"मेरे करण अर्जून ज़रूर आएँगे। " एक लाचार माँ की उम्मीद एक हिट मूवी का सुपरहिट डॉयलोग। फिर यही फिल्म करीब ४० सालों के बाद फिर मूवी हॉल में दिखाया जायेगा। प्रोडूसर की उम्मीद कि दर्शकों को दुबारा या नयी पीढ़ी को इस फिल्म को देखने की इच्छा होगी।
उम्मीद पर ही ज़िन्दगी टिकी हुई है। सबसे अहम् बात यह होती है कि उम्मीद पॉजिटिव सोच को प्रोत्साहित करती है। हर इंसान जीतने की उम्मीद करता है ,हारने का नहीं। कोई उम्मीद के साथ प्रार्थना करता है ,कोई प्रयास। जब हमारी उम्मीद किसी और के प्रयास पर निर्भर है तब हम प्रार्थना करते हैं। जैसे कोई बीमार होता है तो हमें डॉक्टर पर भरोसा करना पड़ता और हमारी प्रार्थना रहती है की डॉक्टर बीमारी पर विजय हासिल करेगा। परन्तु परीक्षार्थी को परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए उम्मीद के साथ मेहनत करनी पड़ती है।
अगर आप किसी भी टीम को नेतृत्व प्रदान कर रहे हो , आपकी उम्मीद पर पूरी टीम का मनोबल टिका होगा। इसीलिए आपकी जिम्मेवारी कहीं अधिक होता है टीम और ख़ुद के लिए। उम्मीद के लिए खुद पर और टीम पर विश्वास होना और रखना जरूरी है। विश्वास और काबिलियत उम्मीद का भीत होते हैं। किसी भी मकान के तरह मजबूत भीत जैसे मकान को मजबूत बनाती है ,विश्वास , काबिलियत और हौसला उम्मीद को मजबूत बनाती है।
इसका तात्पर्य यह नहीं कि हर उम्मीद पर सफल होंगे। असफलता के साथ जूझना हम सब को सीखना पड़ेगा। ज़िन्दगी में हम कभी भी असफल नहीं होंगे ,इस उम्मीद के साथ जीना ही मूर्खता है। असफल होने पर भी हमारा मनोबल कमज़ोर नहीं पड़ेगा यह उम्मीद करना ज़िन्दगी को जीने में मदत करता है।
विज्ञान और टेक्नोलॉजी निरंतर गति से आगे बढ़ रहें हैं। इस वजह से हमारी ज़िन्दगी बेहतर बनती जा रही है। कई बिमारिओं के इलाज में विज्ञान ने नई उम्मीद को जन्म दिया है। हमारे देश में अभी दुनिया की हर चीज़ मिलती है। और हमारी युवा पीढ़ी की सफलता हर क्षेत्र में हमारी उम्मीद बढ़ाती है कि हमारा भविष्यत सुरक्षित है।
मेरा विश्वास और मानना है कि हमारी ज़िन्दगी सीमीत है। परंतु हम अपनी ज़िन्दगी को असीमित ढंग से जी सकते हैं। केवल इतना ही ख्याल रखना होगा कि हमारे आनंद किसी और के दुःख का कारण ना बन जाए। अपनी ज़िन्दगी अपने ढंग से जीने की उम्मीद ही हमारी ज़िन्दगी का मकसद होना चाहिए। क्योंकि इसी उम्मीद पर यह दुनिया टिकी हुई है।