बुधवार, 28 जून 2023

नमस्कार। इस साल के छह महीने गुज़र गए। आधा समय चला गया। आपने इन महीनों में क्या हासिल किया है ?वक़्त ऐसे ही बीत जाता है। अचानक हमें महसूस होता है कि वक़्त गुज़र गया परन्तु हमने कुछ नहीं किया है और पश्चाताप करते हैं। इससे कोई फायदा नहीं होता है। हमें इस वक़्त का फायदा उठाना जरूरी है। इसके लिए निर्णय लेने में हिचकिचाने से मौका हाथ से निकल जाता है। और इसी में हारने का दुःख या जीतने का आनंद होता है। शायद आप २०११ साल में मुंबई में आयोजित विश्व कप क्रिकेट के फाइनल मुक़ाबले में भारत और श्री लंका के मैच को नहीं भूल गए हैं। हमारे कप्तान कूल ने बैटिंग क्रम बदल कर हमें जीत हासिल करने में मदत की। इसके विषय उन्होंने अपने निर्णय के पीछे का कारण भी बताया है। 

आज का लेख हमारे कप्तान कूल के नेतृत्व के विषय में है। पहली वजह इस विषय का है ७ जुलाई -हमारे कप्तान का जन्मदिन। बधाई हो आपको। स्वस्थ रहें और मार्ग दर्शक बने रहें हम सब का। दूसरा कारण इस विषय के चयन के पीछे है उनका इस साल आई पी एल में अपने टीम को चैंपियन बनाना। उनकी टीम को किसी भी क्रिकेट के पंडित ने टूर्नामेंट के शुरू में फेवरिट का तक्मा नहीं दिया क्योंकि उनकी टीम उतनी मजबूत नहीं थी। और इसी वजह से उनकी टीम के इस जीत पर हम सब आश्चर्यचकित रह गए। 

क्या गुण हैं हमारे कप्तान कूल के जो उन्हें इतना सफलता दिलाता है। मुझे पता है कि ऐसी चर्चा काफी हुई है। मैंने भी इस विषय पर लिखा है। फिर इस बार क्या नया है। इस लेख में मैं तीन  नए गुण का ज़िक्र करूँगा जो शायद आप पहली बार सुनोगे। 

उनकी मुस्कान -हमारे कप्तान कूल के होठों पर एक मुस्कान हमेशा मौजूद होता है। इस मुस्कान का असर उनके टीम पर और उनके साथ जो जुड़ते हैं उन पर एक मोह बन जाता है। एक इंसान कब ऐसा कर सकता है। तभी जब वह खुद अंदर से विचलित नहीं होता है। और खेल के मैदान में किसी भी खिलाड़ी का सबसे ज़्यादा टेंशन किस विषय का होता है -खेल में हार जाने का। जो भी इंसान इस बात से समझौता कर ले कि किसी भी खेल में हार और जीत एक ही सिक्के के दो पहलु हैं ,वही हार से कभी नहीं डरेगा। और इसी डर के दूर होने पर एक सुकून आता है , अंदर से , जो कि खिलाड़ी को और लीडर की हैसियत से टीम को रिलैक्स करने में मदत करता है। टेंशन करने से परफॉरमेंस ख़राब होने का संभावना बढ़ जाता है। परिणाम पर किसी का कंट्रोल नहीं है। अपने मेहनत पर १०० प्रतिशत कण्ट्रोल है। कप्तान कूल खुद और अपने टीम को मेहनत पर ही फोकस करने पर मजबूर करता है।  

अपने निर्णय पर विश्वास -चाहे परिणाम कुछ भी हो। इस साल आई पी एल के एक मैच में उन्होंने टॉस जीतने के बाद पहले बैटिंग करने का निर्णय लिया। यह मैच उनकी टीम बुरी तरह से हार गई। मैच के अंत में वही मुस्कान और कमेंटेटर ने जब पूछा कि शायद पहले बैटिंग करने का निर्णय सही नहीं था।  इस बात का कोई दुःख है। कप्तान ने बैटिंग करने के सिद्धांत के पीछे का कारण बताया। फिर बताया कि मैच के दौरान पिच का रुख बदल गया जो उन्होंने सोचा नहीं था। ऐसा होता है और इस हार का उनका कोई गम नहीं है। 

अपनी और टीम के हर सदस्य के काबिलियत को समझना और उसके अनुसार रणनीति का चयन और प्रयोग करना। आपने ख्याल किया होगा कि इस साल के आई पी एल में कप्तान ने खुद को बैटिंग क्रमांक में काफी नीचे उतार दिया था। उनको टीम में अपना भूमिका क्या है इसका सही निर्णय उन्होंने किया था। पहली जिम्मेवारी नेतृत्व , दूसरी विकेट कीपिंग और तीसरा धुआंधार बल्लेबाज़ी।  उनको मालूम है कि टीम के अन्य सदस्य उनसे पहले बैटिंग करेंगे क्योंकि उसी में टीम का भला है। इंग्लैंड के टेस्ट टीम के बर्तमान कप्तान और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आल रॉउंडर जब चोट की वजह से बोलिंग ना कर सके तो उनके जगह पर कप्तान कूल ने ऐसे बल्लेबाज़ को मौका दिया जिनका प्रदर्शन पिछले तीन सालों में इतना ख़राब था कि कोई भी टीम इस खिलाड़ी को नहीं खरीद रहा था। इस खिलाड़ी एक नया अवतार हम सब ने देखा। कप्तान ने इस निर्णय के विषय में क्या कहा ? चूँकि विपक्ष के हर टीम में कई सारे तेज़ गति के गेंदबाज़ थे जो कि पारी के शुरू में गेंदबाज़ी करेंगे ,उन्हें अपने टीम में तीन नंबर पर ऐसा एक बल्लेबाज़ जरूरत था जो कि तेज़ गेंदबाज़ों को खेलने में माहिर हो। उन्होंने इस बल्लेबाज़ को ऐसा समर्थन दिया जिसके कारण ना ही इस बल्लेबाज़ ने अपनी टीम के चैंपियन बनने में अहम् भूमिका निभाई , उन्होंने भारतीय टेस्ट टीम में अपनी वापसी भी की। यही है कप्तान कूल का नेतृत्व में खेलने का परिणाम। 

कप्तान कूल -आपको जन्मदिन बधाई हो। आप शायद अगले कुछ वर्षों में अवसर लोगे खिलाड़ी के हैसियत से। परन्तु पिकचर अभी बहुत बाकी है कप्तान। हमें इंतेज़ार रहेगा कप्तान कूल के अगले अवतार का। स्वस्थ और खुश रहिए। यह हम सब की दुआ है। 

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