने लगा था। परन्तु फाइनल में उन्हें मैन ऑफ़ द मैच पुरस्कार प्राप्त हुआ। उन्होंने यह समझाया अपने आप को कि मैं कौन हूँ इस अहँकार से बाहर निकलना पड़ा और सफलता प्राप्त हुई उनको। उन्होंने उस कठिन घड़ी में उनके कप्तान और कोच का उन पर भरोसा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। 

जरा सोचिये इसी क्रिकेट खिलाड़ी का विश्व रेकॉर्ड है कठिन स्थिति में बल्लेबाज़ी करके टीम को जीत दिलवाने का। और यही कठिनाई में थे। सफल इंसान कठिनाई का सामना करके सफल होता है तो वह इंसान सिकंदर कहलाता है। G E कंपनी का ग्लोबल चेयरमैन जैक वेल्श ने दो ऐसे निर्णय लिए थे जो कि मैनेजमेंट स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल हो गए थे। 

दोनों दिलचस्प घटनाएँ हैं। पहली घटना में उन्हें एक कंपनी का C E O नियुक्त करना था। दो बेहतरीन उमीदवार थे जिनमे एकेडेमिक्स ,तजुर्बा और कैरियर ट्रैक रेकॉर्ड में कोई फर्क नहीं था। सिवाय एक उमीदवार अपने कैरियर में तीन बार असफलता का सामना कर चुका था। और दूसरे ने कभी असफलता का सामना नहीं किया। जैक वेल्श ने किसको चुना। जो तीन बार असफलता का सामना कर चुका है। क्योंकि उसे असफल हो कर सफल बनने का तजुर्बा है। सफलता और असफलता हमें सीखाता है। अगर हम सीख सके। 

जैक वेल्श का दूसरा निर्णय मैनेजमेंट के शिक्षा में एक मिसाल बन गया है। उनका कहना है कि परफॉरमेंस किसी भी इंसान के वजह से है या उसके बावजूद है इसका समझना आवश्यक है। इस प्रयोग में उन्होंने G E कंपनी के उस C E O को ज़्यादा नंबर और बोनस दिया जिसका बिज़नेस सबसे कठिन समय से गुज़रा है। उनका कहना था कि कंपनी के बाहर की स्तिथि प्रतिकुल या अनुकुल होगा यह किसी के हाथ में नहीं है। परन्तु प्रतिकुल परिस्थिति से जुझकर परफॉर्म करना एक लीडर का परिचय है। 

समय कठिन होने पर निराश मत हो जाईये। हौसला ,धैर्य ,खुद पर विश्वास आपको इस समय से गुज़रने में आपका साथी है। सफलता हासिल होने पर भी विश्लेषण कीजिए सफलता के कारणों का। यही सीख आप को कठिन समय में मदत करती है। और सीखना ही ज़िन्दगी का तजुर्बा है। 

इस महीने शिक्षक दिवस के अवसर पर यही सीखने का वादा अगर हम खुद से कर ले ,तो ज़िन्दगी जीने में सबसे ज़्यादा सुविधा होगी। खुश रहिए क्योंकि दुखी होना सबसे आसान है।  

गुरुवार, 1 अगस्त 2024

 नमस्कार। अगस्त का महीना। साल का दूसरे हाफ का पहला महीना। हमारे देश के लिए स्वतंत्रता दिवस सेलिब्रेट करने का महीना। १९४७ साल में अंग्रेज़ो के जाने के बाद हमारे लीडर का देश के संचालन के बागडोर को संभालना। ऐसे समय को हम अंग्रेजी में ट्रांजीशन के नाम से जानते हैं। यह ज़िन्दगी का एक अहम सत्य है -ट्रांजीशन। जो कि बीते हुए समय को वर्तमान के जरिए भविष्यत के लिए तैयार करता है। यह अनिवार्य है। और इस ट्रांजीशन को मैनेज करना आसान नहीं है। आज का लेख इस ट्रांजीशन को मैनेज करने के विषय में है। 

ट्रांजीशन कई किस्म के होते हैं। जैसे अंग्रेज़ो का चला जाना हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण ट्रांजीशन था। व्यवसाय में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को जिम्मेवारी सौंपना ट्रांजीशन है। बढ़ते हुए बच्चोँ का टीन्स में प्रवेश करना हर इंसान के ज़िन्दगी का सत्य है। स्कूल से कॉलेज ,कॉलेज से नौकरी ,नौकरी से रिटायरमेंट ; अविवाहित से विवाहित, विवाहित से पेरेंट्स बनना -सभी ट्रांजीशन के उदाहरण हैं जिनसे हम सब गुजरते हैं। ट्रांजीशन से गुजरने के लिए तीन चीज़ों का ख्याल रखना अत्यंत आवश्यक है जो कि हर किस्म के ट्रांजीशन के लिए जरूरी है। 

मानसिक तैयारी। ट्रांजीशन एक परिवर्तन का समय है। अक्सर हमें ट्रांजीशन को प्लैन करने का समय मिलता है। कभी कभी अकस्मात घटनाओँ के वजह से नहीं भी मिलता है। उन परिस्थितिओं में मानसिक तैयारी करने का मौका नहीं मिलता है। ऐसे अकस्मात घटनाएं किसी के कण्ट्रोल में नहीं है। इसे स्वीकार कर लेना जरूरी है। परन्तु जहाँ आपको ट्रांजीशन के विषय में अग्रिम जानकारी है ,वहाँ मानसिक तैयारी आवश्यक है। यह तैयारी है छोड़ने और स्वीकार करने की तैयारी। आज को कल से रिप्लेस करना। सबसे पहले अपने दिमाग में। 

स्टार्ट ,स्टॉप ,कंटिन्यू -शुरू करना ,बंद करना ,करते रहना। इस ट्रांजीशन को मैनेज करने के लिए हमें क्या शुरू करना पड़ेगा ,क्या हम करते थे उसे बंद करना पड़ेगा और हम क्या करते थे जिसे बरक़रार रखना पड़ेगा। स्कूल से कॉलेज में दाखिल होते हुए विद्यार्थी के ट्रांजीशन के विषय में सोचिये। पढ़ाई की शुरुआत जब स्कूल में होती है तब हम सब के पास कोई तजुर्बा नहीं होता है ज़िन्दगी का। बहुत से बच्चे स्कूल के शुरू के दिनों में रोतें हैं क्योंकि घर के बाहर कुछ समय रहना हमारे जीवन का अक्सर पहला ट्रांजीशन होता है।  परन्तु हम बहुत आसानी से दूसरे बच्चों के साथ घुल मिल जाते हैं और अधिकतर बच्चे आसानी से दोस्त बन जाते हैं। कॉलेज में ऐसा नहीं होता है।  हम हर किसी का दोस्त नहीं बनते हैं। स्कूल के सख्त डिसिप्लिन के बाद कॉलेज में एक तरह के स्वाधीनता का अनुभव होता है। अगर हम बहक गए तब हमारा ही नुकसान होगा। 

सेल्फ डेवेलपमेंट। ट्रांजीशन एक परिवर्तन है जो कि अक्सर अनिवार्य है। परिवर्तन के लिए खुद को तैयार करना आवश्यक है। मैंने कंप्यूटर के साथ काम करना नौकरी मिलने के बाद शुरू किया। यह मेरे पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रांजीशन था। मुझे कंप्यूटर पर कैसे काम करना पड़ता है सीखना पड़ा। इस सेल्फ डेवेलपमेंट के बिना क्या मैं सफल हो पाता। हर्गिज़ नहीं। परिवर्तन ट्रांजीशन का अहम् हिस्सा है। इसको स्वीकार किये बिना ट्रांजीशन संभव नहीं है। 

आप इस वक़्त अपने जीवन में किस ट्रांजीशन से गुज़र रहें हैं ? अगर मेरा यह लेख आपके इस ट्रांजीशन में सहायता कर सके तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। फेसबुक के माध्यम से जरूर सूचित कीजिएगा। आपको स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं और रक्षा बंधन के लिए भाई बहनों को ढेड़ सारा प्यार। खुश रहिएगा। 

शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

नमस्कार। आज एक विशेष इंसान का जन्मदिन है। हमारे कप्तान कूल का। जिन्होंने पहले टी २० विश्व कप में हमें विजय दिलाया था। १७ साल बाद इस साल हम फिर विजयी हुए हैं। काफी चर्चा हो रही है इस वक़्त इस विजय का। और क्यों नहीं। तीन  दिग्गज खिलाड़ी  और हमारे कोच ने इस विश्व कूप के बाद सन्यास लेने का एलान किया है। 

हम हमारे विजयी टीम को सलाम करते हैं। आज का लेख इन खिलाड़िओं के जीवन से मिले प्रेरणा पर है। हमारे कप्तान कूल के जीवन से हमने कई सीख ली है। पहली सीख है कि किस्मत पर किसी का कण्ट्रोल नहीं है। अतः परिणाम पर फोकस करना व्यर्थ है। प्रयास मेरे हाथ में है। प्रयास कितना और कैसा होगा हमारे अनुशीलन या प्रैक्टिस पर निर्भर करेगा। 

दूसरी सीख है कि कठिन परिस्थितिओं में टीम को आगे से बढ़कर नेतृत्व देना फ़र्ज़ बनता है कप्तान का। २०११ के विश्व कप के फाइनल में उनकी पारी ने हमारे देश के विजय को सुरक्षित किया। और इसके लिए हमारे सबसे खिलाड़ी युवराज के पहले उन्होंने बल्लेबाज़ी की। अन्य कप्तान शायद युवराज को पहले मैदान पर उतरने देते क्योंकि वह उस टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गए थे। मैच के बाद कप्तान ने अपने निर्णय के पीछे का कारण बताया। उनकी समझ बता रही थी कि उन परिस्थितिओं में एक दाहीने हाथ के बल्लेबाज़ की ज़रुरत थी। 

तीसरी सीख यह है कि आपका हर निर्णय सही नहीं होगा। परन्तु गलत होने के डर से ना निर्णय लेना उससे भी ज़्यादा खतरनाक निर्णय है। आईपीएल में उन्होंने ऐसी बात कई बार स्वीकार की है कि उनकी पिच की समझ गलत होने के कारण टॉस जीतने के बाद उन्होंने गलत फैसला लिया। एक लीडर को अपनी गलती स्वीकार करने में कोई सँकोच नहीं होनी चाहिए क्योंकि आखिर वह लीडर भी इंसान है। 

चौथी सीख है कि अच्छे परिणाम का श्रेय टीम को जाता है। हार की ज़िम्मेवारी कप्तान की होती है। आपने शायद ख्याल किया होगा कि कप्तान विजय के बाद ट्रॉफी उठाकर टीम के हातों में सौंप कर गायब हो जाता है। इसकी वजह यह है कि टीवी का कैमेरा उन पर ज़्यादा फोकस करेगा अगर वो मौजूद रहेंगे। इसके लिए टीम पर फोकस घट जाएगा। 

पाँचवी सीख है कि टीम के हित के लिए अगर कोई कठिन निर्णय लेने की ज़रुरत है तो वैसा निर्णय लेना पड़ेगा। इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी कोई आपसी दुश्मनी है वैसे खिलाड़ी से। उन्होंने एक दिवसीय टीम में कई सीनियर खिलाड़ी को जगह नहीं दिया। और उनका कारण भी स्पष्ट था -ये खिलाड़ी फील्डिंग में उतने फुर्तिले नहीं थे जो कि एक दिवसीय मैच जीतने के लिए आवश्यक है। यही सीनियर उनके नेतृत्व में टेस्ट क्रिकेट टीम के नियमित सदस्य बने रहे। 

कप्तान कूल अब धीरे -धीरे कम्पीटीटिव क्रिकेट से अवसर लेने की ओर बढ़ रहें हैं। हमारा विश्वास है कि वह कभी भी टीम के लिए बोझ नहीं बनेगा। एक ऐसे सफल कप्तान को कोई टीम से निकाल नहीं सकता है। परन्तु हमारे कप्तान कूल निर्वाचकों को ऐसी दुविधा से गुजरने नहीं देगा। आपने गौर किया होगा कि उन्होंने आईपीएल टीम का बागडोर सौंप दिया है। अगले आईपीएल के बाद शायद वह अपना अवसर ले लेंगे। उनकी उम्मीद होगी कि नया कप्तान तब तक सेटल हो जाएगा। यह एक जिम्मेवारी का मिसाल है। उनकी आईपीएल टीम यही उनसे आशा करती है। और उनके लिए यही स्वाभाविक है। क्योंकि उनको पता है कि ज़िन्दगी के इस खेल में जो जीता वही सिकंदर होता है। 

गुरुवार, 30 मई 2024

नमस्कार। पलक झपकने से पहले आधा साल गुजर गया। हम जून के महीने में पहुँच गए हैं। इस साल लोकसभा चुनाव के वजह से यह महीना और भी महत्वपूर्ण बन गया है। कई उम्मीदवार खुश होंगे। खुश निराश। वोट के परिणाम से। लोकसभा चुनाव हर पाँच साल में होते हैं। परन्तु विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है हम सबको अपनी जिम्मेवारी का याद दिलाने अपने वातावरण के प्रति। लेकिन हम वातावरण के विषय में क्या करते हैं ? शायद कुछ नहीं। 

विशेषज्ञ रिसर्च के माध्यम से कई सारे आँकड़े पेश कर रहें हैं और चेतावनी दे रहें हैं कि अपने भविष्य के पीढ़ी के लिए एक ऐसा दुनिया छोड़ के जायेंगे जहाँ पर उनको काफी कठिनाईओं का सामना करना पड़ेगा। फिर हमें जरूर कुछ करना चाहिए इस विषय में। 

मैं समझता हूँ कि इस चेतावनी को हमें सीरियसली लेना चाहिए और इसके लिए जो भी संभव है करना चाहिए। इसकी शुरुआत होनी चाहिए अपने घर से। हम अपने घर में कैसा वातावरण बनाए हैं अपनों के लिए। क्या हमारे परिवार के सदस्य खुश हैं ? क्या वह अपना विचार और सोच निडरता के साथ व्यक्त कर सकते हैं ? क्या वह आपकी दी हुई सलाह को स्वीकार करेंगे। अगर आपके परिवार में वातावरण ख़ुशी का है तब आप यह चुनौती के लिए तैयार हैं -अपना और अपने परिवार का कर्तव्य निभाने के लिए जो कि विश्व पर्यावरण दिवस के माध्यम से हम सबको बताया जा रहा है। 

हमें जीने के लिए ऑक्सीजन जरूरी है। हम सब यह जानते हैँ। दूसरी महत्वपूर्ण आवश्यकता है पीने का पानी। वायु और पानी के बिना हम जी नहीं सकते। फिर हमें इन दोनों को भविष्य के पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखना हमारा कर्त्तव्य बनता है। मामला परन्तु संगीन होता जा रहा है। UNICEF का रिसर्च कह है कि दुनिया की दो तिहाई जनसँख्या हर साल एक महीने के लिए भीषण क्राइसिस का सामना करती है पानी ना मिलने के कारन। शायद हम और आप ऐसी कठिनाई का सामना नहीं कर रहें हैं। हम खुश किस्मत है। परन्तु अगला आँकड़ा और भी गंभीर है। 2025 , जी हाँ अगले साल तक दुनिया की आधी जनसँख्या किसी ना किसी तरह का समस्या का सम्मुखीन होगा पानी के अभाव के कारन। और 2040 तक 25 प्रतिशत बच्चे पानी ना मिलने का भयंकर  क्राइसिस का सामना करेंगे। 

इन आंकड़ों को जानने के बाद क्या हमारी जिम्मेवारी बनती है कि हम पानी का संग्रक्षण को अपना कर्तव्य बना लें। हर इंसान अगर पानी बचाएगा तो किसी ना किसी को पानी मिलेगा जिसको पानी आसानी से नहीं मिलता है। पानी के बचत को प्रोत्साहित करने के लिए विदेश में आपको नल का पानी खरीदना परता। जितना आप पानी इस्तेमाल करेंगे उतना आपको पैसा देना पड़ेगा। सोचिये अगर यह नियम हमारे देश में लागू हो जाय तो क्या होगा। हम जो पानी का मूल्य ना समझ कर पानी का नल खुला छोड़ देते हैं , कपड़े धोने के लिए अत्यधिक पानी का इस्तेमाल करते हैं ,इन सब पर हम और सावधानी बरतेंगे। 

इस विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मेरी आपसे केवल एक विनती है। सोच लीजिये कि विदेश के तरह हमारे घर में जो पानी मिलता है उस पर मीटर लग गया है -जैसा कि अभी हमारे घर में बिजली का मीटर लगा हुआ है। जैसे की हम बिजली का बिल कम रखने के लिए बिजली बचाने का सक्रिय प्रयास करते हैं खुद और परिवार के अन्य सदस्योँ को प्रोत्साहित करतें हैं बिजली बचाने के लिए और जरूरत होने पर डांटते भी हैं ,वही हमेँ पानी के बचत के लिए करना पड़ेगा। क्या आप हमसे सहमत हैं ? क्या आप इस योगदान के लिए तैयार हैं ? कहीं भी कोई शंका हो तो याद रखियेगा बच्चोँ के भविष्यत का। 

 

गुरुवार, 2 मई 2024

नमस्कार। मई महीने के भीषण गर्मी में आपका स्वागत। पूरी देश में ऐसी गर्मी बहुत सालों के बाद हम सबको सावधान रहने का आह्वान कर रही है। थोड़ी सी चूक के कारण हम बीमार पर सकते हैं। असल में किसी भी चीज़ का अत्याधिक परिमाण हानिकारक होता है। 

इस सन्दर्भ में अंतर्राष्ट्रीय लेबर दिवस का , जो कि हर साल मई महीने के पहले दिन पर पूरी दुनिया में मनाया जाता है, जिक्र करना आवश्यक है। इतिहास बताता है कि १ मई १८८६ में अमेरिका में फैक्ट्री के लेबर ने दिन में आठ घंटे के काम के माँग में हड़ताल किया था।  तब से पहले मई के दिन को अंतर्राष्ट्रीय लेबर दिवस के हैसियत से मनाया जाता है। इन कर्मचारियों ने शोषण के विरुद्ध और अपने अधिकार के लिए यह आंदोलन किया था। 

 यही शोषण और अधिकार के विषय में आज का लेख आपके लिए। आपके घर में अगर कोई नौकर काम करता है ,आप उनके अधिकार और कितने घंटे काम करते हैं उसके विषय में कितना ख्याल रखते हैं। मैंने ऐसे परिवार देखें हैं जहाँ घर का नौकर सुबह पाँच बजे से रात के बारह बजे तक ,बिना किसी विश्राम के काम करता है। ऐसे के परिवार को मैंने पूछा था कि ऐसा क्यों होता है। जवाब में मुझे दो बातें बताई गई। छोटू (नौकर का नाम ) एकदम बचपन में अनाथ हो गया था। इस परिवार ने उसे रहने का जगह दिया। और जब से वह काम करने लायक हो गया , नौकर बन गया। अभी सुबह दादी माँ की सेवा और मदत करता है और रात बारह बजे तक बड़े भैया के घर आने का इंतेज़ार करता है। मजे की बात यह है कि छोटू खुश है। वह इस बात का आभारी है कि इस परिवार ने उसको रोटी ,कपड़ा और छत दिया जब उसे ज़रुरत थी। चूँकि उसका कोई परिवार और रिश्तेदार नहीं है , वह घर जाने के लिए छुट्टी भी नहीं लेता है। वह इस परिवार के प्रति वफादार है। और इसी कारण वह शोषित है। यह परिवार उसको करीब १९ घंटे हर दिन काम करवाती है और यह नहीं महसूस करती है कि वह छोटू का शोषण कर रही है। यह  उनका अधिकार बनता है क्यूँकि छोटू को ऐसे काम करने में कोई आपत्ति नहीं है। मुझे इस विषय में इससे अधिक पूछताछ करने से साफ मना कर दिया गया। 

दूसरी बात मुझे याद है जिस दिन मैं शादी करने जा रहा था। बारात निकलने वाली थी और मैंने देखा कि मेरी माँ और मेरी एक चाची गभीर वार्तालाप में जूझे हुए थे। रूम के बाहर से यह समझ में आ रहा था कि माँ को चाची के साथ किसी विषय पर मतभेद हो रहा था। बारात को देर ना हो जाय यह सोच कर दोनों रूम से बाहर आए और हमने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया और शादी करने के लिए रवाना हो गए। शादी के कई दिनों बाद मैंने माँ से उस दिन का जिक्र किया और पूछा कि क्या हो रहा था। माँ ने कहा वह एक परंपरा के ख़िलाफ़ प्रतिवाद कर रही थी। प्रथा के अनुसार बारात के साथ निकलने के पहले मुझे माँ के गोद में बैठना था और माँ मुझे बोलेगी "जा बेटा शादी करके मेरे लिए दासी ले कर आ "-मेरी माँ ने इस प्रथा को करने से इंकार किया जिसके कारण वह चाची के साथ बहस कर रही थी। कहीं हमारे रीती ,रिवाज़ और परंपरा प्राचीन ख्यालों में पराधीन है जिसके कारण ऐसे शोषण को एक सामाजिक प्रोत्साहन मिल जाता है। और इसी के कारण साँस भी कभी बहु थी इतना चर्चित और पॉपुलर सीरियल हुआ करती थी। 

आपसे हमारी एक ही विनती है। दिल पर हाथ रख कर पूछिए। क्या आप जाने या अनजाने में किसी का शोषण कर रहे हैं ? शोषण शारीरिक या मानसिक या दोनों हो सकता है। अगर ऐसा लगे तो ऐसा मत कीजिए। हमारे वीर स्वाधीनता संग्रामी ने हमें अंग्रेज़ो के शोषण से आज़ादी दिलवाई है। उसका सम्मान कीजिये। क्योंकि कोई भी इंसान शोषण पसंद नहीं करता है। आप भी नहीं। 

सावधान रहिए और गर्मी से जूझने की सतर्कता आजमाइए। फिर मिलेंगे। 


शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

नमस्कार। आप सब को वित्तीय नए साल के लिए मुबारक। व्यवसाय ,नौकरी ,स्कूल ,कॉलेज सब के लिए नई शुरुआत। अप्रैल का महीना। एक ऐसा महीना जो शुरू होता है अपने ही अंदाज़ में -इस महीने का पहला दिन अप्रैल fools का दिन होता है। यह प्रथा कब से शुरू हुआ है। मैंने रिसर्च किया। पता चला कोई निश्चित शुरुआत का इतिहास नहीं है। परन्तु यह प्रथा १७वीं शताब्दी से प्रचलित है। यह एक हल्का फुल्का मज़ाक और मस्ती का प्रयास है अपनों के साथ। आनंद लेना है बिना दिल को ठेस पहुँचाकर। आपने क्या किसी को पहले अप्रैल के दिन किसी को fool बनाया है। कैसा रहा आपका तजुर्बा। 

परन्तु अब हमें fools बनने से सतर्क रहना पड़ेगा। आपने जरूर सुना और पढ़ा होगा कैसे लोग तरह तरह के धोके का शिकार बन रहें हैं। मेरे एक अभिन्न मित्र को मेसेज और कॉल आया कि उसने अपने बिजली की बिल का पेमेंट नहीं किया है। अगर अगले एक घंटे में पे नहीं करेगा तो बिजली की लाइन कट कर दिया जायेगा और उसको फिर से चालू करने के लिए बहुत पैसे लगेंगे और पाँच से सात दिन का समय लगेगा। सोचिए आज के ज़माने में पाँच से सात दिन बिना बिजली का बिताना। मेरे दोस्त ने भेजे हुए लिंक के जरिए पे करने की कोशिश की। करीब दो लाख रुपये उनके बैंक एकाउंट से निकल गया। करीब छः महीने गुज़र गए हैं। अभी भी पैसा वापस नहीं मिला है। इस उदाहरण से हम क्या सीख सकते हैं। जो ऐसा धांधली कर रहें हैं , उनके पास हमारे कई डिटेल्स हैं। इनका तकनीक है कि सोचने का समय ना देकर एक डर पैदा करना जो कि हम नहीं चाहते हैं। ऐसे समय पर फ़ोन करो जब कि इंसान ऐसे किसी काम में उलझा हो कि उसके पास समय ज़्यादा नहीं है सोचने का या पूछताछ करने का। जैसा की मेरे दोस्त के साथ हुआ। जो कि एक बड़ी कंपनी में एक महत्वपूर्ण जिम्मेवारी वाले पोजीशन पर है। मेरे मित्र ने मुझे यह बताया कि उन्होंने बिल पे किया था और उनको संदेह हुआ।  परन्तु  उसने आप के वजाय उस फ़ोन करने वाले के बातों पर विश्वास किया। सबसे बड़ी गलती जो उन्होंने की -बिजली के लाइन के कट जाने के धमकी से डर गया। और यहीं पर उसने सबसे बड़ी गलती कर दी। आज के ज़माने में कोई भी सर्विस प्रोवाइडर अपने वेबसाइट पर लिख देता है अपने टर्म्स और कंडीशंस ऐसे परिस्थितिओं के लिए। जैसे कि अगर आप समय पर बिजली का बिल ना भरो तो जुर्माना क्या है। अगर यह जानकारी मेरे दोस्त के पास होती तब वह fool नहीं बनता। आप सबसे निवेदन है कि जो भी सर्विस का आप ग्राहक हो उनका टर्म्स एंड कंडीशंस ध्यान से पढ़ो और समझो। 

इसके अलावा मेरा विश्लेषण इस  निष्कर्ष पर पहुँचा है कि अधिक से अधिक लोग जो कि fool बनाए गए हैं ,अपने लालच का शिकार हैं। आपको एक लिंक मिला कि आपको एक लौटरी लगी है एक करोड़ रुपये का। बस क्लिक कीजिये और अपने बैंक एकाउंट का डिटेल्स दीजिए पैसा आपके एकाउंट में आ जायेगा। यह आपको लिंक मिलने के आधे घंटे के अंदर करना है नहीं तो किसी और को लौटरी लग जायेगा। बस आप लिंक पर क्लिक करो और आपका बैंक एकाउंट खाली हो जाएगा। 

मुझे कभी -कभी फ़ोन मिलता है कि मेरा एक पुराना इन्शुरन्स पॉलिसी में काफी पैसा जमा हो गया है। जो कि न उठाने पर फिर कभी नहीं मिलेगा। अगर मैं अपना बैंक एकाउंट का डिटेल्स दूँ तो पैसे मुझे मिल जाएंगे। जरा सोचिये अगर पैसा मेरा है तब किसी भी नियम के अधीन उसे कोई नहीं ले सकता है। ऐसी जानकारी हमें मदत करती है fool नहीं बनने से। 

एक और उदाहरण देखिये। कई गरीब लोग जल्दी ,ज़्यादा पैसा कमाने के लिए चिट फंड में अपना पैसा निवेष करते हैं। कुछ महीनों में पैसा दुगना हो जाएगा इस आश्वासन के कारण। शुरू में जब उनका निवेष थोड़ा होता ,तब उनको दुगना पैसा वापस मिलता है। यह एक तरीका है लालच को प्रोत्साहित करने का। फिर एक समय आता है जब पूरा पैसा डूब जाता है। ऐसा धाँधली हर राज्य में होता है। यह भी जानकारी के अभाव के लिए होता है। कोई भी अगर दस से बारह प्रतिशत से ज़्यादा बढ़त का वादा करता है तो सावधान रहिये। जितना कम समय में आपके पैसों को बढ़ाने का आश्वाशन दे ,उतना ही सतर्क हो जाइए। 

दुनिया जितना डिजिटल बन जाएगी उतना ही ऐसे क्राइम बढ़ेंगे। बुजुर्गों का मदत कीजिए। उनको ज़्यादा टारगेट करते हैं ऐसे धोकेबाज। लालच और डर के फंदे में पैर ना रखिये। जानकारी बढ़ाइए इनसे दूर रहने के लिए। ताकि आपको कोई fool ना बना सके। 

इस साल गर्मी का पूर्वाभास अच्छा नहीं है। सावधान रहिये। अपना और अपनों का ख्याल रखिये। फिर मिलेंगे अगले महीने। 

शुक्रवार, 1 मार्च 2024

नमस्कार। होली के महीने में आप सब का स्वागत। वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना। टैक्स प्लैनिंग का महीना। कई वयवसाय के लिए वाणिज्य का सबसे उम्दा महीना। विद्यार्थी के लिए परीक्षा का समय। नौकरी करने वाले के लिए वार्षिक परफॉरमेंस का समय। बहुत ही व्यस्त महीना। हर किसी के लिए। दो किस्म का प्लॅनिंग चलता है। वर्ष को धमाके के साथ समाप्त करने का। और नए साल का तगड़ा शुरुआत करने की प्रस्तुति। 

मैं समझता हूँ कि मार्च का महीना आगे के बारह महीनों के प्लानिंग में इस्तेमाल करना चाहिए। किस तरह का प्लॅनिंग। मन ,धन, चैन ,प्रगति और स्वास्थ का। शायद आप हमसे सहमत होंगे अगर मैं यह कहूँ कि इन्सान का मन ही इंसान का सबसे बड़ा मित्र और सबसे कठिन शत्रु होता है। हम अपने मन को खुश रखे तो ज़िन्दगी और आसान एवं आनंदमय बन जाता है। थोड़ा सोचिये और खुद के साथ बातचीत कीजिये। गत बारह महीनें में आपके ख़ुशी के क्षण और उनकी वजह और उदासी के पल और उदासी के कारन। मैंने अपने लिए यह विश्लेषण किया है। और दो -तीन बातें मेरे सामने उभर कर सामने आई है। पहली बात बहुत सारे उदासी का कारन मैं खुद हूँ। मैं दूसरे के तरक्की पर उदास हूँ। क्योँ। क्योंकि मुझे लगता है वह इंसान उस तरक्की के काबिल नहीं है। वह लकी या खुश किसमत है। मैं कौन होता हूँ इस निष्कर्ष  पर पहुँचने का। इस वित्तीय वर्ष में हमारी वार्षिक आय उम्मीद से काफी कम रही। इस वजह से मैं उदास हूँ। परन्तु जब मैंने अपने जैसे औरों से बातचीत की तब मुझे यह महसूस हुआ कि मैंने औरों की अपेक्षा बेहतर किया है। थोड़ी ख़ुशी हुई। हमारा मानना है कि हम औरों के साथ अपना तुलना करके सबसे ज़्यादा असंतुष्ट होते हैं। यह एक व्यर्थ प्रयास है। इससे दूर रहिए। 

धन केवल तनख्वा या मासिक रोजगार ही नहीं है। कैसे हम अपने धन की वृद्धि करेंगे इसके लिए प्लानिंग करना आवश्यक होता है। कुछ इंसान केवल आज के लिए जीते हैं। उनका कहना है कि कल किसने देखा है। आज जी भर कर जीयो। मुझे ऐसे सोच से कोई असुविधा नहीं है। केवल इतना ही कहना है कि कल क्या होगा किसको पता परंतु कल के सफर के लिए रहना है तैयार। इसी में होशियारी है। ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसने अपनी ज़िन्दगी में उतार चढ़ाओ नहीं देखें हो। इसी लिए हमारे पूर्वज कन्या के विवाह के समय सोने के अलंकार को स्त्रीधन का दर्जा देते थे जिसका मूल्य सदा बढ़ता रहेगा और कठिन समय में पैसों की जरूरत को मिटा सकता है। अभी हमारे देश में निवेश और पैसों को बढ़ाने के कई तरीके हैं। केवल एकमात्र प्रलोभन से दूर रहना जरूरी है -तुरंत पैसा बढ़ाने के वादे करने वाले उपाय का। फिर तो यह जुआ का दर्जा ले लेता है। और हम सबको पता है कि जुआ इंसान को  सर्वनाश कर सकता है। 

चैन ,प्रगति और स्वास्थ का एक अनदेखा बंधन है। प्रगति के लिए बेचैनी आवश्यक है। परन्तु हद से ज्यादा बेचैनी स्वास्थ बिगाड़ सकती है। संतुलन बनाए रखना जरूरी है। एकमात्र उपाय है अपने प्रयास पर फोकस करना। परिणाम पर नहीं। क्योंकि परिणाम पर किसी का कण्ट्रोल नहीं है। परन्तु अपने प्रयास पर हर किसी का कण्ट्रोल है। प्रयास का क्वांटिटी और क्वालिटी दोनो पर नज़र रखना आवश्यक है। उदाहरण स्वरुप अगर डॉक्टर ने मुझे वजन घटाने के लिए हफ्ते में पाँच दिन ४५ मिनट का द्रुत वाक करने का निर्देश दिया है तो पाँच दिन ४५ मिनट चलना प्रयास का क्वांटिटी है। ४५ मिनट में हम कितना किलोमीटर चल रहें हैं प्रयास का क्वालिटी है। जितना ज़्यादा किलोमीटर चलेंगे उतना ही प्रयास का क्वालिटी बेहतर है। इस सन्दर्भ में आखरी बात उन अभिभावकों के लिए है जो कि अपने बच्चों के परीक्षा के रिजल्ट के लिए अपनों का और बच्चे का चैन न्योछावर कर देते हैं। अगर आपके टेंशन करने से रिजल्ट्स बेहतर हो जाएंगे तो फिर बच्चे को पढ़ कर परीक्षा की तैयारी नहीं करनी परती। आपका टेंशन ही उनके रिजल्ट्स बेहतरीन कर दिए होते। परन्तु ऐसा कभी नहीं होता है। बच्चे को प्रोत्साहित कीजिए पढ़ाई का आनंद लेने का। बच्चा सीखेगा और यही उसका ज़िन्दगी का सम्पद बनने वाला है। 

आपका यह वित्तीय वर्ष सफलता के साथ संपन हो यही दुआ रहेगी हमारी। अगला साल और बेहतर हो यही हमारी आशा रहेगी। फिर मिलेंगे अगले वित्तीय वर्ष में। खुश रहिये। 

शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2024

नमस्कार। २०२४ का दूसरा महीना। वित्तीय वर्ष के अंत से दो महीने दूर। फ़रवरी का महीना। वैलेंटाइन्स का महीना। रोमांस का महीना। रोमांस क्या केवल युवा पीढ़ी के लिए है। या हर किसी के लिए है। मेरा मानना है कि रोमांस ज़िन्दगी के लिए है। रोमांस के बिना ज़िन्दगी अधूरी है। सहमत हैं आप। या उत्सुक हैं मेरे इस धमाकेदार ऐलान का सन्दर्भ समझने के लिए। यही आज के लेख का मूल  विषय है। 

रोमांस का मतलब क्या है। प्यार। मोहब्बत। या और कुछ। जब आप किसी से रोमांस करते हो तो क्या होता है। आप उसके साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय बिताने की कोशिश करते हो। आप उनको और बेहतर समझने का निरंतर प्रयास करते हो। क्या अच्छा लगता है क्या बुरा लगता है उसका ध्यान रखते हो और चेष्टा रहती है कि हम वह करें जो कि उन्हें अच्छा लगता है। सबसे बड़ी बात है कि रोमांस के लिए किया हुआ मेहनत कभी थकान नहीं महसूस कराती है। हमें आनंद मिलता है ऐसे मेहनत का। हम उस क्षण के लिए सोचते हैं और एक उज्वल और आनंदमय भविष्य का उम्मीद रखते हैं। 

हमारा क्रिकेट के लिए पागल देश है। हर किसी का एक या अधिक फेवरिट क्रिकेटर होता है। ऐसे क्रिकेटर के सफलता का राज़ क्या है। क्रिकेट के साथ रोमांस। घंटों अभ्यास गर्मी ,बरसात ,ठंड के मौसम में। हाई प्रेशर मैच में परफॉरमेंस का आनंद। निरंतर खुद को ,फैंस को और दर्शकों को और आनंद देने के लिए मेहनत और फोकस। यह है खेल के साथ रोमांस। 

बॉलीवुड के किरदार -हीरो ,हीरोइन ,विलेन -सब का फैन होता है। यह लोग हमें परदे पर दिखते हैं। परन्तु एक सफल फिल्म के लिए अनगिनत ऐसे लोग काम करते हैं जिन्हें हम दर्शक नहीं देख पाते हैं। उनके सम्मिलित प्रयास के बिना फिल्म नहीं बन सकती है। ऐसे लोग अपने पेशे के साथ रोमांस करते हैं यह जान कर भी कि फिल्म का श्रेय अभिनेता और डायरेक्टर को प्राप्त होगा। दर्शक उनके काम के साथ रोमांस को नहीं समझ पायेंगे। परंतु फिल्म इंडस्ट्री में उनका कदर बढ़ता है। 

आप जो भी कर रहे हो उसके साथ रोमांस करो। विद्यार्थी किसी भी सब्जेक्ट के साथ , नौकरी या बिज़नेस वाले अपने पेशे के साथ। घर में रहने वाले किसी भी विषय के साथ जिससे आपको और परिवार को फायदा हो। मेरे कुछ मित्र रिटायर होने के बाद वेद ,पुराण ,गीता ,रामायण या महाभारत को समझने के लिए इन के साथ रोमांस में डूब गए हैं। 

आपको केवल यह निर्णय करना है कि आप किसके साथ रोमांस करना चाहते हो। यह पहला कदम है आपके रोमांस के लिए। फिर रोमांस में डूब जाईये और ज़िन्दगी का और भी आनंद लीजिये। हैप्पी वैलेंटाइन्स डे। खुश रहिए। 

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

Happy New Year

नमस्कार। २०२४ के लिए हमारी शुभकामनाएँ। हैप्पी न्यू ईयर। हम हर किसी को नए साल के शुरुआत में  हैप्पी न्यू ईयर कह कर ऊनके लिए हैप्पी होने का दुआ करते हैं। आज का लेख इसी सन्दर्भ में है। 

हम खुद चाहते हैं कि हम हैप्पी रहें और हमारे अपने भी हैप्पी रहें। परन्तु हमने कभी यह सोचा है कि हमारा हैप्पीनेस का मापदंड क्या है और हम कैसे अपना हैप्पीनेस बढ़ा सकते हैं ? आपने कभी सोचा है इस विषय पर अपने लिए ? क्या निष्कर्ष रहा आपका ,खुद के लिए ? आपने क्या कभी अपनों के लिए यही प्रश्न किया है ? अपने जीवन साथी को क्या हैप्पी बनाता है ? शायद आपने उतनी गहराई के साथ सोचा होगा जैसा कि आप इस वक़्त सोच रहे होगे ,इस लेख को पढ़ते वक़्त। 

हैप्पीनेस दो तरह के होते हैं -एक जो कि अप्रत्याशित है और दूसरा जो कि परिकल्पित या प्लैन्ड है। उदहारण स्वरुप आप चाहते हैं कि आपका बच्चा, जो कि पढ़ाई में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं रखता है ,परीक्षा में अच्छे मार्क्स लेकर आए। सहज प्रश्नपत्र होने की वजह से अगर उसे अच्छे मार्क्स मिल जाए तो आप हैप्पी हो जायेंगे। यह अप्रत्याशित हैप्पीनेस का एक नमूना है। एक और उदाहरण -आप अपना वज़न कम करना चाहते हो।  कुछ नहीं करने के बावजूद आपका वज़न घट जाता है। आप हैप्पी हो जाओगे। अप्रत्याशित हैप्पीनेस। एक मात्र असुविधा है कि इस हैप्पीनेस पर आपका कोई कण्ट्रोल नहीं है। आप इसको दोहरा नहीं सकते हो। आपको अच्छे समय का इंतज़ार करना पड़ेगा। हैप्पी होने के लिए। 

परिकल्पित हैप्पीनेस के लिए यह समझना पड़ेगा कि मेरा हैप्पीनेस कहाँ छुपा है। मेरा तजुर्बा बताता है कि हम खुद के साथ इस विषय पर सोचते नहीं हैं। कुछ ऊपरी अनुभूति हमें खुश करती है। जैसा कि मैं चूँकि खाने का शौक़ीन हूँ ,अच्छा खाना मुझे खुश कर देता है। यह ख़ुशी महत्वपूर्ण और जरूरी है। परन्तु जिस  ख़ुशी को समझने के लिए और गहराई से सोचना जरूरी है ,उस पर सोच विचार करना जरूरी है। मुझे ख़ुशी मिलती है जब मैं दूसरों को प्रोत्साहित कर पाता हूँ अपने सोच के माध्यम से। यह उपलब्धि मुझे तब हुई जब आप जैसे कई पाठक मेरे साथ फेसबुक के माध्यम से मेरे साथ जुड़ने लगे , मुझे प्रश्न पूछने लगे अपने कैरियर या दुविधा के विषय में। इस लिए मैं हर महीने कोशिश करता हूँ नए सोच के साथ अपने लेख को पेश करने का। 

अपनों के हैप्पीनेस के विषय में हम अक्सर एक गलती कर बैठते हैं। हम अपने हैप्पीनेस को अपनों का हैप्पीनेस समझ बैठते हैं। कई अभिवावक अपने बच्चों को गाना सीखने के लिए मजबूर करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि गाना सीखने से बच्चे को दूसरे बच्चों के तुलना में आगे रहने में सहायता होगा और उनको अपने बच्चे पर और गर्व होगा। परन्तु बच्चा शायद गाना सीखने में दिलचस्पी ना रखता हो। मजबूरी के कारण वह गाना सीखने की कोशिश करता है। ताकि उसके अभिवावक नाराज ना हो। यह हैप्पीनेस का गलत नमूना है। 

मेरा मानना है कि हमें अपने लिए हैप्पीनेस के लिए ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिसके कारन कोई और दुखी हो जाए। यही हैप्पीनेस का पहला नियम है। परन्तु हैप्पीनेस का मूल मंत्र क्या है ? हाल में एक हिंदी सिनेमा में मुख्य किरदार ने एक बेमिसाल डायलाग बोला है -हैप्पीनेस इस अ डिसिशन -अर्थार्थ हमारी ख़ुशी हमारा डिसिशन है। और किसी का नहीं। खुश रहिए। हैप्पी न्यू ईयर।