नमस्कार। बारिश का मौसम इस बार जल्दी आ गया है। यह एक अच्छी खबर है। बारिश का आनंद ही कुछ अलग होता है। परन्तु बारिश के कारण यातायात में कभी -कभी असुविधा होती है। खास कर रास्ते में पानी जम जाने पर। मोटर गाड़ियां अक्सर ठप पर जाती है जिसके कारण वाहन चलाचल में बाधा पहुँचती है। इस समय साइकिल एक असरदार सवारी है।
३ जून वर्ल्ड बाइसिकल दिवस के हैसियत से मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संस्था ने मई २०२२ में इसका एलान किया। बाइसिकल एक सस्ता ,टिकाऊ ,मजबूत और वातावरण सहायक सफर साथी है जिसका प्रयोग और बढ़ना चाहिए। पश्चिमी देशों में इसका प्रयोग और बढ़ रहा है। बाइसिकल एक लिए अलग ट्रैक बना रहता है। लोग बाइसिकल का प्रयोग स्वास्थ्य चर्चा के लिए भी प्रयोग करते हैं।
आप क्या बाइसिकल चला सकते हैं ? यह एक ऐसा सीख है जो कि हम कभी नहीं भूलते हैं। परन्तु आप को बाइसिकल सीखने का प्रयास याद है ? निर्भर करता है कि आपने किस उम्र में सीखा है। हम उस सीखने के सफर का चर्चा करेंगे। क्योंकि उस सफर से भी हम कुछ सीख सकते हैं।
बचपन में अगर आपने बाइसिकल चलाना सीखा होगा तो शायद आपने छोटे बाइसिकल पर सीखा होगा। छोटे बाइसिकल में दो पहिए पीछे के चक्के के साथ लगे रहते थे ताकि बैलेंस बरक़रार रहे। पहली सीख होती है पडेल चलाने की सीख ,बिना बैलेंस के परवाह किये और बिना गिरने के डर के साथ। यह पहला कदम का चयन ज़िन्दगी में कुछ भी सीखने के लिए अति आवश्यक है। चोट लगने का डर दिमाग से ना निकलने से कोई भी पडेल करना नहीं सीख सकता है।
दूसरी बात है प्रोत्साहन। सीखने वाले को प्रोत्साहित करना सीखाने वाले की जिम्मेवारी बनती है। प्रोत्साहन जरूरी होता सीखने वाले को सीखने का प्रयास बढ़ाने के लिए। कोरोना के कारण लॉकडाउन के समय हमारे जैसे कई लोगों ने पहली बार खाना बनाने का प्रयास किया। परिवार वालों ने खाने का सराहना करके हमें प्रोत्साहित किया। कुछ फीडबैक भी मिला -टेस्ट बढ़िया है ,नमक थोड़ा ज़्यादा है। अगली बार ख्याल रखना। ऐसा फीडबैक भी आवश्यक है सीखने के लिए। इसे हम constructive फीडबैक कहते हैं। जो कि आगे बढ़ने के लिए सुझाव देता है ,बिना डर पैदा किये हुए।
कुछ समय के प्रयास और प्रैक्टिस के बाद पेडल चलाना स्वाभाविक हो जाता है। पेडल करने का आनंद मिलने लगता है और पेडल करने के लिए सोचना नहीं पड़ता है। यह अभ्यास का नतीजा है। इसके बाद बैलेंस के लिए पहिए निकाल दिए जाते हैं। बैलेंस बनाए रखने के लिए कोई पीछे से बाइसिकल को पकड़ता है। फिर एक समय पर अचानक यह वक़्ति बाइसिकल को छोड़ देता। कुछ दूर तक सीखने वाला बाइसिकल चला लेता है। थोड़ा वक़्त लगता है यह महसूस करने में हम बिना सहारा बाइसिकल चला पा रहें हैं। यह अनुभूति एक विजय का एहसास देता है। इस ख़ुशी में हम कभी लड़खड़ा कर गिर भी जाते हैं। परन्तु हम तुरंत उठ जाते हैं और फिर बाइसिकल चलाने लगते हैं।
ज़िन्दगी में कुछ भी सीखने के लिए प्रयास ,धैर्य और मार्ग दर्शन का कोई विकल्प नहीं होता है। सीखने का प्रोसेस समझना और फॉलो करना जरूरी है। गिरने का डर या असफलता का चिंता सीखने के लिए दिमाग में बाधा सृष्टि करता है। बैलेंस हो जाने पर सीखना बरक़रार रखना जरूरी है। किसी भी सीख को आदत में बदलने का एकमात्र उपाय है निरंतर प्रयोग सीख का।
बाइसिकल चलाना सीख जाने पर अपना खुद पर विश्वास बढ़ जाता है। इसे हम ज़िन्दगी का आवश्यक कौशल मानते हैं। इस कौशल को सीखने के लिए कोई उम्र का सीमा नहीं होता है। अगर आप बाइसिकल चलाना नहीं जानते हैं तो सीख लीजिये। अपने ज़िन्दगी से और आनंद लीजिये। स्वस्थ और सावधान रहिये क्योंकि कोरोना फिर खबर में है। बाइसिकल कोरोना के समय सबसे सुरक्षित वाहन था।